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उत्तर प्रदेश

बिजनौर जिला अस्पताल में 12 घंटे में पांच नवजातों की मौत

बिजनौर जिला अस्पताल में 12 घंटे में पांच नवजातों की मौत
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बिजनौर - जिला महिला अस्पताल में पांच परिवारों में किलकारियां गूंजने से पहले ही खामोश हो गईं। सोमवार शाम से मंगलवार सुबह के बीच 12 घंटों में जन्मे सात नवजात में से पांच की मौत हो गई। पीडि़त परिवारों ने अस्पताल स्टाफ और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। अस्पताल प्रशासन इसे सामान्य मौत बताता रहा। डीएम जगतराज ने एडीएम प्रशासन व सीएमओ की जांच टीम गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
जिले के ग्राम लड़ापुरा निवासी साजिद ने प्रसव पीड़ा होने पर अपनी पत्नी रूबीना को शनिवार दोपहर में जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। तीन दिन तक रूबीना अस्पताल के बेड पर तड़पती रही, महिला का पति बार-बार डयूटी पर तैनात चिकित्सक से दर्द की शिकायत करता रहा। सोमवार को उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया। इसके बाद शाम साढ़े छह बजे प्रसव कराया गया। जन्म लेते ही नवजात की मौत हो गई। जिला अस्पताल में भर्ती चांदपुर के ग्राम गोयली निवासी नजमा खातून पत्नी नबील अहमद को सोमवार दोपहर लड़की पैदा हुई। थोड़ी देर बाद उसकी भी मौत हो गई।
किरन पत्नी जगमेश निवासी मंडावली सैदू की पुत्री की जन्म के कुछ देर बाद मौत हुई। अंशु पत्नी रोहित निवासी ग्राम जलालपुर हसना थाना हीमपुर को आपरेशन से पुत्र पैदा हुआ। बच्चे की मंगलवार तड़के मौत हो गई। इनके अतिरिक्त एक अन्य शिशु की भी सोमवार को मौत हुई है। नवजात शिशुओं की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि अस्पताल में स्टाफ मरीजों के तीमारदारों से अवैध रूप से वसूली करता है। न देने पर प्रसूताओं व नवजात शिशुओं का ध्यान नहीं रखा जाता है। परिजनों ने आरोप लगाया कि नवजात बच्चों की मौत डॉक्टरों की लापरवाही से हुई है।
नहीं है बाल रोग विशेषज्ञ
अस्पताल की सीएमएस बार-बार शिशुओं की मौत को सामान्य बताती रहीं। हैरानी की बात यह है कि महिला जिला अस्पताल में पिछले छह माह से बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है, जबकि अस्पताल में औसतन एक माह में कोई 500 बच्चे जन्म लेते हैं। उधर, इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी जिला महिला अस्पताल नहीं पहुंचे। दोपहर बाद डीएम जगत राज ने पत्रकारवार्ता में जांच टीम गठित कर 15 दिनों में रिपोर्ट तलब की जानकारी दी।
दो बच्चों की मौत गर्भ में ही हो गई थी। एक महिला में हीमोग्लोबिन मात्र चार था, जबकि एक बच्चे के परिजन उसे निजी अस्पताल ले गए थे। उसकी मौत जिला अस्पताल में नहीं हुई है।
- डॉ. आभा वर्मा, सीएमएस, महिला जिला अस्पताल
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