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उत्तर प्रदेश

पुलिस भर्ती: सरकार की लेटलतीफी से टूटे कई अभ्यर्थियों के सपने

पुलिस भर्ती: सरकार की लेटलतीफी से टूटे कई अभ्यर्थियों के सपने
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पुलिस भर्ती में लेटलतीफी से कई अभ्यर्थी सिपाही बनने की रेस से बाहर हो गए हैं। 2013 के बाद पिछले पांच वर्ष में यह दूसरी भर्ती प्रक्रिया है। इससे पहले 2016 में सीधी भर्ती मेरिट के आधार पर हुई थी।
जिसमें उन्हें मौका नहीं मिला था जिनके अंक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में कम थे। 2013 में जब वैकेंसी निकली थी उस समय कई अभ्यर्थियों की उम्र 18 नहीं थी लेकिन अब 2018 में वैकेंसी निकली है तो वह 22 साल की उम्र पार कर चुके हैं।
कुशीनगर के रहने वाले दीपक मिश्रा कहते हैं कि सपा सरकार ने मेरिट के आधार पर सिपाही की उस समय कम नंबरों की वजह से मैं सेलेक्ट नहीं हो पाया। उम्मीद थी कि 2017 में भाजपा सरकार वैकेंसी निकालेगी 2018 में अब जब भर्ती निकली है तो उम्र निकल गई।
यही शिकायत सुल्तानपुर के अतीक की भी है। उनका कहना है कि वह मई में 22 साल के होंगे जबकि भर्ती बोर्ड ने कहा है कि एक जुलाई को 22 साल पूरा करने वाले लोग आवेदन नहीं कर सकते। जब विज्ञापन जनवरी में निकला है तो आयु की सीमा जुलाई से क्यों तय हो रही है।
2016 में भाग लेने वाले अभ्यर्थी भी कर सकते हैं आवेदन
उधर, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष जीपी शर्मा का कहना है कि जो नियमावली बनी है उसी के आधार पर विज्ञापन आया है। अगर कुछ युवा इसमें छूट गए हैं तो कुछ सम्मिलित भी हुए हैं। जो अभ्यर्थी 2016 की भर्ती में शामिल हुए थे वह भी आवेदन कर सकते हैं।
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