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उत्तर प्रदेश

जदयू में सुलह की कोशिशें नाकाम, पार्टी का बंटवारा लगभग तय

जदयू में सुलह की कोशिशें नाकाम, पार्टी का बंटवारा लगभग तय
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नीतीश के बीजेपी के साथ जाने से नाराज शरद यादव संगठन में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं. शरद यादव गुट ने 17 सितंबर को दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. शरद यादव बैठक के जरिए जताना चाहते हैं कि पार्टी के एमपी और एमएलए भले ही नीतीश के साथ चले गए हों लेकिन पार्टी उनके साथ है. वहीं कांग्रेस ने शरद यादव को ही असली जदयू बताया है.
जदयू किसकी पार्टी है? नीतीश कुमार की या शरद यादव की? ये सवाल बदस्तूर बना हुआ है. पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने से नाराज शरद उन्हें लगातार चुनौती दे रहे हैं. पार्टी के ज्यादातर संसद सदस्य और विधायक भले ही नीतीश के साथ हों लेकिन शरद इतनी आसानी से जदयू पर दावा नहीं छोड़ना चाहते.
पार्टी पर कब्जे को लेकर दोनों गुटों में संघर्ष जारी है. शरद खेमे के कुछ नेता पहले ही चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर अपना दावा जता चुके हैं. चुनाव आयोग के इतर शरद यादव अब ये लड़ाई पार्टी के नेताओं के बीच लाने वाले हैं.
शरद गुट ने 17 सितंबर को दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. 8 अक्टूबर को जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी होगी. शरद धड़ा इन बैठकों में खुद को ही असली जदयू बताएगा.
तर्क दिया जायेगा की नीतीश ने संघ मुक्त और बीजेपी विरोध की शपथ लेने के बावजूद वादा-खिलाफी की लिहाज़ा वो पार्टी से गए हैं, असली पार्टी यही है.
चुनाव आयोग से फैसले से पहले तक दोनों ही गुट खुद को असली बता रहे हैं. नीतीश की स्थिति मज़बूत है लेकिन बहुत सारे असंतुष्ट नेता शरद के साथ भी हैं. शरद के 'सांझी विरासत बचाओ' आंदोलन को समर्थन देने वाली कांग्रेस ने मौका लपकते हुए नीतीश पर न सिर्फ हमला किया बल्कि शरद को ही असली जदयू बता डाला.
इतनी तल्खी के बावजूद शरद यादव अब भी खुलकर न तो नीतीश पर शब्द बाण चला रहे हैं, न ही नीतीश कुमार शरद पर. सुलह की कोशिशों के नाकाम होने के बाद अब पार्टी का बंटवारा तय माना जा रहा है.
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