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उत्तर प्रदेश

सरकार ने सदन में रखे पांच अध्यादेश, हंगामे की भेंट चढ़ गया विधानमंडल सत्र का पहला दिन

सरकार ने सदन में रखे पांच अध्यादेश, हंगामे की भेंट चढ़ गया विधानमंडल सत्र का पहला दिन
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विपक्ष ने विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। विधानसभा में बिजली दरों में बढ़ोतरी के विरोध में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। सपा और बसपा के सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाजी की तथा धरना दिया। हंगामे व शोर-शराबे के बीच ही एजेंडा निपटाकर दोनों सदनों की कार्यवाही शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई।
बृहस्पतिवार को वंदे मातरम् के तुरंत बाद विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने बिजली दरों में भारी वृद्धि का मुद्दा उठाया। कहा कि जनता महंगाई से कराह रही है।
किसानों के साथ ही ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं पर बढ़ी बिजली दरों का बोझ डाल दिया गया है। उन्होंने सदन की कार्यवाही रोककर इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने भी उनका समर्थन करते हुए इस मुददे पर चर्चा कराने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि प्रश्नकाल होने दें। ऐसी कौन-सी विशेष परिस्थिति है जो एक घंटे बाद नहीं रहेगी। रामगोविंद ने कहा कि बिजली उपभोक्ताओं पर वज्रपात हो गया है, इससे बड़ी परिस्थिति क्या होगी?
इसी बीच सपा सदस्य व कांग्रेस सदस्य वेल में आ गए और सरकार विरोधी पोस्टर लहराने शुरू कर दिए। वे बिजली की बढ़ी दरें वापस लो, लाठी-गोली की सरकार नहीं चलेगी, लोकतंत्र बचाओ-ईवीएम हटाओ जैसे नारे लगा रहे थे। आजम खां ने कहा कि बिजली का सवाल दूसरे प्रश्नों पर भारी है, इस पर चर्चा होनी चाहिए।
कोई मुद्दा नहीं है इसलिए कर रहे हैं हंगामा
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी सदस्य हंगामा करके 403 विधायकों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जनता ने इन्हें नकार दिया है। मार्च 2017 में विधानसभा चुनाव हारे और अब निकाय चुनावों में भाजपा को 42 फीसदी वोट देकर जनता इन्हें खारिज कर चुकी है। इनके पास कोई मुद्दा नहीं है। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी नहीं रुकने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। फिर स्थगन आधा घंटे के लिए बढ़ा दिया। इसके बाद कार्यवाही 12.20 बजे तक स्थगित कर दी गई।
12.20 बजे कार्यवाही शुरू हुई तो अध्यक्ष ने 14 पूर्व विधायकों के निधन पर शोक प्रस्ताव रखा। इन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद रामगोविंद ने फिर सदन की कार्यवाही रोककर बिजली दरों में वृद्धि पर चर्चा की मांग की। सदन में हंगामे व शोर-शराबे के बीच सरकार की ओर से पटल पर पांच अध्यादेश रखे गए।
प्रमुख सचिव विधानसभा ने कई विधेयकों के विधान परिषद से बिना संशोधन के वापस आने की जानकारी दी। पंचायतीराज राज्यमंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने लोकायुक्त के दो विशेष प्रत्यावेदन सदन के पटल पर रखे।
इसके बाद अध्यक्ष ने बसपा के लालजी वर्मा को कार्यस्थगन प्रस्ताव पर बोलने को कहा। नारेबाजी और हंगामे के बीच उन्होंने अपनी बात रखी। इस बीच संसदीय कार्यमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए तो बसपा व रालोद सदस्य बहिर्गमन कर गए। हंगामा नहीं थमने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
विधान परिषद की कार्यवाही भी हंगामे की भेंट चढ़ी
विधान परिषद में भी पहले दिन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। कार्यवाही शुरू होते ही सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने वेल में आकर हंगामा शुरू कर दिया। वे बिजली दरों में वृद्धि, कानून-व्यवस्था व किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार पर आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था प्रदेश की कानून-व्यवस्था एकदम ध्वस्त है। पत्रकारों तक की दिनदहाड़े हत्या की जा रही है। बलात्कार के केस भी बढ़े हैं। खाद-बीज की किल्लत है। धान की खरीद ढंग से नहीं हो रही। बिजली दरों में वृद्धि से किसानों और ग्रामीणों की कमर ही टूट जाएगी।
नारे लिखी नीली टोली पहने बसपा सदस्यों ने भी बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की। सपा व कांग्रेस के सदस्यों के साथ वे वेल में तो नहीं आए, पर अपनी सीट पर ही खड़े होकर नारे लगाते रहे। वित्तविहीन शिक्षक महासभा के नेता व एमएलसी संजय शर्मा ने वेल में आकर वित्तविहीन शिक्षकों का मुद्दा ठीक से हल न किए जाने पर नाराजगी जताई।
सभापति के बार-बार आग्रह के बाद भी जब हंगामा नहीं थमा तो कार्यवाही आधा घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। उसके बाद इसे आधे घंटे के लिए बढ़ाया गया। दोपहर 12 बजे जैसे ही कार्यवाही दोबारा शुरू हुई सपा-कांग्रेस के सदस्य फिर हंगामा करने लगे। इस बीच सभापति ने उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से पटल पर सूचनाएं रखने को कहा।
जैसे ही उन्होंने विभिन्न अध्यादेश व अधिसूचनाओं की जानकारी पटल पर रखनी शुरू की, विपक्षी सदस्य सभापति के आसन की ओर कागज के गोले उछालने लगे। शोर-शराबे के बीच करीब आठ मिनट में एजेंडा निपटाकर सभापति ने सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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