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कौमी एकता दल का घूम-घूम कर अखिलेश यादव के खिलाफ पोल खोल रैली करने का एलान
लखनऊ: देश में आजकल मान अपमान की राजनीति जोरों पर है. इसको तरह तरह से हर चुनाव में उठाया बढाया जाता है. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल से विलय को रोक कर अपनी छवि का मान रखा तो अब अंसारी बंधुओं ने इसे मुसलमानों का अपमान बताया.
एक नहीं चार-चार बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी पिछले 11 सालों से जेल में बंद है. पहली बार 1996 में बीएसपी की हाथी पर सवार होकर मऊ से विधायक बने बाहुबली मुख्तार दो बार निर्दलीय चुनाव जीते. 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर में भी मुख्तार अपनी पार्टी के निशान पर जीत गए. मुख्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी सबसे पहले राजनीति में आये. बात 1985 की है. लेफ्ट पार्टी की टिकट पर वे लगातार चार बार मोहम्मदाबाद से विधायक बने.
यूपी विधान सभा में अफ़ज़ाल अंसारी लेफ्ट के आख़िरी विधायक थे. बाद में वे समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए और गाजीपुर से सांसद भी बने. अंसारी भाईयों में सबसे बड़े सिबगतुल्लाह अंसारी भी अपनी पार्टी कौमी एकता दल के विधायक है. पेशे से टीचर सिबगतुल्लाह दो बार विधान सभा चुनाव जीत चुके है.
यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम हैं. कुल मुस्लिमों में करीब 19 फीसदी अंसारी हैं. पूर्वांचल में मुसलामानों का वोट मिल जायगा इस भरोसे पर मुलायम सिंह ने अंसारी से हाथ मिला लिया लेकिन अखिलेश यादव की जिद के आगे किसी की नहीं चली. चाचा शिवपाल यादव को भी पीछे हटना पड़ा. हफ्ते भर में ही कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय ख़त्म हो गया.
अंसारी ब्रदर्स ने अखिलेश यादव से हिसाब बराबर करने की तैयारी शुरू कर दी है. अफ़ज़ाल अंसारी कहते हैं मायावती और मुलायम दोनों ने हमारा इस्तेमाल किया. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत कई हत्याओं के आरोपी मुख्तार पर हत्या, अपहरण और मारपीट के 30 से ज्यादा मुक़दमे चल रहे हैं. यूपी में मुख्तार अंसारी माफिया डॉन माने जाते है लेकिन मायावती ने उन्हें गरीबों का मसीहा कहा था.
यूपी के पूर्वांचल में वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, मऊ, चंदौली, आजमगढ़ और जौनपुर जिलों में अंसारी ब्रदर्स का दबदबा है. ख़ास तौर से कपड़े की बुनाई करने वालों के बीच. क्या अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी के साथ सही किया ? क्या मुसलमान अंसारी भाईयों के साथ जाएंगे या फिर समाजवादी पार्टी में ? जितने मुंह उतनी बातें लेकिन मुख्तार अंसारी के विधान सभा क्षेत्र में मुस्लिम वोट का बंटवारा तय है.
समाजवादी पार्टी से ठुकराए जाने के बाद से अफ़ज़ाल अंसारी ने मोहम्मदाबाद में डेरा दाल दिया है. 1985 से लेकर अब तक यानि पिछले 30 सालों से ये अंसारी ब्रदर्स का अभेद किला बना रहा है. एक मौके को छोड़कर हर विधान सभा चुनाव में यहां अंसारी की ही जीत हुई. पहले अफजाल जीतते थे और अब उनके बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी यहां के विधायक हैं. मोहम्मदाबाद के लोग अखिलेश यादव को सबक सिखाने की कसमें खा रहे है.
पूर्वांचल में मुस्लिम समाज का एक तबका तो इस बात के लिए भी तैयार है अगर वोट बंटने से बीजेपी जीत जाए तो भी कोई परवाह नहीं. ये सब अंसारी बंधुओं के समर्थक हैं. हमें मोहम्मदाबाद में यादव जाति के कई ऐसे लोग मिले जो समाजवादी पार्टी के बदले अफ़ज़ाल अंसारी के साथ है.
मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल ने ईद के बाद कल यानी शुक्रवार को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक बुलाई है. मोहम्मदाबाद की इस मीटिंग के बाद समाजवादी पार्टी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का एलान होगा. खबर है कि असदुदीन ओवैसी की पार्टी से तालमेल हो सकता है. अफ़ज़ाल अंसारी का दावा है कि अगले महीने अगस्त तक वे एक नया मोर्चा बना लेंगे.
मुख्तार अंसारी की डॉन की छवि से मुक्ति के लिए इन दिनों अफ़ज़ाल अंसारी अपने दादा और नाना की दुहाई दे रहे हैं. उनके दादा एम ए अंसारी आज़ादी से पहले कांग्रेस के अध्यक्ष थे जबकि नाना ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र मिल चुका है. 2012 के विधान सभा चुनाव में मुख्तार अंसारी की पार्टी ने भारतीय समाज पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था.
ईद के ठीक बाद कौमी एकता दल ने यूपी में घूम घूम कर अखिलेश यादव के खिलाफ पोल खोल रैली करने का एलान किया है. पहली रैली चौदह जुलाई को सुल्तानपुर में, पंद्रह जुलाई को बलिया में, 17 जुलाई को मऊ में, 18 जुलाई को आज़मगढ़ में, 19 जुलाई को वाराणसी और 20 जुलाई को चंदौली में रैली होगी.
अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी में ऐंट्री क्या रोकी, अंसारी बंधुओं ने अब इसे नाक की लड़ाई बना लिया है. तल्खी ऐसी कि अगर हम डूबे तो तुम्हें भी डुबोएंगे.
एक नहीं चार-चार बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी पिछले 11 सालों से जेल में बंद है. पहली बार 1996 में बीएसपी की हाथी पर सवार होकर मऊ से विधायक बने बाहुबली मुख्तार दो बार निर्दलीय चुनाव जीते. 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर में भी मुख्तार अपनी पार्टी के निशान पर जीत गए. मुख्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी सबसे पहले राजनीति में आये. बात 1985 की है. लेफ्ट पार्टी की टिकट पर वे लगातार चार बार मोहम्मदाबाद से विधायक बने.
यूपी विधान सभा में अफ़ज़ाल अंसारी लेफ्ट के आख़िरी विधायक थे. बाद में वे समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए और गाजीपुर से सांसद भी बने. अंसारी भाईयों में सबसे बड़े सिबगतुल्लाह अंसारी भी अपनी पार्टी कौमी एकता दल के विधायक है. पेशे से टीचर सिबगतुल्लाह दो बार विधान सभा चुनाव जीत चुके है.
यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम हैं. कुल मुस्लिमों में करीब 19 फीसदी अंसारी हैं. पूर्वांचल में मुसलामानों का वोट मिल जायगा इस भरोसे पर मुलायम सिंह ने अंसारी से हाथ मिला लिया लेकिन अखिलेश यादव की जिद के आगे किसी की नहीं चली. चाचा शिवपाल यादव को भी पीछे हटना पड़ा. हफ्ते भर में ही कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय ख़त्म हो गया.
अंसारी ब्रदर्स ने अखिलेश यादव से हिसाब बराबर करने की तैयारी शुरू कर दी है. अफ़ज़ाल अंसारी कहते हैं मायावती और मुलायम दोनों ने हमारा इस्तेमाल किया. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत कई हत्याओं के आरोपी मुख्तार पर हत्या, अपहरण और मारपीट के 30 से ज्यादा मुक़दमे चल रहे हैं. यूपी में मुख्तार अंसारी माफिया डॉन माने जाते है लेकिन मायावती ने उन्हें गरीबों का मसीहा कहा था.
यूपी के पूर्वांचल में वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, मऊ, चंदौली, आजमगढ़ और जौनपुर जिलों में अंसारी ब्रदर्स का दबदबा है. ख़ास तौर से कपड़े की बुनाई करने वालों के बीच. क्या अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी के साथ सही किया ? क्या मुसलमान अंसारी भाईयों के साथ जाएंगे या फिर समाजवादी पार्टी में ? जितने मुंह उतनी बातें लेकिन मुख्तार अंसारी के विधान सभा क्षेत्र में मुस्लिम वोट का बंटवारा तय है.
समाजवादी पार्टी से ठुकराए जाने के बाद से अफ़ज़ाल अंसारी ने मोहम्मदाबाद में डेरा दाल दिया है. 1985 से लेकर अब तक यानि पिछले 30 सालों से ये अंसारी ब्रदर्स का अभेद किला बना रहा है. एक मौके को छोड़कर हर विधान सभा चुनाव में यहां अंसारी की ही जीत हुई. पहले अफजाल जीतते थे और अब उनके बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी यहां के विधायक हैं. मोहम्मदाबाद के लोग अखिलेश यादव को सबक सिखाने की कसमें खा रहे है.
पूर्वांचल में मुस्लिम समाज का एक तबका तो इस बात के लिए भी तैयार है अगर वोट बंटने से बीजेपी जीत जाए तो भी कोई परवाह नहीं. ये सब अंसारी बंधुओं के समर्थक हैं. हमें मोहम्मदाबाद में यादव जाति के कई ऐसे लोग मिले जो समाजवादी पार्टी के बदले अफ़ज़ाल अंसारी के साथ है.
मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल ने ईद के बाद कल यानी शुक्रवार को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक बुलाई है. मोहम्मदाबाद की इस मीटिंग के बाद समाजवादी पार्टी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का एलान होगा. खबर है कि असदुदीन ओवैसी की पार्टी से तालमेल हो सकता है. अफ़ज़ाल अंसारी का दावा है कि अगले महीने अगस्त तक वे एक नया मोर्चा बना लेंगे.
मुख्तार अंसारी की डॉन की छवि से मुक्ति के लिए इन दिनों अफ़ज़ाल अंसारी अपने दादा और नाना की दुहाई दे रहे हैं. उनके दादा एम ए अंसारी आज़ादी से पहले कांग्रेस के अध्यक्ष थे जबकि नाना ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र मिल चुका है. 2012 के विधान सभा चुनाव में मुख्तार अंसारी की पार्टी ने भारतीय समाज पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था.
ईद के ठीक बाद कौमी एकता दल ने यूपी में घूम घूम कर अखिलेश यादव के खिलाफ पोल खोल रैली करने का एलान किया है. पहली रैली चौदह जुलाई को सुल्तानपुर में, पंद्रह जुलाई को बलिया में, 17 जुलाई को मऊ में, 18 जुलाई को आज़मगढ़ में, 19 जुलाई को वाराणसी और 20 जुलाई को चंदौली में रैली होगी.
अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी में ऐंट्री क्या रोकी, अंसारी बंधुओं ने अब इसे नाक की लड़ाई बना लिया है. तल्खी ऐसी कि अगर हम डूबे तो तुम्हें भी डुबोएंगे.
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