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सीएम साहब! अब तो टूट रही आस, नहीं मिला आवास, अब भी झोपड़ी में ही है परिवार
एक साल पहले गांव गुलरिया के गरीब मजदूर बालकराम के बेटे अभिषेक की आईआईटी में अच्छी रैंक आई तो पूरा गांव गदगद था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ बुलाकर अभिषेक की मेधा का सम्मान किया। उसे एक लाख का चेक और लैपटॉप दिया।
साथ ही उसकी फीस भरने, परिवार को पक्का आवास दिलाने और गुलरिया को लोहिया गांव बनाने की घोषणा की। इसके बावजूद न तो उसके परिवार को आवास मिला और न ही गुलरिया लोहिया गांव घोषित हुआ। बालकराम का परिवार आज भी झोंपड़ी में ही रह रहा है।
बालकराम का मेधावी बेटा अभिषेक इस समय दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग कर रहा हैं। इसका बार उसका सेकेंड सेमेस्टर है। ये घटना प्रदेश की अफसरशाही और व्यवस्था पर सवाल भी है। मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा करना आखिर इनकी ही जिम्मेदारी थीं।
वैसे भी झोंपड़ी में रहने वाले गरीबों को पक्के आवास दिलाने के लिए इंदिरा आवास और लोहिया आवास जैसी योजनाएं चल रही हैं। फिर ब्लाक मुख्यालय से जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों को बालकराम जैसे गरीब पात्र नजर नहीं आते।
अभिषेक शुरू से पढ़ने-लिखने में होशियार रहा है। उसने 2012 में दसवीं 93.4 प्रतिशत और 2014 में 12 वीं 87.4 प्रतिशत अंकों से पास की थी। तमाम अभावों के बावजूद बालकराम ने बेटे को पढ़ाया। बाद में अभिषेक ने पटना के सुपर 30 कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग ली और उसकी आईआईटी प्रवेश परीक्षा में आल इंडिया में 877 वीं रैंक आई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उसे लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया था।
साथ ही उसकी फीस भरने, परिवार को पक्का आवास दिलाने और गुलरिया को लोहिया गांव बनाने की घोषणा की। इसके बावजूद न तो उसके परिवार को आवास मिला और न ही गुलरिया लोहिया गांव घोषित हुआ। बालकराम का परिवार आज भी झोंपड़ी में ही रह रहा है।
बालकराम का मेधावी बेटा अभिषेक इस समय दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग कर रहा हैं। इसका बार उसका सेकेंड सेमेस्टर है। ये घटना प्रदेश की अफसरशाही और व्यवस्था पर सवाल भी है। मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा करना आखिर इनकी ही जिम्मेदारी थीं।
वैसे भी झोंपड़ी में रहने वाले गरीबों को पक्के आवास दिलाने के लिए इंदिरा आवास और लोहिया आवास जैसी योजनाएं चल रही हैं। फिर ब्लाक मुख्यालय से जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों को बालकराम जैसे गरीब पात्र नजर नहीं आते।
अभिषेक शुरू से पढ़ने-लिखने में होशियार रहा है। उसने 2012 में दसवीं 93.4 प्रतिशत और 2014 में 12 वीं 87.4 प्रतिशत अंकों से पास की थी। तमाम अभावों के बावजूद बालकराम ने बेटे को पढ़ाया। बाद में अभिषेक ने पटना के सुपर 30 कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग ली और उसकी आईआईटी प्रवेश परीक्षा में आल इंडिया में 877 वीं रैंक आई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उसे लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया था।
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