अमित शाह के बयान से झलकती है जातिवादी और जलन भरी मानसिकता
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर तगड़ा हमला बोला है. बीएसपी नेता ने शाह को घोर जातिवादी और इर्ष्यालु मानसिकता का करार दे दिया.
दरअसल अमित शाह ने बीएसपी को नो छापने वाली मशीन कहा था उसी पर मायवती ने पलटवार किया है.
बीएसपी सुप्रीमो ने रविवार को आयोजित उत्तर प्रदेश इकाई के पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक में कहा कि बसपा को नोट छापने वाली मशीन बताना भाजपा अध्यक्षा को घोर जातिवादी और इर्ष्यापूर्ण मानसिकता का दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि बसपा ने बहुजन समाज को ‘लेने वाले’ से ‘देने वाला’ समाज बनाया. पार्टी उन्हीं के थोड़े-थोड़े आर्थिक सहयोग से अपने मानवतावादी अभियान को लगातार आगे बढ़ा रही है, जबकि खासकर भाजपा, कांग्रेस और उनकी सरकारें बड़े-बड़े पूंजीपतियों से धन लेने के कारण उनकी गुलामी करती हैं.
गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को मऊ में अतिपिछड़ा-अतिदलित भागीदारी जागरूकता महापंचायत में बसपा मुखिया मायावती पर अपनी पार्टी को नोट छापने की मशीन बना देने का आरोप लगाया था.
वहीं बसपा अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार गरीबों, मज़दूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम और ईसाई समाज के लोगों के हितों के खिलाफ और पूंजीपतियों के लिये ही काम करने की वजह से अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है. इसी वजह से विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसकी लगातार हार हो रही है.
उन्होंने कहा कि मोदी ने पिछले दो सालों में विदेश भ्रमण कर अपनी ‘इमेज मेकओवर’ को जितना महत्व दिया है उससे भी साफ होता है कि उन्हें देश की समस्याओं जैसे बढ़ती महंगाई, ग़रीबी, बेरोज़गारी, सड़क, बिजली, पानी, सूखा, बाढ़ से निपटने की कितनी चिंता है.
उन्होंने कहा कि अगले साल विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में बसपा की सरकार बनने पर ऐसे मामलों की जांच कराकर दोषियों को दंडित किया जाएगा.
बसपा मुखिया ने बैठक में पार्टी की ज़मीनी स्तर पर जारी गतिविधियों, हर स्तर पर चुनावी तैयारियों एवं सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के मिशनरी कार्यों की गहन समीक्षा की और विशेष दिशा-निर्देश दिये.
उन्होंने पार्टी की ज़मीनी तैयारियों तथा पार्टी प्रत्याशियों की लगन और मेहनत पर संतोष व्यक्त किया.
मायावती ने विरोधी पार्टियों खासकर भाजपा, सपा तथा कांग्रेस के समय-समय पर बसपा के खिलाफ कथित षड़यंत्र के तहत एकजुट होकर नुक़सान पहुँचाने के पिछले अनुभव के मद्देनज़र, विशेष तौर पर सतर्क रहने के सम्बन्ध में अलग से भी जरूरी दिशा-निर्देश दिये.
दरअसल अमित शाह ने बीएसपी को नो छापने वाली मशीन कहा था उसी पर मायवती ने पलटवार किया है.
बीएसपी सुप्रीमो ने रविवार को आयोजित उत्तर प्रदेश इकाई के पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक में कहा कि बसपा को नोट छापने वाली मशीन बताना भाजपा अध्यक्षा को घोर जातिवादी और इर्ष्यापूर्ण मानसिकता का दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि बसपा ने बहुजन समाज को ‘लेने वाले’ से ‘देने वाला’ समाज बनाया. पार्टी उन्हीं के थोड़े-थोड़े आर्थिक सहयोग से अपने मानवतावादी अभियान को लगातार आगे बढ़ा रही है, जबकि खासकर भाजपा, कांग्रेस और उनकी सरकारें बड़े-बड़े पूंजीपतियों से धन लेने के कारण उनकी गुलामी करती हैं.
गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को मऊ में अतिपिछड़ा-अतिदलित भागीदारी जागरूकता महापंचायत में बसपा मुखिया मायावती पर अपनी पार्टी को नोट छापने की मशीन बना देने का आरोप लगाया था.
वहीं बसपा अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार गरीबों, मज़दूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम और ईसाई समाज के लोगों के हितों के खिलाफ और पूंजीपतियों के लिये ही काम करने की वजह से अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है. इसी वजह से विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसकी लगातार हार हो रही है.
उन्होंने कहा कि मोदी ने पिछले दो सालों में विदेश भ्रमण कर अपनी ‘इमेज मेकओवर’ को जितना महत्व दिया है उससे भी साफ होता है कि उन्हें देश की समस्याओं जैसे बढ़ती महंगाई, ग़रीबी, बेरोज़गारी, सड़क, बिजली, पानी, सूखा, बाढ़ से निपटने की कितनी चिंता है.
उन्होंने कहा कि अगले साल विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में बसपा की सरकार बनने पर ऐसे मामलों की जांच कराकर दोषियों को दंडित किया जाएगा.
बसपा मुखिया ने बैठक में पार्टी की ज़मीनी स्तर पर जारी गतिविधियों, हर स्तर पर चुनावी तैयारियों एवं सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के मिशनरी कार्यों की गहन समीक्षा की और विशेष दिशा-निर्देश दिये.
उन्होंने पार्टी की ज़मीनी तैयारियों तथा पार्टी प्रत्याशियों की लगन और मेहनत पर संतोष व्यक्त किया.
मायावती ने विरोधी पार्टियों खासकर भाजपा, सपा तथा कांग्रेस के समय-समय पर बसपा के खिलाफ कथित षड़यंत्र के तहत एकजुट होकर नुक़सान पहुँचाने के पिछले अनुभव के मद्देनज़र, विशेष तौर पर सतर्क रहने के सम्बन्ध में अलग से भी जरूरी दिशा-निर्देश दिये.
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