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उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव की बैठक में नहीं पहुंचे बसपा व कांग्रेस के नेता, मुहिम को झटका

अखिलेश यादव की बैठक में नहीं पहुंचे बसपा व कांग्रेस के नेता, मुहिम को झटका
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लखनऊ - भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ विपक्ष को एक करने में लगे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को झटका लगा है। लखनऊ में अखिलेश यादव ने आज विपक्षी दलों के साथ बैठक आयोजित की थी।
लखनऊ में जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के कार्यालय में आज अखिलेश यादव ने विपक्षी दलों के नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया था। इस बैठक का उत्तर प्रदेश के दो बड़े विपक्षी दलों बहुजन समाज पार्टी के साथ ही कांग्रेस ने भी बहिष्कार कर दिया। कांग्रेस ने तो विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इसके बाद लगता है उनका समाजवादी पार्टी से मोहभंग हो गया है। निकाय चुनाव के बाद सिकंदरा विधानसभा उप चुनाव में भी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतारा था। बहुजन समाज पार्टी के इस बैठक में नहीं शामिल होने की पहले से ही संभावना थी। इससे तो अखिलेश यादव की विपक्षी एकता की मुहिम को झटका लग गया।
समाजवादी पार्टी ने आज विपक्षी एकता को लेकर अहम रणनीतिक बैठक आज आयोजित की थी। इस बैठक में गोरखपुर के साथ ही फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के बहाने संपूर्ण विपक्ष को एक करने का प्रयास भी किया जाना था। अखिलेश यादव की तरफ से बैठक का न्यौता सभी विपक्षी दलों को अखिलेश यादव की भेजा गया। माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में दशकों बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि विपक्ष एक छत के नीचे खड़ा दिखाई देगा।
आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से सहमति पत्र आया है। अगले हफ्ते एक और बैठक होगी जिसमे कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा। मुख्य मुद्दा ईवीएम मशीन से चुनाव न कराए जाने को लेकर था। रामगोविंद चौधरी ने कहा कि सभी दल बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की बात पर सहमत है। थोड़ा सी असहमति सीपीएम ने जताई है। कांग्रेस ने भी इस बैठक पर अपना सहमति पत्र भेजा है।
अखिलेश यादव ने कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और कम्यूनिस्ट पार्टी को न्योता भेज कर कहा था कि लोकसभा उपचुनाव के मद्देनजर संपूर्ण विपक्ष की एकता बेहद जरुरी है। इस बैठक में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ विधानमंडल दल के नेता राम गोविंद चौधरी, आजम खां व अहमद हसन थे। इनके साथ राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मसूद, जदयू शरद गुट के सुरेश निरंजन, एनसीपी के रमेश दीक्षित, आरजेडी के अशोक सिंह, अपना दल (कृष्ण पटेल गुट)की पल्लवी पटेल, जनवादी पार्टी के संजय सिंह चैहान, बसपा से निष्कासित विधान परिषद सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीकी व आदमी पार्टी के गौरव महेश्वरी के साथ वाम दल के नेता भी बैठक में थे।
माना जा रहा है कि बैठक में बैलेट पेपर से लोकसभा उपचुनाव कराये जाने पर सहमति बनाई जाएगी। इसके साथ लोकसभा के उपचुनाव गोरखपुर और फूलपुर के लिए संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी के बारे में भी चर्चा होगी। हाल में संपन्न हुए गुजरात चुनाव और यूपी के निकाय चुनाव के बाद सपा ने से ईवीएम से चुनाव पर आपत्ति जाहिर की है। ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों को हालांकि चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद गोरखपुर और फूलपुर की सीट खाली हुई है। इन दोनों ही सीटों पर 22 मार्च से पहले चुनाव होने है। उम्मीद है कि फरवरी में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही यहां भी उपचुनाव होंगे।
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