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उत्तर प्रदेश

गंगा महोत्सवः गंगा किनारे सांगीतिक अनुष्ठान हैः छन्नूलाल मिश्र

गंगा महोत्सवः गंगा किनारे सांगीतिक अनुष्ठान हैः छन्नूलाल मिश्र
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प्रख्यात उपशास्त्रीय गायक पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र ने कहा कि मंच पर नाटक होते हैं। मंच पर भाषण दिए जाते हैं लेकिन संगीत सदा मंदिर में ही होता है। डा. राजेंद्र प्रसाद घाट का यह मुक्ताकाशीय मंच मूल रूप से गंगा किनारे स्थित एक ऐसा मंदिर है जहां गंगा महोत्सव का सांगीतिक अनुष्ठान हो रहा है।
मंगलवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर गंगा महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद पं. छन्नूलाल मिश्र ने कहा कि इस महोत्सव की आत्मा राजेंद्र प्रसाद घाट पर बसती है। इसी घाट से महोत्सव की पहचान है। इस महोत्सव को पुन: राजेंद्र प्रसाद घाट पर लाकर बड़ा काम किया गया है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि सांस्कृतिक नगरी काशी की गरिमा में चार चांद लगाने वाले इस विशिष्ट आयोजन में देश भर के कलाकारों की सहभागिता हम सब के लिए गौरव की बात है। हमने प्रयोग के तौर पर विगत वर्षों में गंगा महोत्सव का स्थान बदला था किंतु यह संदेश स्पष्ट हो चुका है कि गंगा महोत्सव और डा. राजेंद्र प्रसाद घाट का चोली दामन का साथ है। इस अवसर पर जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने कहा कि गंगा महोत्सव एक ऐसा मंच है जहां शिव-गंगा और संगीत की त्रिवेणी का मिलन होता है।
चौरासी का तिहरा योग बनने से गदगद हूं : विश्वोहन भट्ट
वाराणसी। मोहनवीणा की खोज के बाद, अपने आविष्कार की गोल्डेन जुबली मना रहे विश्वविख्यात मोहनवीणा वादक पं. विश्वमोहन भट्ट ने मंगलवार की शाम अपने जीवन में बने चौरासी के तिहरे योग से गदगद दिखे। हिन्दुस्तान से खास बातचीत में श्री भट्ट ने कहा कि कल ही मैं 84वें देश के रूप में दक्षिण कोरिया के सियोल की यात्रा करके लौटा हूं और आज चौरासी लाख योनियों के प्रतीक काशी के चौरासी घाटों के मध्य बैठकर मोहनवीणा बजाने का सुख मिला।
तीन वर्ष पूर्व गंगा महोत्सव में पद्मश्री बनकर आए विश्वमोहन भट्ट ने इस बार पद्मभूषण के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि सियोल में जो कुछ हुआ, उससे मैं भारतीय शास्त्रीय संगीत को लेकर बहुत ही उत्साहित हूं। वहां मेरा दो दिन प्रोग्राम था। दो प्रोग्राम के बीच में एक दिन का गैप था लेकिन पहले ही दिन श्रोताओं ने इतना पंसद किया कि मुझे रेस्ट वाले दिन भी कार्यक्रम देना पड़ा। दूसरे दिन तो चार हजार से अधिक कोरियन नागरिकों ने मेरे वादन के साथ-साथ आलापचारी भी की।
मुझे सीखना होगा बनारस का लहजा
कार्यक्रम का संचालन करने लखनऊ से आईं संचालिका अलका निवेदन ने शुरुआत में कई बार श्रोताओं से हर-हर महादेव का घोष करने को कहा। कई बार आग्रह के बाद जब उन्हें लगा कि हर-हर महादेव कहने का उनका लहजा सही नहीं है तो उन्होंने मंच से ही कहा, मुझे आप सब से बनारस का लहजा सीखना होगा। संचालिका ने उस समय भी संगीत श्रोताओं को चौंका दिया जब उन्होंने कहा कि गिरिजा देवी ध्रुपद-धमार की महान गायिका थीं। वहां बैठे लोगों को वर्षों पुरानी एक और घटना याद आ गई जब शहर के ही एक सांस्कृतिक महोत्सव में भाजपा के एक बड़े नेता ने मंच से गिरिजा देवी को गायिका की जगह नर्तकी कह दिया था।
कार्यक्रम की शुरुआत में रखा गया मौन
गंगा महोत्सव के उद्घाटन सत्र में प्रख्यात गायिका गिरिजा देवी को याद किया गया। गंगा पूजन के बाद मुख्य अतिथि पं. छन्नूलाल मिश्र ने उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण किया। श्री मिश्र ने अपने संबोधन के दौरान ही सभी से अनुरोध किया कि गिरिजा देवी की स्मृति में हम सब एक मिनट का मौन रखें। नियमत: शोक सभा कार्यक्रम के बिल्कुल अंत में होनी चाहिए थी क्योंकि शोक सभा के बाद सभा का विसर्जन कर दिया जाता है। अब चूंकि काशी में उल्टी गंगा बहती है, लिहाजा गंगा महोत्सव के मंच पर भी उल्टी गंगा ही बहाई गई।
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