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उत्तर प्रदेश

अलग हो सकती हैं उप्र में जदयू और राजद की राहें, लालू देगे समधी का साथ

पटना : उत्तर प्रदेश में जदयू और राजद की राहें अलग हो सकती हैं। जदयू पिछले दो माह से उत्तर प्रदेश में सक्रिय है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के निशाने पर वहां भाजपा के साथ-साथ सपा सरकार भी है। जदयू नेता उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का नारा लगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजद ने उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर अबतक अपने पत्ते नहीं खोले थे। मगर अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने संकेत दिया है कि वह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ खड़े होंगे, उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे।

बिहार में जदयू और राजद साथ हैं। लेकिन राजद के लिए बिहार में उत्तर प्रदेश की स्थिति नहीं है। वहां सपा की सरकार है और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव राजद सुप्रीमो के रिश्तेदार हैं। दो दिनों पूर्व जमीयत उलेमा द्वारा आयोजित ईद मिलन समारोह में लालू प्रसाद ने स्पष्ट कर दिया कि वह मुलायम सिंह यादव को मनाने की कोशिश करेंगे कि वे हमारे गठबंधन के साथ आ जाएं।

जदयू फिलहाल मुलायम सिंह यादव का साथ देने को तैयार नहीं है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह यादव को तो हम लोगों ने अपना सबकुछ दे दिया था। लेकिन वह नहीं माने। अब दोबारा हम लोगों की ओर से पहल क्यों होगी? उनका इशारा बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जदयू, राजद, सपा सहित छह दलों के प्रस्तावित विलय की ओर था जिसका अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को चुना गया था। लेकिन मुलायम सिंह यादव ने बिहार चुनाव से ठीक पहले खुद को अलग कर लिया था। सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद अलग पार्टी चला रहे हैं, बिहार में हमारा और उनका साथ है। हमारा प्रयास है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में जदयू एक फैक्टर बनकर उभरे।

चुनाव में प्रभावी हस्तक्षेप के लिए हम वहां संगठन को मजबूत कर रहे हैं। नीतीश कुमार की सभाओं में अच्छी भीड़ जुट रही है। 17 जुलाई को इलाहाबाद में उनकी फिर सभा होगी। अगले दो-तीन माह में उत्तर प्रदेश में नीतीश की आधा दर्जन से अधिक सभाएं होंगी।
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