Home > राज्य > उत्तर प्रदेश > 2024 से पहले संभव नहीं लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना: कृष्णमूर्ति
2024 से पहले संभव नहीं लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना: कृष्णमूर्ति
BY Anonymous23 Jan 2018 1:16 AM GMT

X
Anonymous23 Jan 2018 1:16 AM GMT
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) टी एस कृष्णमूर्ति का कहना है कि वर्ष 2024 से पहले लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी कवायद के लिए संविधान में संशोधन की भी जरूरत पड़ेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की बार-बार वकालत करने के बारे में पूछे जाने पर कृष्णमूर्ति ने कहा कि आदर्श रूप में देखें तो हर पांच साल पर एक साथ चुनाव कराना अच्छा है.
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, 'क्या यह संभव है? जब तक संविधान में संशोधन नहीं होता, तब तक यह शायद संभव नहीं हो.'
पूर्व सीईसी ने कहा, 'हम विश्वास मत की वेस्टमिंस्टर प्रणाली का पालन करते हैं. यदि हम अमेरिकी प्रणाली का पालन करें, जहां तय कार्यपालिका है, तो कार्यकाल पूरी तरह तय हो सकता है. अगर किसी को सत्ता से बेदखल कर भी दिया जाता है तो सदन को किसी और का चुनाव करना होता है. उस वक्त तक पहले वाली सरकार अपना कामकाज जारी रखती है.'
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने का एक अन्य विकल्प यह हो सकता है कि किसी एक साल में होने वाले सारे चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. ऐसी सिफारिश संसद की स्थायी समिति ने की थी. लेकिन इसका भी अध्ययन करने की जरूरत है और इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा.
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने का एक अन्य विकल्प यह हो सकता है कि किसी एक साल में होने वाले सारे चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. ऐसी सिफारिश संसद की स्थायी समिति ने की थी. लेकिन इसका भी अध्ययन करने की जरूरत है और इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा.
कृष्णमूर्ति ने कहा कि प्रशासनिक परिपेक्ष्य और धन की बचत के हिसाब से देखें तो एक साथ चुनाव कराना सुविधाजनक हो सकता है. उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, बदले की राजनीति, जहरीले प्रचार, दुष्प्रचार और निजी हमलों में कमी आएगी, क्योंकि वे (चुनाव) पूरे साल नहीं चलेंगे.'
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची की वकालत करने पर कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनाव आयोग का भी हमेशा से ऐसा ही रुख रहा है. उन्होंने कहा, 'इसके लिए राज्य निर्वाचन कानून में संशोधन की जरूरत है. एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए.'
Next Story