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उत्तर प्रदेश

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के अभ्यर्थियो का शोषण कर रही योगी सरकार

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के अभ्यर्थियो का शोषण कर रही योगी सरकार
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भाजपा सरकार को उत्तर-प्रदेश मे लगभग 1 साल होने को जा रहे है, किंतु अभी तक (यू . पी. पी. पी. एस. सी. ) अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अभी तक नही हो पाई है!

आइए आपको बताती हू, नियुक्ति आयोग के गठन और इसके गड़बड़ झाले के बारे मे.....
संविधान के अनुच्छेद 200 के अधीन उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अधिनियम, 2014 अधिसूचित किया गया है। इस अधिनियम में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है। उप्र में अध्यक्ष के एक और आठ सदस्यों के पद स्वीकृत हैं।
प्रदेश में नई सरकार आने के बाद पिछली सरकार में नियुक्त आयोग के चेयरमैन अप्रैल मे इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद आयोग की एक सदस्य बबिता लाठर को छोड़ अन्य सदस्यों केशवराम, विनय श्रीवास्तव, सुरेश यादव व अब्दुल गनी ने भी पद छोड़ दिया।
अब चेयरमैन व सदस्य के रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं।
इंटरव्यू वाले पदों का क्या होगा?
आयोग के चेयरमैन ने जिस समय इस्तीफा दिया था, करीब 13 हजार पदों पर इंटरव्यू चल रहे थे। अब यह फैसला होना बाकी है कि जिन पदों पर इंटरव्यू हो रहे थे, उनका क्या होगा? गौर करने वाली बात ये है कि सरकार समूह 'ग' व 'घ' की भर्तियों में इंटरव्यू खत्म करने की तैयारी कर रही है।
राज्य लोक सेवा आयोग की 2012 से हुई भर्तियों की सीबीआई जांच का फैसला करने के बाद योगी सरकार समूह 'ग' की भर्तियां जल्द से जल्द शुरू कराने को लेकर सक्रिय तो हुई किंतु अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन का बंदर बाट ही अभी नही ख़तम हो रहा है!

इनके तहत इन पदो पर होती है नियुक्तिया..
आयोग के द्वारा सीधे साक्षात्कार वाले कुछ पदों पर भर्तियो के साथ-२ लिखित पदो की भी भर्तिया होती है जिनमे लिपिक, आशुलिपिक, चकबंदी लेखपाल, ग्राम पंचायत अधिकारी के पद मुख्य है!
UPSSSC अभ्यर्थियों का दर्द...
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के लिए आयोजित साक्षात्कार पर रोक लगाने के खिलाफ ,आए दिन धरनो के साथ अभ्यर्थियों ने योगी जी से भी मिलकर अपनी बाते बताई, और जल्दी ही अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन की बात भी की, किंतु योगी जी ने झूठे वादो के अलवा कुछ नही दिया! परिणामानुसार फिर एक बार अभ्यर्थी फिर अपनी नौकरी के लिए धरने-प्रदर्शन पर उतारू है!

खास बात-
नियुक्ति व कार्मिक विभाग ने अध्यक्ष और सदस्य के पदों पर 17 अगस्त तक आवेदन मांगे थे।
किंतु अब तक इन पदो को क्यू नही भरे गये यह तो योगी सरकार ही बता सकती है!
माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ के सदस्यों की नियुक्ति की प्रगति की राज्य सरकार से जानकारी मांगी है, की अब तक इन पदो का गठन क्यू नही हुवा?
इन सारे बिंदुओ को ध्यान से देखने पर पता चलता है की उत्तर-प्रदेश का युवा पिछले १ साल से बेरोज़गार घूम रहा है, और उत्तर-प्रदेश की सरकार उसे कदम-२ पर छल रही है! जबकि योगी जी हर प्रदेश मे घूम-२ कर ढिढोरा पीट रहे है की मैने उत्तर-प्रदेश मे कई लाख लोगो को रोज़गार दिया!

(लेखक के अपने विचार)
प्रीति चौबे
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