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सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस से उपजा विवाद खत्म: जस्टिस मदन बी लोकुर
BY Anonymous21 Jan 2018 1:34 AM GMT

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Anonymous21 Jan 2018 1:34 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस से उपजा विवाद खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि अब उस विषय पर बात करने की जरूरत नहीं है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की 'मास्टर ऑफ रोस्टर' के तौर पर भूमिका पर लिखे पत्र और दिए सुझावों पर भी जस्टिस लोकुर ने टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।
वहीं, उन्होंने न्याय व्यवस्था को और बेहतर बनाने पर कहा, 'ई-कोर्ट प्रोजेक्ट पुराना हो चुका है लेकिन, न्याय प्रदान करने की व्यवस्था से जुड़े पक्षों की मानसिकता बदलने का संघर्ष जारी है। इस बदलाव के लिए सभी पक्षों को प्रोत्साहित करना होगा। हर पांच-दस साल में जिस तरह से स्थितियां बदलती हैं। हमें इनको देखते हुए न्याय व्यवस्था को वर्तमान नहीं भविष्य के लिए तैयार करना है। देश की 15 हजार अदालतें अगर रियल टाइम में मुकदमों का डेटा और अपडेट देंगी तभी वादकारियों को राहत मिल पाएगी।'
जस्टिस मदन बी लोकुर ने शनिवार को लखनऊ में शुरू हुई देश के सभी 24 हाईकोर्ट की नेशनल कंप्यूटर कॉन्फ्रेंस में न्यायपालिका में आ रहे तकनीकी सुधारों के लिए जजों और न्याय प्रणाली से जुड़े अन्य लोगों को प्रोत्साहित किया। न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (जेटीआरआई) में आयोजित देश में अपनी तरह की यह पहली कॉन्फ्रेंस है। इसमें हाईकोर्ट के अलावा विभिन्न न्यायिक अधिकारी भी भाग ले रहे हैं।
'केंद्र सरकार के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में ई-कोर्ट को द्वितीय स्थान मिला'
संगोष्ठी का शुभारंभ पर जस्टिस लोकुर ने मुख्य अभिभाषण में कहा कि 2017 में केंद्र सरकार के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में ई-कोर्ट को द्वितीय स्थान मिला, पहले स्थान पर कृषि से जुड़े प्रोजेक्ट थे। यह प्रोजेक्ट की गंभीरता को दर्शाता है। जब भी न्याय व्यवस्था में सुधारों की बात होती है, उसे जजों की कार्यक्षमता बढ़ाने तक सीमित रखा जाता है। लेकिन वादकारी और वकील इस व्यवस्था की महत्वपूर्ण कड़ी हैं, जिनके जरिए बड़े सुधार लाए जा सकते हैं।
इससे पहले उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बाबासाहेब भोसले, मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस तरुण अग्रवाल, कॉन्फ्रेंस आयोजन समिति चेयरमैन जस्टिस दिलीप गुप्ता और प्रदेश के विधि मंत्री बृजेश पाठक के साथ कॉन्फ्रेंस का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर जेटीआरआई में ऑफिसर्स हॉस्टल और गेस्ट हाउस का शिलान्यास भी किया गया। जेटीआरआई में वाई-फाई सुविधा भी शुरू हुई। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में ई-कोर्ट बेंच का शुभारंभ भी हुआ। आयोजन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एमके गुप्ता, जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा, जस्टिस विवेक चौधरी और जेटीआरआई के डायरेक्टर अनिल ओझा भी मौजूद थे।
तकनीक का डर ट्रेनिंग से जाएगा
न्यायपालिका के कुछ पक्ष अपना माइंड सेट बदलने और तकनीक को अपनाने से डर रहे हैं, उनका डर कंप्यूटरों से है। यह डर प्रशिक्षण से जाएगा। जस्टिस लोकुर ने बताया कि कुछ समय पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट में कार्य को कंप्यूटर आधारित करने की पहल हुई तो असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने इसे लागू करने में परेशानियां बताईं। सात दिन के ट्रायल के बाद ही असिस्टेंट रजिस्ट्रार दोबारा आए और बताया कि कंप्यूटर से काम का बोझ 50 प्रतिशत कम हो गया है।
जो जज रुचि नहीं रखते वे दूसरों के लिए जगह दें
जस्टिस लोकुर ने कहा कि अगर किसी जज को किसी खास कमेटी में शामिल किया जाए और उसकी उसमें रुचि नही है तो तत्काल वह पद छोड़ने का निवेदन करें। किसी ऐसे जज को यह जगह मिले जो पैशन से कमेटी के लिए काम करे। ई-कोर्ट के नोडल ऑफिसर्स के लिए भी इस बात का ख्याल रखा जाए।
कैलिफोर्निया वाले भी हैरान
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट टीम द्वारा कैलिफोर्निया में केस मैनेजमेंट प्रोग्राम को समझने के लिए की गई विजिट का वाक्या बताया। अमेरिकी अधिकारी ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के बारे में हैरान थे कि भारत में ऐसा काम हो रहा है। यह संभवत: न्याय क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। यही वजह है कि इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा काम करना होगा।
फायदे : रोजना चार हजार एसएमएस, छह हजार ई-मेल
इलाहाबाद हाईकोर्ट की कंप्यूटर कमेटी के जरिए जिला अदालतों और जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई होने लगी है। इन उपायों से मानव श्रम व समय बचाया जा रहा है। ई-कोर्ट के जरिए इस तरह के फायदे लगातार सामने आएंगे। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले ने बताया कि वादकारियों और वकीलों को हर रोज छह हजार ईमेल और चार हजार एसएमएस भेजे जा रहे हैं। ई-लीग लिक्स वेबसाइट पर हर कार्य दिवस पर 2 हजार तक निर्णय अपलोड हो रहे हैं। वहीं विधिमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि निचली अदालतों में ई-कोर्ट स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार पूरा सहयोग देने को तैयार है।
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