यूपी में शीला दीक्षित होंगी कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार
नई दिल्ली: यूपी की गद्दी हथियाने के लिए कांग्रेस ने भी कमर कस ली है. पार्टी ने दो दिन पहले ही राज बब्बर को प्रदेश का नया अध्यक्ष बनाया और अब दिल्ली की पूर्व सीएम और वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित को सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश करने जा रही है.
जनता की आवाज़ को सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक सीएम कैंडिडेट के तौर पर शीला दीक्षित के नाम का आज एलान किया जा सकता है. सूत्र बता रहा हैं कि सीएम कैंडिडेट के तौर पर शीला के नाम पर आखिरी मुहर लग गई है और सिर्फ नाम का एलान किया जाना बाकी है.
आपको बता दें कि कांग्रेस यूपी की सत्ता से 26 साल से बनवास झेल रही है. पार्टी को लगता है कि शीला दीक्षित की बेदाग़ छवि, सभी समाज में स्वीकार्यता और ब्राह्मण चेहरा कांग्रेस की खोई ताकत में जान फूंक सकता है और पार्टी को सत्ता की दहलीज़ तक ला सकता है.
आपको बता दें कि यूपी में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं.
शीला के चुनाव के पिछे की रणनीति
कांग्रेस पार्टी के भीतर काफी लंबे समय से किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को यूपी में सीएम कैंडिडेट बनाने पर चर्चा चल रही थी और आखिरकार शीला दीक्षित के नाम पर मुहर लगी है. कांग्रेस के भीतर लोगों का मानना रहा है कि अगर कांग्रेस यूपी में ब्राह्मण को एक साथ करने में कामयाब हो जाती है तो दूसरे लोग भी एकजुट हो जाएंगे. कांग्रेस नेताओं का ये भी मानना रहा है कि शीला दीक्षित ने बतौर सीएम दिल्ली में बहुत ही अच्छा काम किया है और उनके इस छवि के सहारे यूपी को जीता जा सकता है.
आंकड़ों की कसौटी पर शीला के नाम के चयन का विश्लेषण किया जाए तो यूपी में 10 से 12 फीसदी ब्राहमण हैं. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 फीसदी वोट मिला था. फिलहाल यूपी में ज्यादातर ब्राह्मण बीजेपी और बीएसपी को अपना वोट देते हैं.
जनता की आवाज़ को सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक सीएम कैंडिडेट के तौर पर शीला दीक्षित के नाम का आज एलान किया जा सकता है. सूत्र बता रहा हैं कि सीएम कैंडिडेट के तौर पर शीला के नाम पर आखिरी मुहर लग गई है और सिर्फ नाम का एलान किया जाना बाकी है.
आपको बता दें कि कांग्रेस यूपी की सत्ता से 26 साल से बनवास झेल रही है. पार्टी को लगता है कि शीला दीक्षित की बेदाग़ छवि, सभी समाज में स्वीकार्यता और ब्राह्मण चेहरा कांग्रेस की खोई ताकत में जान फूंक सकता है और पार्टी को सत्ता की दहलीज़ तक ला सकता है.
आपको बता दें कि यूपी में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं.
शीला के चुनाव के पिछे की रणनीति
कांग्रेस पार्टी के भीतर काफी लंबे समय से किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को यूपी में सीएम कैंडिडेट बनाने पर चर्चा चल रही थी और आखिरकार शीला दीक्षित के नाम पर मुहर लगी है. कांग्रेस के भीतर लोगों का मानना रहा है कि अगर कांग्रेस यूपी में ब्राह्मण को एक साथ करने में कामयाब हो जाती है तो दूसरे लोग भी एकजुट हो जाएंगे. कांग्रेस नेताओं का ये भी मानना रहा है कि शीला दीक्षित ने बतौर सीएम दिल्ली में बहुत ही अच्छा काम किया है और उनके इस छवि के सहारे यूपी को जीता जा सकता है.
आंकड़ों की कसौटी पर शीला के नाम के चयन का विश्लेषण किया जाए तो यूपी में 10 से 12 फीसदी ब्राहमण हैं. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 फीसदी वोट मिला था. फिलहाल यूपी में ज्यादातर ब्राह्मण बीजेपी और बीएसपी को अपना वोट देते हैं.
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