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मोदी सरकार को 2 महीने में दूसरा झटका: SC ने कहा-अरुणाचल में बहाल हो कांग्रेस सरकार
नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में फिर से कांग्रेस सरकार बहाल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर की स्थिति बहाल करने को कहा है। कोर्ट ने गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा के विधानसभा सत्र एक महीने पहले बुलाने के फैसले को भी असंवैधानिक बताया है। राज्यपाल के 9 दिसंबर 2015 के नोटिफिकेश को रद्द कर दिया गया है। उत्तराखंड में मई में फ्लोर टेस्ट कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मोदी सरकार को दो महीने में यह दूसरा झटका लगा है। सीएम रहे नबाम तुकी ने इस फैसले पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को बचा लिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा...
- अपने आदेश में कोर्ट ने कहा, ''गवर्नर का काम केंद्र सरकार के एजेंट की तरह काम करना नहीं है। उन्हें संविधान के तहत काम करना होता है।''
- ''9 दिसंबर के बाद अरुणाचल असेंबली द्वारा लिए गए सभी फैसले रद्द किए जाते हैं।''
- कोर्ट ने 16-17 दिसंबर को बुलाए गए विधानसभा सत्र को भी असंवैधानिक करार दिया।
दिसंबर से राज्य में जारी है उठापटक
- अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल दिसंबर से राजनीतिक उठापटक चल रही है। दिसंबर में कांग्रेस सरकार 42 में से 21 विधायक बागी हो गए।
- 16-17 दिसंबर को कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर सीएम नबाम तुकी के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया था। इसमें तुकी की हार हुई।
- सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सरकार असेंबली भंग करने के मूड में नहीं थी और जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशें करने में लगी हुई थी।
- 16-17 दिसंबर को कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर सीएम नबाम तुकी के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया था। इसमें तुकी की हार हुई।
- सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सरकार असेंबली भंग करने के मूड में नहीं थी और जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशें करने में लगी हुई थी।
- बाद में मोदी सरकार की सिफारिश पर अरुणाचल प्रदेश में प्रेसिडेंट रूल लागू किया गया।
- सरकार के इस फैसले का कांग्रेस और आप ने कड़ा विरोध किया था। कांग्रेस ने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील की।
- इसी अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
प्रेसिडेंट रूल लगने के एक महीने के भीतर ही बनी थी बीजेपी सरकार
- प्रेसिडेंट रूल लगने के एक महीने के भीतर ही अरुणाचल में कांग्रेस के बागियों ने बीजेपी की मदद से सरकार बनाई।
- कांग्रेस के बागी कोलिखो पुल को सीएम बनाया गया।
- सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पुल सरकार संवैधानिकता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
कैसी है अरुणाचल असेंबली की स्थिति
- अरुणाचल असेंबली में कुल 60 सीटें हैं। 2014 में हुए इलेक्शन में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।
- बीजेपी के 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिलीं।
- पीपीए के 5 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद सरकार के पास कुल 47 एमएलए हो गए।
- लेकिन कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद तुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही सपोर्ट रह गया।
- बीजेपी के 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिलीं।
- पीपीए के 5 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद सरकार के पास कुल 47 एमएलए हो गए।
- लेकिन कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद तुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही सपोर्ट रह गया।
- इस समय राज्य में कोलिखो पुल सरकार के साथ कांग्रेस के 19 बागी, बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय एमएलए शामिल हैं।
अब आगे क्या?
- कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर नबाम तुकी राज्य के सीएम बन जाएंगे। लेकिन, उनके लिए बहुमत साबित करना बड़ी चुनौती होगी।
- अभी की स्थिति में तुकी के पास सिर्फ 28 विधायकों का सपोर्ट है। जबकि बहुमत के लिए उन्हें 31 विधायकों की जरूरत होगी।
उत्तराखंड के बाद अरुणाचल में मोदी सरकार को दूसरा झटका
-सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को मोदी सरकार के लिए दूसरा बड़ा झटका है।
- इससे पहले उत्तराखंड में भी सरकार ने प्रेसिडेंट रूल लगाया था।
- बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल पर सीएम हरीश रावत ने बहुमत साबित किया और दोबारा सरकार बनाई।
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