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UPCOCA के इन प्रावधानों से है विपक्ष को डर, रामगोविंद ने बताया अघोषित इमरजेंसी
BY Anonymous22 Dec 2017 4:27 AM GMT

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Anonymous22 Dec 2017 4:27 AM GMT
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने यूपीकोका को अघोषित इमरजेंसी और मूल अधिकारों का हनन करने वाला कानून बताया। उन्होंने कहा कि यूपीकोका के जरिये विधायिका के साथ ही मीडिया को भयभीत करने की तैयारी है।
विधेयक की धारा 2(1) में प्रावधान है कि किसी सूचना को किसी विधिक प्राधिकार के बिना नहीं दिया जा सकता, प्रकाशित नहीं किया जा सकता। सरकार इसका इस्तेमाल विपक्ष के खिलाफ करेगी।
यह पहला कानून है जिसमें आरोपी को यह जानने का हक नहीं दिया गया है कि उसके खिलाफ शिकायत करने वाला कौन है, गवाह कौन है?
चौधरी ने विपक्ष की ओर से यूपीकोका विधेयक पर संशोधन पेश करते हुए इसे सदन की प्रवर समिति को सौंपने की मांग की। उन्होंने कहा कि 5 नवंबर 2007 को भी सदन में ऐसा ही विधेयक लाया गया था। राज्यपाल ने इसे राष्ट्रपति को भेज दिया था।
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उसे मंजूरी नहीं दी थी। इसमें पुलिस प्रशासन को सारे अधिकार दे दिए गए हैं। यदि बीमारी, सूचना न मिलने या किसी अन्य कारण से आरोपी उपस्थित नहीं हो पाता है तो उसे 10 साल की सजा हो सकती है।
उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा कि ऐसा भस्मासुर मत पैदा कीजिए जो अपने लिए घातक हो। चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि सरकार प्रदेश को जेल बनाना चाहती है। लोकतंत्र रूपी द्रौपदी का चीरहरण होने जा रहा है। लोकतंत्र की लाज बचाइए।
छात्र नेता होंगे यूपीकोका के शिकार
चौधरी ने कहा कि जनविरोधी और जनतंत्र विरोधी कानूनों का इस्तेमाल छात्र नेताओं के खिलाफ बहुत होता है। गुंडा एक्ट पहली बार लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता सुरेश बहादुर सिंह और विजय सेन सिंह पर लगा था। पोटा बना तो इसी सदन के सदस्य रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) पर लगाया गया था। यदि यूपीकोका लागू होता तो बुधवार को बीएचयू में हुए बवाल के बाद छात्रों पर इसे लगा दिया गया होता।
तब खन्ना ने कहा था, अघोषित इमरजेंसी
चौधरी ने कहा कि ऐसा ही विधेयक 2007 में सदन में आया था। उसमें सजा का प्रावधान बढ़ाकर इसे नए रूप में पेश किया गया है। मौजूदा संसदीय कार्यमंत्री तब भाजपा के सदस्य थे। खन्ना ने तब कहा था कि यह कानून अघोषित इमरजेंसी है। इसमें मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। संविधान इसकी इजाजत नहीं देता।
हुकम सिंह ने कहा था, सुरक्षित नहीं राजनीतिक आजादी
रामगोविंद ने 2007 में भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकम सिंह के सदन में दिए भाषण के अंश भी पढ़े। उन्होंने कहा था, इसमें किसी राजनीतिक व्यक्ति की आजादी सुरक्षित नहीं है। इसका इस्तेमाल अपराधियों के खिलाफ नहीं, प्रतिपक्ष के नेताओं को दबाने के लिए किया जाएगा।
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