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प्रवीर कुमार ,अनिल कुमार गुप्ता,अनुज विश्नोई, प्रदीप भटनागर को बाइपास कर मुख्य सचिव बने सिंघल
लखनऊ :बुधवार की रात उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में मुख्य सचिव के पद पर चल रही जंग के आखिरी फैसले ने कुछ ऐसा ही सीन दोहराया है. रात करीब नौ बजे प्रदेश के काम चलाऊ मुख्य सचिव प्रवीर कुमार ने प्रमुख सचिव सिचाई दीपक सिंघल को सूबे की नौकरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी का चार्ज दिया. दोनों अफसर भारतीय प्रसाशनिक सेवा के 1982 बैच के अफसर हैं. श्री सिंघल को सत्तारूढ़ दल के मुखिया मुलायम सिंह यादव और कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव के साथ ही हाल ही में पार्टी में लौटे अमर सिंह का करीबी बताया जाता है.
सीएम अखिलेश को पहले थे नापसंद
सत्ता के गलियारों में चर्चा थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव श्री सिंघल को पसंद नहीं करते हैं. पिछले साल अपने सरकारी आवास में
आयोजित
सिंचाई विभाग से सम्बंधित दो कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री का यह रवैया सार्वजनिक रूप से उजागर भी हुआ था. विगत 30 जून को तीन माह के सेवा विस्तार के बाद जब मुख्य सचिव आलोक रंजन ने पद छोड़ा तो अपना कार्यभार प्रवीर कुमार को सौंप कर गये. संझा जा रहा था कि विदेश से वापस होने के बाद मुख्यमंत्री नए मुख्य सचिव के बारे में कोई फैसला लेंगे और इन छः दिनों तक प्रवीर कुमार कुछ इस तरीके से काम करते रहे जैसे उन्हें ही आगे इस पद पर बहाल किया जाना है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड में पिछले महीने हुए एक कार्यक्रम में दीपक सिंघल के काम की तारीफ़ की तो समझा जाने लगा कि नेता जी और शिवपाल सिंह की पसंद को अखिलेश यादव ने भी स्वीकार कर लिया है. लेकिन कुछ दिनों पहले ही अखिलेश यादव ने एक बार फिर दीपक सिंघल पर गहरा तंज कसा तो अंदाजा लगाया जाने लगा कि प्रवीर कुमार, राहुल भटनागर और संजय अग्रवाल में कोई एक नया मुख्य सचिव होगा. प्रवीर कुमार ने बुधवार को नियमित रूप से अपना काम काज निपटाया और उनके अगले दिन के भी कार्यक्रम तय हो गए. रात 8.15 बजे दीपक सिंघल को ऊपर से फोन मिला और 8.45 बजे वे सचिवालय एनेक्सी पहुंचे तो पूरी तरह सन्नाटा था. नियुक्ति विभाग के अधिकारी बुलाये गए और प्रवीर कुमार भी आये तथा दीपक सिंघल को मुख्य सचिव को चार्ज दिया.
चार्ज लेने के बाद नए मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के साथ ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का भी ख़ास तौर पर आभार जताया और इसके बाद बधाई देने वाले अफसरों का ताता लग गया.
पिछले साल अक्टूबर में स्थितियां उलटी थीं
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नाराजगी दीपक सिंघल को भारी पडी और सूबे की नौकरशाही मुख्य सचिव के बाद दूसरे नंबर की सबसे अहम कुर्सी उनके ही बैच मेट प्रवीर कुमार को मिली थी. उस वक़्त प्रवीर को उत्तर प्रदेश का नया कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) बनाया गया था. अफसरों की कशमकश में यह पद पिछले 14 दिनों से खाली चल रहा था. पिछले कृषि उत्पादन आयुक्त आनन्द मित्रा 30 सितंबर को सेवा निवृत्त हो गये थे और तब से लगातार इस कुर्सी को लेकर रस्साकशी चल रही थी.
दरअसल एपीसी के पद पर सपा के शीर्ष नेता और सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री की पहली पसंद दीपक सिंघल थे, जबकि मुख्यमंत्री उनके नाम पर कतई तैयार नहीं थे. मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में दीपक सिंघल महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहें और अखिलेश यादव की सरकार बनने पर प्रमुख सचिव सिचाई जैसी अहम जिम्मेदारी निभाते रहें हैं. उन्हें लोक निर्माण एवं सिचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव के विशसनीय अफसरों में गिना जाता है. इसके उल्टे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कई मौकों पर उनसे अपनी नराजगी सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके हैं.
दीपक सिंघल और प्रवीर कुमार 1982 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और 2015 से ही मुख्य सचिव के वेतनमान में काम कर रहें हैं. सूबे में जब अखिलेश यादव की सरकार बनी और आजम खां के साथ प्रमुख सचिव के तौर पर काम करने के लिये कोई उपयुक्त अधिकारी नहीं सुलभ हुआ तो मंत्री की पसंद से प्रवीर कुमार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर इस पद पर बैठाया गया था. थोड़े ही दिनों में रिश्ते इतने खराब हो गये की मंत्री आजम खां को प्रवीर कुमार के बारे में पत्र लिखकर कहना पड़ा कि यह अधिकारी मुसलिमों का विरोधी है. इसके बाद प्रवीर कुमार को आजम खां के अन्दरखाने के विरोधी समझे जाने वाले स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन के साथ प्रमुख सचिव बनाया गया था. इसके बाद प्रवीर कुमार फिर से केन्द्र सरकार की सेवा में चले गये और पिछले वर्ष दुबारा एकदम से फिर प्रदेश सरकार की सेवा में आ गये थे.
सीएम अखिलेश को पहले थे नापसंद
सत्ता के गलियारों में चर्चा थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव श्री सिंघल को पसंद नहीं करते हैं. पिछले साल अपने सरकारी आवास में
आयोजित

चार्ज लेने के बाद नए मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के साथ ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का भी ख़ास तौर पर आभार जताया और इसके बाद बधाई देने वाले अफसरों का ताता लग गया.
पिछले साल अक्टूबर में स्थितियां उलटी थीं
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नाराजगी दीपक सिंघल को भारी पडी और सूबे की नौकरशाही मुख्य सचिव के बाद दूसरे नंबर की सबसे अहम कुर्सी उनके ही बैच मेट प्रवीर कुमार को मिली थी. उस वक़्त प्रवीर को उत्तर प्रदेश का नया कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) बनाया गया था. अफसरों की कशमकश में यह पद पिछले 14 दिनों से खाली चल रहा था. पिछले कृषि उत्पादन आयुक्त आनन्द मित्रा 30 सितंबर को सेवा निवृत्त हो गये थे और तब से लगातार इस कुर्सी को लेकर रस्साकशी चल रही थी.
दरअसल एपीसी के पद पर सपा के शीर्ष नेता और सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री की पहली पसंद दीपक सिंघल थे, जबकि मुख्यमंत्री उनके नाम पर कतई तैयार नहीं थे. मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में दीपक सिंघल महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहें और अखिलेश यादव की सरकार बनने पर प्रमुख सचिव सिचाई जैसी अहम जिम्मेदारी निभाते रहें हैं. उन्हें लोक निर्माण एवं सिचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव के विशसनीय अफसरों में गिना जाता है. इसके उल्टे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कई मौकों पर उनसे अपनी नराजगी सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके हैं.
दीपक सिंघल और प्रवीर कुमार 1982 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और 2015 से ही मुख्य सचिव के वेतनमान में काम कर रहें हैं. सूबे में जब अखिलेश यादव की सरकार बनी और आजम खां के साथ प्रमुख सचिव के तौर पर काम करने के लिये कोई उपयुक्त अधिकारी नहीं सुलभ हुआ तो मंत्री की पसंद से प्रवीर कुमार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर इस पद पर बैठाया गया था. थोड़े ही दिनों में रिश्ते इतने खराब हो गये की मंत्री आजम खां को प्रवीर कुमार के बारे में पत्र लिखकर कहना पड़ा कि यह अधिकारी मुसलिमों का विरोधी है. इसके बाद प्रवीर कुमार को आजम खां के अन्दरखाने के विरोधी समझे जाने वाले स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन के साथ प्रमुख सचिव बनाया गया था. इसके बाद प्रवीर कुमार फिर से केन्द्र सरकार की सेवा में चले गये और पिछले वर्ष दुबारा एकदम से फिर प्रदेश सरकार की सेवा में आ गये थे.
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