सपा ने फोकस किया पूर्वांचल और मध्य की ओर, पश्चिमी यूपी से ध्यान हटाया
लखनऊ.2017 में होने वाले यूपी असेंबली इलेक्शन को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जहां बीजेपी पश्चिम से लेकर पूरब तक फोकस कर रही है तो सपा पूरब में अपने को और मजबूत करने में जुट गई है। दरअसल, हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार से यह चर्चा शुरू हो गई है कि सपा पश्चिम में कमजोर पड़ रही है। इसीलिए वह पूर्वी यूपी में अपनी जड़ें और मजबूत कर रही है। सीटों और पिछली दो कैबिनेट विस्तार में मंत्री पदों के बंटवारे पर गौर करें तो इस चर्चा को बल मिलता दिख रहा है।
2015 के कैबिनेट विस्तार में पश्चिमी यूपी से बनाए गए थे 3 कैबिनेट मंत्री...
- यूपी में हमेशा ही पॉलिटिकल मैन्युपुलेशन से चुनाव जीते जाते रहे हैं।
- ऐसे में पश्चिम में पिछले 4 साल में सारे हथकंडे आजमा चुकी सपा अब पूर्वांचल पर फोकस कर रही है।
- अक्टूबर 2015 में हुए कैबिनेट विस्तार में 5 कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे, जिसमें 3 पश्चिमी यूपी से थे। 1 मध्य से तो 1 पूरब से थे।
- वहीं, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार 8 बनाए गए थे, जिसमें केवल 2 पश्चिमी यूपी से थे, जबकि पूरब और मध्य मिलकर 6 मंत्री थे।
- इसके अलावा 7 राज्यमंत्री बनाए गए थे, जिसमें पश्चिम से कोई नहीं शामिल किया गया था।
- अक्टूबर 2015 में हुए कैबिनेट विस्तार में 5 कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे, जिसमें 3 पश्चिमी यूपी से थे। 1 मध्य से तो 1 पूरब से थे।
- वहीं, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार 8 बनाए गए थे, जिसमें केवल 2 पश्चिमी यूपी से थे, जबकि पूरब और मध्य मिलकर 6 मंत्री थे।
- इसके अलावा 7 राज्यमंत्री बनाए गए थे, जिसमें पश्चिम से कोई नहीं शामिल किया गया था।
लखनऊ से बनाए गए 3 मंत्री
- इसके बाद 27 जून 2016 को हुए कैबिनेट विस्तार में भी 2 कैबिनेट मंत्री बनाकर पूर्वांचल को तरजीह दी गई थी।
- वहीं, लखनऊ के 2 विधायकों को मंत्री बनाकर जताया गया कि पश्चिम की अपेक्षा अब लखनऊ ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- अब इस समय लखनऊ से 3 मंत्री हो गए हैं।
- वहीं, लखनऊ के 2 विधायकों को मंत्री बनाकर जताया गया कि पश्चिम की अपेक्षा अब लखनऊ ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- अब इस समय लखनऊ से 3 मंत्री हो गए हैं।
दूसरी पार्टियों की क्या है यूपी में स्थिति
- पश्चिमी यूपी के 13 जिलों में देखें तो बीएसपी के 23, बीजेपी के 10, कांग्रेस के 8, आरएलडी के 3 और पीस पार्टी के 1 विधायक हैं।
- जबकि मध्य यूपी के 7 जिलों में कांग्रेस के 3, बसपा के 6 और बीजेपी के 3 विधायक हैं।
- वहीं, पूर्वांचल के 11 जिलों में बसपा के 16, कांग्रेस के 3, बीजेपी के 8 और अन्य में 3 विधायक शामिल हैं।
- सपा के पश्चिम के 13 जिलों में 24 विधायक हैं तो मध्य के 7 जिलों में 38 विधायक हैं। वहीं, पूर्वी यूपी के 11 जिलों में 44 विधायक हैं।
- जबकि मध्य यूपी के 7 जिलों में कांग्रेस के 3, बसपा के 6 और बीजेपी के 3 विधायक हैं।
- वहीं, पूर्वांचल के 11 जिलों में बसपा के 16, कांग्रेस के 3, बीजेपी के 8 और अन्य में 3 विधायक शामिल हैं।
- सपा के पश्चिम के 13 जिलों में 24 विधायक हैं तो मध्य के 7 जिलों में 38 विधायक हैं। वहीं, पूर्वी यूपी के 11 जिलों में 44 विधायक हैं।
पश्चिमी यूपी में क्या है सपा की स्थिति
- पश्चिमी यूपी के 13 जिलों (रामपुर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, हापुड़, मेरठ, बागपत, बिजनौर, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और शामली) में 2012 में हुए चुनाव और फिर हुए उपचुनाव के नतीजों को देखे तो यहां सपा से केवल 24 विधायक हैं।
- वहीं, इन जिलों में कैबिनेट, राज्य मंत्री और दर्जा प्राप्त मंत्री भी केवल 24 ही हैं।
- वहीं, इन जिलों में कैबिनेट, राज्य मंत्री और दर्जा प्राप्त मंत्री भी केवल 24 ही हैं।
मध्य यूपी में ऐसी है सिचुएशन
- मध्य यूपी (लखनऊ, बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, बलरामपुर, सीतापुर और लखीमपुर) के आंकड़ों को देखें तो इन जिलों में सपा के 14 मंत्री और 38 विधायक हैं।
पूरब में ऐसी है स्थिति
- वहीं, पूरब के 11 जिलों (गोरखपुर, वाराणसी, कुशीनगर, संत कबीर नगर, बस्ती, गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ और मिर्जापुर) से 26 मंत्री और 44 विधायक हैं।
क्या कहना है पॉलिटिकल एक्सपर्ट का?
- सीनियर जर्नलिस्ट रतनमणि लाल कहते हैं कि सपा सरकार की आइडियोलॉजी कभी भी पश्चिम में स्वीकार ही नहीं हुई, क्योंकि सपा हमेशा ही बराबरी की बात करती है।
- उनका मानना है कि कोई अमीर है तो वह साथ वाले को गरीब न रहने दें लेकिन पश्चिम में चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, हर कोई पैसे से सक्षम है।
- यही वजह है कि सपा पश्चिम में कमजोर पड़ती है।
- वह आगे कहते हैं कि इन जगहों पर पोलराइजेशन के जरिए पॉलिटिकल मैन्युपुलेशन की भी कोशिश करने की कोशिश की गई, लेकिन उसमें भी सफल नहीं हुए।
- सपा की आइडियोलोजी मध्य और पूरब में फिट बैठती है। यही वजह है कि पूरब में सपा मजबूत है और अब ज्यादा फोकस कर रही है।
- उनका मानना है कि कोई अमीर है तो वह साथ वाले को गरीब न रहने दें लेकिन पश्चिम में चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, हर कोई पैसे से सक्षम है।
- यही वजह है कि सपा पश्चिम में कमजोर पड़ती है।
- वह आगे कहते हैं कि इन जगहों पर पोलराइजेशन के जरिए पॉलिटिकल मैन्युपुलेशन की भी कोशिश करने की कोशिश की गई, लेकिन उसमें भी सफल नहीं हुए।
- सपा की आइडियोलोजी मध्य और पूरब में फिट बैठती है। यही वजह है कि पूरब में सपा मजबूत है और अब ज्यादा फोकस कर रही है।
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