सांप्रदायिकता की आड़ में स्वार्थ की राजनीति ठीक नहीं : अखिलेश
BY Anonymous9 Dec 2017 1:48 PM GMT

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Anonymous9 Dec 2017 1:48 PM GMT
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि सांप्रायिकता की आड़ में स्वार्थ की राजनीति ठीक नहीं है। उन्होंने गुजरात से लौटने के बाद यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि राजनीति में संकीर्ण स्वार्थों का बोलबाला होता जा रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को तहस नहस कर विकास को धता बताकर सांप्रदायिकता की आड़ में राजनीतिक स्वार्थों को सिद्ध करना ठीक नहीं है। विकास के नाम पर धोखा नेतृत्व की साख को बट्टा लगाता है। बेरोजगार नौजवानों के सपनों को तोड़ा गया तो एक बड़े विश्वास के साथ छल होगा। किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। गुजरात में उनकी बदहाली देखकर दुख हुआ। मूंगफली और कपास के किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य भी नहीं पा रहे हैं। भाजपा ने कपास के दाम 1500 रुपये कुन्तल दिलाने का वादा किया था, लेकिन 800 में फसल बेचने को मजबूर हैं।
अखिलेश ने कहा कि वहां जाने पर पता चला कि गुजरात माडल की हकीकत क्या है। गुजराती मानते हैं कि गुजरात में कहीं भी विकास नहीं दिखाई देता है। गुजरात के द्वारिकाधीश मंदिर में ही तीन दिन बिजली नहीं आई। स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा सभी क्षेत्रों में अफरातफरी मची है। विकास माडल की बात करने वाले गुजरात के विकास पर भी नजर डाल लेते तो अच्छा होता। स्वच्छ भारत का नारा देने वालों को गुजरात में गंदगी दिखाई क्यों नहीं देती है।
उन्होंने चर्चा में प्रदूषण का प्रश्न भी उठाया और कहा कि वैचारिक प्रदूषण के कारण भी भाईचारे और विकास का संकट है। उन्होंने आजादी के मूल्यों को बचाने पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और सहिष्णुता का जो संदेश साबरमती के तट से दिया था, आज भी वह प्रासंगिक है। उनका मत था कि लोकतंत्र को ऊपर से बीस तीस लोग नहीं चला सकते हैं लोकतंत्र तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक उसमें हर व्यक्ति की भागीदारी न हो।
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