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उत्तर प्रदेश

पीडब्ल्यूडी के 1,500 कर्मचारियों को राहत, वेतन वसूली पर लगी रोक

पीडब्ल्यूडी के 1,500 कर्मचारियों को राहत, वेतन वसूली पर लगी रोक
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी के 1,500 कर्मचारियों को भारी राहत देते हुए उन्हें दिये गए अतिरिक्त वेतन की वसूली पर रोक लगा दी।
इन कर्मचाररियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश पर 1986 से सीपीडब्ल्यूडी के समान वेतन दिया गया था। लेकिन इस आदेश को सरकार ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी और 27 अक्तूबर 2017 को दो जज की खंडपीठ ने फैसला पलट दिया और राज्य सरकार से कहा कि कर्मचारियों को दिया गया अतिरिक्त वेतन वापस लिया जाए। इन कर्मचारियों से ये अतिरिक्त रकम 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन से वसूली करने का आदेश दिया गया था। इस आदेश को कर्मचारियों ने अधिवक्ता राजीव कुमार दूबे के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस मदन बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने संक्षिप्त बहस के बाद हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया।
दूबे ने दलील दी कि एकल पीठ का आदेश बिल्कुल सही था क्योंकि राज्य पीडब्ल्यूडी और सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों की योग्यता और काम एक ही जैसा है। इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर और अन्य कर्मचारी की जो योग्यता सीपीडब्ल्यूडी में है वही योग्यता पीडब्ल्यूडी में है। ऐसे में उच्च अदालत ने एक काम, एक वेतन का फॉर्मूला लगाया जिसमें कुछ भी गलत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में विचार किया जाएगा।
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