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मज़ाक-मज़ाक में ही पंकज ने एक ऐसी राह पकड़ ली थी जो आगे चलकर एक त्रासदी में बदल जाने वाली थी।
BY Suryakant Pathak3 Sep 2017 12:25 PM GMT

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Suryakant Pathak3 Sep 2017 12:25 PM GMT
गर्मियों की बोरिंग और सुनसान दोपहर थी। पंकज को बोरियत से बचने के लिए फेसबुक की शरण में ही जाना उचित लगा।उसे एक मैसेज़ मिला--- "Bom dia." पंकज को कुछ समझ में नही आया। उसने मैसेज़-कर्ता का प्रोफाइल देखा "Lives in Bahia. "ओह तो ये बात है" पंकज ने मुस्कुराते हुए सोचा।दरअसल उन्होंने कल शाम को इस ब्राज़ीलियाई लड़की को फ्रेंड-रिक्वेस्ट भेजा था। पर यह भाषा उनके लिए विचित्र थी। गूगल की मदद से उन्होंने पोर्तुगीज भाषा के इस वाक्यांश का अर्थ निकाला और प्रत्युतर में पूछा, "Bom dia, Vc falar ingles?" उधर से ज़वाब मिला "Nao"
समस्या गम्भीर थी।दोनों एक दूसरे की भाषा नही जानते थे। लेकिन न जाने क्यों धरती के दूसरे छोर की पीले बालों और भूरी आँखों वाली लड़की को हिंदुस्तानी लड़का भा गया।
टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को हमेशा से ही आसान बनाने का काम किया है। ट्रांसलेटर एप्लीकेशन की मदद से बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। पर ये इतना आसान भी न था। पंकज को उस लड़की का मैसेज़ मिलता था। वो उसे कॉपी करता था। उसको ट्रांसलेट करके उसका मतलब समझता था।फिर इंग्लिश में मैसेज़ भेजता था। उधर वो लड़की भी यही काम करती थी। बातचीत की गाड़ी धीमें धीमें ही सही लेकिन मज़बूती से आगे बढ़ने लगी। दोनों अलग अलग टाइम जोन में थे। यहाँ दिन तो वहाँ रात। पर इस भाषाई-भौगोलिक अवरोधों को धता बताते हुए इनबॉक्स में दोस्ती का पौधा रोपा जा चुका था।
दिन बीतने लगे। परिचय, पसंद और सामान्य बातचीत के बाद सन्देश गहरे और लम्बे होने लगे।शायरियों, कविताओं, और गानों के यू- ट्यूब लिंक्स का आवागमन शुरू हुआ।और वो तमाम बचकानी बातें भी शुरू हुई जो प्रेमी-युगल प्रेम के शुरुआती दौर में किया करते हैं। दोस्ती के पौधे पर प्रेम के फूल खिल उठे थे।प्रेम जो समय, दूरी, भाषा, समाज, धर्म, संस्कृति से परे था।
एक दिन जब उस लड़की ने बताया Eu te Amo. तो उन्हें यकीन हो गया कि यह अनदेखी लड़की मुहब्बत में गिरफ्तार हो चुकी है।
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दक्षिणी गोलार्ध में बसा देश ब्राज़ील। साम्बा-नृत्य, फुटबॉल और कार्निवल के दीवानों का देश।इसी देश के एक शहर साओ पाउलो के Guarulhos International Airport पर एयर इंडिया का एक विमान लैंड करता है जिसमें से एक 28 वर्षीय भारतीय युवक उतरता है। ये 2014 की बात है।फुटबॉल विश्व कप हो रहा है और दुनिया भर के खेल-प्रेमियों का ब्राज़ील में जमावड़ा लगा हुआ है।पर वह भारतीय युवक जिसका नाम पंकज है यहाँ पर फुटबॉल देखने नही आया है।हाँ ये ज़रूर है कि वो जिससे मिलने आया है उसे फुटबॉल बेहद प्रिय है। एअरपोर्ट के बाहर उसकी मुलाकात उस लड़की से हुई जिसके लिए वह 9000 मील दूर चला आया था। दोनों को एक दूसरे से मिलकर मारे रोमांच के गुदगुदी सी हो आई। दो दिन वहाँ रुक कर वह फिर से भारत लौट आया।
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पंकज अपनी प्रेमिका से मिल तो आया था पर उसी दिन से उसकी यातनाओं का दौर शुरू हुआ। लड़की उससे शादी के लिए गम्भीर थी। लड़की के निश्छल प्रेम को देखकर पंकज का मन अपराधबोध से भर उठा।उसे एक ही बात मन ही मन खाये जा रही थी कि उसने पहले ही उस लड़की को सच क्यों नही बताया था। दरअसल पंकज की शादी तय हो चुकी थी। पर इसमें पंकज का भी क्या कसूर था। उसे क्या पता था कि अँगरेज़ लड़कियाँ भी इस तरह का भावनात्मक प्रेम कर सकती है। उसने तो विदेशी लड़कियों की अलग ढंग से ही कल्पना कर रखी थी। उसे बिलकुल भी अंदाजा नही था कि वो लड़की इतनी इमोशनल, सीरियस और समर्पित निकलेगी। भीषण मानसिक द्वन्द और पश्चाताप में जलते हुए पंकज ने सब कुछ सच बता दिया। तीसरे दिन ज़वाब आया।जवाब उम्मीद के विपरीत काफी सन्तुलित और सधा हुआ था। लड़की ने बताया कि सच जानकर थोड़ी सी तबियत खराब हो गयी थी। इसलिए देर से ज़वाब देने के लिए माफ़ी। सन्देश में आगे के जीवन के लिए शुभकामना दी गयी थी और इतने दिनों के साथ के लिए धन्यवाद दिया गया था। उसमें ये भी लिखा था कि चलो अच्छा हुआ वरना मैं तो ये सोच के परेशान थी कि हमारे बच्चे इंडिया की ओर से क्रिकेट खेलते या ब्राज़ील की ओर से फुटबॉल।
और कोई अवसर होता तो सन्देश पढ़कर हंसी आ जाती।पंकज ने ये मैसेज पढ़ा, आसमान की ओर देखा और हाथो से मुंह ढँक कर रो पडा।
नीरज मिश्र गोपालगंज
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