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उत्तर प्रदेश

बिना गोली, आतंकियों से लड़ रही हैं पैरामिलिट्री फोर्स, 9mm बुलेट में 75 फीसदी कमी


पठानकोट जैसे आतंकी हमलों और जंगलों में माओवादियों के खिलाफ मोर्चा संभालने वाली पैरामिलिट्री फोर्स के पास संसाधनों की भारी कमी है. आलम ये है कि जवानों को बुलेट की भी आपूर्ति सही से नहीं की जा रही है.



पैरामिलिट्री फोर्स की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली 9 एमएम बुलेट उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इसकी जरूरत न सिर्फ फायरिंग प्रैक्टिस के लिए होती है बल्कि कॉम्बैट ऑपरेशन में भी इसकी कमी खल रही है.



 



9.3 करोड़ बुलेट की जरूरत



इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मुताबिक, साल 2016-17 में 9 एमएम बुलेट की कमी करीब 75 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी. अभी पैरामिलिट्री और राज्य पुलिस को करीब 9.3 करोड़ बुलेट की जरूरत है, जबकि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) ने सिर्फ 2.3 करोड़ बुलेट देने पर ही सहमति जताई है.



 



OFB पर बनाया गया दबाव



गृह मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'मौजूदा सप्लाई पर भी काफी दबाव बनाए जाने के बाद सहमति बनी है. OFB ने पहले सिर्फ 75 लाख बुलेट देने की ही बात कही थी.'



 



बता दें कि 9mm सर्विस रिवॉल्वर, कार्बाइन के अलावा प्रैक्टिस के लिए भी इस्तेमाल की जाती हैं. इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल NSG कमांडो करते हैं.



 



गृह मंत्रालय ने बताई वजह



गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह समस्या पुलिस फोर्स में बढ़ोतरी की वजह से आई है. OFB सीमित मात्रा में 9mm बुलेट बनाता है और इसे सैन्य बलों को पहले उपलब्ध कराना ही प्राथमिकता है.

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