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मुलायम सिंह के आवास पर हुई बैठक में जाट और मुस्लिम एक दूसरे के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के तैयार हो गए
BY Anonymous1 Jan 2018 1:59 PM GMT

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Anonymous1 Jan 2018 1:59 PM GMT
लखनऊ. मुजफ्फनगर में दंगे के मामले में जाट और मुसलमान एक दूसरे के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के तैयार हो गए हैं। मुलायम सिंह यादव के नई दिल्ली स्थित आवास पर मुजफ्फरनगर के जाट और मुस्लिम नेताओं के बीच बने फॉर्म्युले पर सहमति के पांच दिन बाद दंगा प्रभावित पांच गांवों के दोनों ही समूहों और पीड़ितों ने अपने मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है। वर्ष 2013 में दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित गांवों कुतबा, कुतबी, पुरबलियान, काकडा, हदोली के लोगों ने रविवार को मुजफ्फनगर में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया। 2013 में हुए इस दंगे में 1400 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार इस समझौते के तहत पांच गावों के 29 मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इस दंगे में 63 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हजार लोग विस्थापित हो गए थे। जाट नेता विपिन बालियान ने कहा, 'दिल्ली में मुलायम सिंह के आवास पर जैसा कि फैसला हुआ था, दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित पांच गांव रविवार को समझौते के लिए सहमत हो गए। अब ग्रामीण अगली सुनवाई पर अदालत के अंदर शपथपत्र दाखिल करेंगे।' रविवार को बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद अमीर आलम, एसपी विधायक नवाजिश आलम, पूर्व बीएसपी सांसद कादिर राणा और पूर्व कांग्रेस एमपी हरेंद्र सिंह मलिक भी इस बैठक में मौजूद थे।
कुतबा गांव में हुए दंगे में अपनी मां को खो देने वाले मोहम्मद हसन ने कहा, 'मैं भी मुलायम सिंह के आवास पर था। विपिन बालियान ने मुझे न्यौता दिया था। कई जाट और मुस्लिम नेता वहां मौजूद थे। मैंने उनके सहमति फॉम्युले पर अपनी सहमति दे दी।' रविवार को मुजफ्फरनगर में हुई बैठक में मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया गया। दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव कुतबा, कुतबी, पुरबलियान, काकडा, हदोली के लोगों ने इस बैठक में हिस्सा लिया था।
मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान दर्ज कराए गए मामलों में सभी में चार्जशीट कोर्ट में आ चुकी है। अब मुकदमे सुनवाई के लिए कोर्ट में चल रहे हैं। हजारों मुल्जिम दंगे के मामलों में बने हुए हैं। जिस समय दंगे हुए, उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। उस समय बड़े पैमाने पर दंगे के मामलों में फर्जी नामजदगी कराने के आरोप लगे। अब चार साल बाद सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आवास पर मुजफ्फरनगर के दंगे के मामलों में सुलह कराने की रणनीति बनाई गई थी. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और चौधरी अजित सिंह के संरक्षण में एक समिति का गठन किया गया था.
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