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उत्तर प्रदेश

विधानसभा में उठा शीतगृहों में सड़ते हजारों टन आलू का मुद्दा

विधानसभा में उठा शीतगृहों में सड़ते हजारों टन आलू का मुद्दा
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लखनऊ - विधानसभा में बुधवार को शीतगृहों में सड़ रहें हजारों टन आलू का मुद्दा गूंजा। सरकार द्वारा पीडि़त किसानों को मुआवजा दिए जाने से इनकार करने से नाराज समाजवादी पार्टी ने बहिर्गमन किया।
शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन आलू किसानों की समस्या को लेकर माहौल गर्माया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने नियम-56 के तहत आलू किसानों की समस्या को उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार बार- बार आश्वासन देने के बाद भी कोई राहत नहीं दे रही है। प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में हजारों टन आलू सड़ रहा है जिस अब सड़कों पर फेंका जा रहा है, जिसके चलते किसान बर्बाद हो गया। उन्होंने याद दिलाया कि गत सितंबर में मुख्यमंत्री ने सदन में आलू किसानों को राहत देने की बात कही थी। सरकार ने मात्र 12938 क्विंटल आलू ही किसानों से खरीदा। इस समस्या को गंभीरता से नही लेने के कारण आलू किसान आज बर्बादी के कगार पर है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आलू किसानों के लिए सरकार द्वारा किए प्रयासों की जानकारी दी। उनका कहना था कि कार्यभार संभालने के तुरंत बाद सरकार ने आलू किसानों के लिए कई योजनाएं लागू की और पहली बार समर्थन मूल्य घोषित किया गया। उन्होंने स्वीकारा कि आलू किसानों के सामने संकट है परंतु सरकार ने निर्यात के लिए भाड़े में छूट व मंडी शुल्क में रियायत दी थी। उपमुख्यमंत्री मौर्य के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ।
नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी का कहना था कि प्रदेश मेंं आलू आधारित कारखाने लगाए जाए तो किसानों को राहत मिलेगी। आलू से वोदका बनाने की पूर्ववर्ती सरकार की योजना के बारे में बताते हुए इसी तरह अन्य योजनाएं बनाने का सुझाव भी दिया। सदन में माहौल उस समय गर्माया जब उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने सफाई देनी शुरू की। सपा के साथ बसपा कांग्रेस व रालोद सदस्य भी शोरशराबा करने लगे। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने आलू किसानों की समस्याओं के स्थाई समाधान का आश्वासन देते हुए माहौल शांत करने की कोशिश की परंतु नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी किसानों को मुआवजा देने से इनकार का विरोध करते हुए बहिर्गमन किया।
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