Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

नेताजी की नसीहत के बहाने, नसीहत के मायने ये तो नहीं

लखनऊ : पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नसीहत! अब सपाइयों को ‘सुधरने’ की चेतावनी। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह की ये हिदायतें सरकार बनने के बाद से जारी हैं मगर चुनावी बेला में उनका यह अंदाज बहुतों को अखर रहा है, मगर कहा यह भी जा रहा है कि विपक्षी हमलों की धार कुंद करने के लिए सपा प्रमुख खुद पार्टी की खामियां गिनाकर जनता से ‘भूल सुधार’ का मौका मांग रहे हैं।

सरकार के चार साल बीतने के समारोह में मुलायम ने अखिलेश की तारीफ की तो उसे राजनीतिक हथकंडा कहा गया था। आम राय बनने लगी कि सरकार को पूरे नंबर देकर सपा मुखिया मिशन 2017 के लिए सकारात्मक संदेश देना चाह रहे हैं, मगर राज्य के चुनावी मूड में आते ही मुलायम ने फिर तल्खी भरा रुख अख्तियार कर राजनीतिक विश्लेषकों को सोच में डाल दिया है। पार्टी में इस बात को लेकर बेचैनी है कि विपक्षी दल कहीं मुलायम के जुमलों का इस्तेमाल सरकार को घेरने में न करने लगें।

अखिलेश को ताकत की रणनीति : विधानसभा चुनाव सिर पर है और मुख्यमंत्री विकास कार्यो को लेकर चुनावी समर में उतरने की मंशा जता चुके हैं। इसलिए वह जब-तब परोक्ष रूप से केंद्र सरकार को विकास पर बहस की चुनौती भी देते हैं। इसी रास्ते वह बसपा को भी घेरते हैं मगर कानून व्यवस्था को लेकर होने वाले हमलों का अभी ठोस जवाब वह नहीं तलाश सके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मुलायम की नसीहत अखिलेश का बचाने और कुछ दागी कार्यकर्ताओं को कठघरे में खड़ा करने का काम करेगी। कुछ नेताओं व मंत्रियों पर ठेके-पट्टे में लिप्त होने का ठीकरा फोड़ कर मुख्यमंत्री की छवि बचाने का प्रयास होगा।

ये तो नहीं निहितार्थ : अखिलेश के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से ही विपक्ष उनके ‘चाचाओं’ को असली मुख्यमंत्री बताने का प्रयास करता रहा है। पिछले दिनों बाराबंकी में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने साढ़े तीन मुख्यमंत्री होने का इल्जाम मढ़कर संकेत दिया है कि पार्टी समाजवादी पार्टी पर हमले के लिए मुख्यमंत्री की नेतृत्व क्षमता को ‘अस्त्र’ बनाएगी। उस वक्त मुलायम की यही नसीहतें पार्टी का कवच बनेंगी।

जनता के बीच इसका प्रचार कर कहा जा सकेगा कि मुख्यमंत्री व सपा मुखिया ने सपाइयों पर नियंत्रण के प्रयास किए। रामपाल यादव, विजय बहादुर यादव जैसों को पार्टी से निष्कासित किया गया, मुख्तार अंसारी की आपराधिक पृष्ठभूमि के चलते कौमी एकता दल (कौएद) का विलय रद किया गया। बावजूद इसके कुछ नेताओं ने अपनी आदत नहीं बदली, जिसे अगली सरकार में पूरी तरह सुधारा जाएगा।6
Next Story
Share it