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बुद्ध-आनंद संवाद: प्रभु, संत होने के लिए चमत्कार ज़रूरी हैं?

बुद्ध-आनंद संवाद: प्रभु, संत होने के लिए चमत्कार ज़रूरी हैं?
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बुद्ध 'सूर्य नमस्कार' कर उठे तो आनंद ने आनन-फ़ानन में उनकी चटाई व्यवस्थित करके कोने में रख दी और पास पड़े आइपैड के नोटिफिकेशन को पढ़ने लगा।

"हे तथागत! क्या आपको ज्ञात हुआ कि मदर टेरेसा को वैटिकन ने 'संत' मान लिया है क्योंकि उनके नाम दो चमत्कार पाए गए हैं। पूरी दुनिया में हैशटैग मदर टेरेसा ट्रेंड हो गया है," आनंद ने पूरी ख़बर पढ़ते हुए, स्प्लिट स्क्रीन द्वारा ट्विटर ट्रेंड देखकर, बुद्ध से पूछा।

"महर्षि पतंजलि के योग के द्वारा कई रोगों के ठीक होने की बात को 'अंधविश्वास' कहकर उड़ा देने वाले, मदर टेरेसा के नाम दो 'चमत्कार' हो जाने के कारण मिली 'संत' की उपाधि पर कितने भावविह्वल हो रहे हैं," बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहना जारी रखा, "ये सब कितना क्यूट है आनंद! बड़ा ही मनोरम दृश्य है पश्चिम के लोगों को इस तरह ख़ुश होते देखने पर।"

"तो क्या तात् इसमें कोई बुराई है?"

"भंते! जैसा कि मैंने कहा, ये सब क्यूट-क्यूट सा लगता है। तुम्हें पता है उपनिवेशवाद से 200 साल रौंदे जाने के बावजूद भारत को ईसाई ना बना पाने की कसक कितनी होती होगी वैटिकन को... ये इनका फ़ाइनल फ़्रंटियर है। यहाँ ये टेरेसा को संत बना देंगे क्योंकि पूरे दक्षिण एशिया की जनसंख्या को एक रोल मॉडल चाहिए, एक क्रिश्चियन आइकॉन चाहिए ताकि लोग वैसा बनना चाहें।"

"वो तो वो ऐसे भी विज्ञापण और अपने चर्चों के द्वारा कर सकते हैं..." आनंद ने उत्सुकतावश कहा।

"वो तो वो करते रहे हैं। जैसे कि थॉमस नामक संत के क्रॉस का दक्षिण भारत में मिल जाना... लेकिन थॉमस पुराने हो चुके हैं। अब कुछ आज के दौर का चाहिए। अब कुछ वैसा चाहिए जो मनवा सके कि सच में चर्च के भगवान को मानने वाले चमत्कार कर सकते हैं और ठीक भी हो सकते हैं," बुद्ध ने लेमन जूस का ग्लास उठाते हुए फ़रमाया।

"हाँ, मैंने भी एक 'आरा रा रा रा रा रा रा' वाला विडियो देखा है यूट्यूब पर जिसमें एक ईसाई फ़ादर छूकर ट्यूमर का इलाज करता है। और हाँ, कुछ दिन पहले एक ऐसे ही फ़ादर ने लड़की के ऊपर बड़ा सा साउंड बॉक्स रखकर उसकी बीमारी ठीक करने की कोशिश की थी। वो मर गई..."

"आँ-आँ-आँ... मरी नहीं। वो तो गॉड द फ़ादर के पास शांति से पहुँच गई। इसी सब बातों को आगे बताने के लिए, आम लोगों को कुछ भी कहकर बहलाने के लिए उन्हें कोई चाहिए, जो यहीं का हो, यहाँ के लोग जिसे जानते हों, जिनकी चर्चा आज के लोग करते हों। उन्हें मदर टेरेसा की ज़रूरत है। वो तो मर चुकी है, उसे संत बनाओ या शैतान कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। फ़र्क़ वैटिकन को पड़ता है, इसीलिए उसे ये संत तो चाहिए ही था। कालांतर में देखना ये किसी अश्वेत आदमी को भी पोप बना देंगे। ये बहुत विशाल एजेंडा है।"

लेमन जूस खत्म करते हुए बुद्ध ने आगे कहा, "हे तात्! इसीलिए मरने के बाद ब्राज़ील से लोग मँगाए जाते हैं ये बोलने के लिए की उनके साथ चमत्कार हो गया। ऐसे चमत्कार तो सड़क किनारे बैठा बंगाली बाबा भी करता रहता है। लाल कुआँ के पास रहने वाले कितने बाबाओं ने बाँझ महिलाओं को संतान प्राप्ति का चमत्कारिक समाधान दिया है। लेकिन वो तो जेल में डाल दिए जाते हैं।"

"हे तथागत, मुझे तो यक़ीन हो गया है कि टैलेंट की कोई क़द्र नहीं है भारत में," आनंद ने कहा तो दोनों हँस पड़े।

"योग से हुए लाभ को नकारने वाले लोग जब ऐसी ख़बर पढ़कर आह्लादित होते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। इस साइंटिफ़िक अप्रोच को देखकर बहुत अच्छा लगता है।"

"इतना तो मैंने भी देखा है कि योग से कुछ नहीं होता, लेकिन हाँ योग जब योगा हो जाता है तब जरूर बहुत कुछ होता है। योग से तनाव जाए ना जाए, योगा से स्ट्रेस में बहुत लाभ होता है, ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है," आनंद ने चुटकी लेते हुए गंभीर चेहरा बनाकर कहा।

"परंतु, क्या तुम्हें पता है टेरेसा की मौत कैसे हुई?" बुद्ध ने पूछा।

"हाँ, उन्हें दिल की बीमारी थी काफ़ी समय से। दो बार हार्ट अटैक भी आया था। लगभग आठ साल पेसमेकर लगवाए रही थीं। और तो और, अंतिम दिनों में एक आर्चबिशप ने उन्हें ईसाई जादू-टोना का सहारा लेने की सलाह भी दी क्योंकि टेरेसा को लगता था कि उनपर शैतान का साया है," आनंद ने विकिपीडिया खोलकर कहा।

"बिल्कुल सही! बहुतों को पता नहीं होगा कि लोगों को छूकर टीबी आदि ठीक कर देने वाली संत टेरेसा एक हस्पताल में इलाज कराने गई थीं अंतिम दिनों में। अपना इलाज खुद को छूकर ना करने वाली चमत्कारी महिला कितनी निःस्वार्थ रही होगी। इतना निःस्वार्थ तो एक संत ही हो सकता है। है कि नहीं?" बुद्ध ने कहा और फिर ध्यानमग्न हो गए।

#MotherTeresa


अजीत भारती
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