AMU वीसी के RSS की इफ्तार में जाने से मचा बवाल
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिीनैन्ट जनरल जमीर उद्दीन शाह ने आरएसएस के इफ्तार में भाग लेने पर उन पर होने वाली आलोचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मैंने काफी सोच विचार के बाद आरएसएस द्वारा आयोजित इफतार में भाग लेने का जानबूझ कर निर्णय लिया था और आशा के अनुरूप इसके लिये मुझ पर आलोचनाओं का सिलसिला जारी है.
हमें वास्तविकता का सामना करना चाहिए और उन लोगों के बारे में हमें जानकारी होनी चाहिए जो विश्वविद्यालय के पक्ष में मामलात पर प्रभावित हो सकते हैं. हमें अपनी स्वाभिमान का सौदा किये बिना उनसे वार्तालाप का दरवाजा खुला रखना चाहिये.
कुलपति ने कहा कि क्या इस वास्तविकता को नकारा जा सकता है कि मुसलमानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वीकार कर लिया है? उन्होंने कहा कि हम इस वास्तविकता की अनदेखी नहीं कर सकते के अन्तर्राष्ट्रीय मामलात में भारत के प्रभाव में वृद्वि हुई है. यदि मुसलमान वर्तमान सरकार की अनदेखी करेंगे तो यह उनके लिये अत्यन्त हानिकारक होगा.
जनरल शाह ने कहा कि हमें सर सैय्यद के विकासोन्मुख रवैय्ये से प्रेणा हासिल करनी चाहिये. सर सैय्यद ने समय की नब्ज़ को पहचान कर भारत के मुसलमानों के विकास के लिये कार्य किया था जिसके लिये ब्रिटिश सरकार से मेलमिलाप के आधार पर उनको बदतरीन आलोचना का सामना करना पड़ा था.
लेकिन यह उन ही के प्रयासों का नतीजा है कि मुसलमानों ने स्वयं पर लादी हुई महरूमियत और मुख्य धारा से दूरी से बड़ी हद तक निजात प्राप्त करने में सफलता पाई तथा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना हुई.
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