शिवपाल और मैं अपनी-अपनी पार्टी के 'आडवाणी' हैं: कुमार विश्वास

'मेरे लफ्जों पे मरते थे वो अब कहते हैं.. मत बोलो' यह मशहूर लाइने कुमार विश्वास ने इटावा में काव्य पाठ करने के दाैैरान कहीं। अाम अादमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास इटावा में शिवपाल सिंह के जन्म दिन पर अायाेजित एक कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे थे। मशहूर कवि और आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास को भी राज्यसभा ने भेजे जाने का मलाल है। कविता में भी उनका यह दर्द झलका। कवि सम्मेलन में मौजूद सपा नेता व विधायक शिवपाल सिंह को खिताब करते हुए उन्होंने कि वह और शिवपाल अपनी पार्टी के आडवाणी हो गए हैं।
वह शहर के एक स्कूल में आयोजित कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए सोमवार को आए थे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी और शिवपाल की अपनी पार्टियों स्थिति एक जैसी है। जिन लोगों ने पार्टी को खड़ा करने में खून-पसीना एक कर दिया नेतृत्व ने उनको पार्टी से किनारे कर दिया। उन्होंने यह कविता पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तौलो, ये संबंधों की तुरपाई है षडयंत्रों से मत खोलो, मेरे लहजे की छैनी से गढ़े कुछ देवता जो कल मेरे लफ्जों पे मरते थे, वो अब कहते हैं मत बोलो, पेश की। उन्होंने अपनी मशहूर कविता कोई दीवाना कहता है भी सुनाई। कुमार विश्वास ने बताया कि 2004 में कवि सम्मेलन में आया था तो उस समय मुख्यमंत्री मुलायम सिंह थे।
उस दौरान कविता में मंत्री का विरोध किया तो उन्होंने सुरक्षा के साथ भेजा था। उन्होंने कहा कि हिंदी के लिए जो काम सपा परिवार ने किया वैसा किसी ने नहीं किया। उन्होंने अपनी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद् करने के फैसले पर भी अफसोस जताया। हालांकि राष्ट्रपति के फैसले पर टिप्पणी नहीं की।