पुनर्गठन का काम पहले संगठन में हो या सरकार में...
BY Anonymous19 Jan 2018 8:09 AM GMT

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Anonymous19 Jan 2018 8:09 AM GMT
संगठन के पुनर्गठन का काम पहले हो या सरकार में फेरबदल, इसे लेकर भगवा टोली दुविधा में दिख रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर भाजपा का प्रदेश नेतृत्व तक इस मुद्दे पर मनन-मंथन में जुटा है।
संघ और भाजपा के कुछ प्रमुख लोग पहले संगठनात्मक पुनर्गठन के पक्षधर हैं जबकि कुछ का सुझाव है कि पहले सरकार में फेरबदल का काम पूरा कर लिया जाए। माना जा रहा है कि 20 जनवरी को वाराणसी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से बातचीत के बाद इस मामले में तस्वीर साफ हो जाएगी।
उस दिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर काशी प्रांत के युवा मतदाताओं को पार्टी के साथ लामबंद करने के लिए आयोजित 'युवा उद्घोष' कार्यक्रम में शाह के साथ प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल को भी रहना है। चर्चा है कि वहीं पर बातचीत के बाद इस पर फैसला कर लिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, सरकार में फेरबदल का काम पहले करने के पक्षधर लोगों की राय है कि इससे मामला आधा-अधूरा नहीं रहेगा। सरकार का पहले पुनर्गठन होने से संगठन का नया ढांचा खड़ा करने में आसानी रहेगी क्योंकि तब यह साफ हो जाएगा कि किन लोगों को संगठन के काम में लगाया जा सकता है।
इसके बजाय संगठन में पहले फेरबदल करने में उन पदाधिकारियों को तुरंत जिम्मेदारी से मुक्त करना होगा जिन्हें सरकार में भेजने का निश्चय हो चुका है। इससे संदेश ठीक नहीं जाएगा।
साथ ही उन लोगों को भी संगठन से हटाना मुश्किल होगा जिन्हें पार्टी नेतृत्व बदले समीकरणों में मौजूदा पदों पर नहीं रखना चाहता अथवा जिन्हें आयोगों या निगमों में भेजना चाहता है। वजह, इससे अकारण नकारात्मक माहौल बनेगा जो ठीक नहीं रहेगा।
जिलों तक में फेरबदल की तैयारी
सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व की तैयारी जिलों तक संगठन के पुनर्गठन की है। इसकी एक वजह पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट में कई जिलाध्यक्षों को लेकर नेतृत्व के पास पहुंची शिकायतें हैं। इन पर कुछ विशेष जनप्रतिनिधियों के प्रवक्ता व पैरोकार की तरह व्यवहार करने के आरोप हैं।
कुछ पर निकाय चुनाव के दौरान पार्टी उम्मीदवार के बजाय अपनी पसंद के प्रत्याशी के पक्ष में काम करने की शिकायते हैं। कई जिलाध्यक्षों के निष्क्रिय रहने की रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को मिली हैं।
कई मंडलों के पार्टी अध्यक्षों की निष्क्रियता और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं से तालमेल न रखने की सूचनाएं हैं। पिछले दिनों पार्टी ने बूथ स्तर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन मनाने का फैसला किया था। इसका मकसद जिलों की सक्रियता जांचना था लेकिन कुछ जगह से रिपोर्ट ठीक नहीं रही।
यह भी है वजह
क्षेत्रीय संगठनों में भी बदलाव होना है। इसकी वजह कुछ लोगों का सरकार में शामिल होना तो कुछ का विधायक बन जाना है। जिला और क्षेत्र संगठनों में काम करने वाले कुछ लोगों को पार्टी नेतृत्व तरक्की देकर क्रमश: क्षेत्र या प्रदेश स्तर पर लाना चाहता है।
जिलों और क्षेत्रों के कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को अब तक के काम का पुरस्कार देने की भी योजना है। इसके तहत नेतृत्व ने उन्हें सरकारी संस्थाओं में समायोजित करने का निश्चय किया है। कुछ का समायोजन जिलों और मंडलों पर होगा लेकिन कुछ का समायोजन प्रदेश स्तर की संस्थाओं में करने की तैयारी है। इस नाते भी फेरबदल होना तय है।
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