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उत्तर प्रदेश

‘कुर्बानी’ टिप्पणी विवाद: इरफान बोले- मौलवियों मुझे डराने की कोशिश मत करो

बकरा-ईद पर बकरों की कुर्बानी को बेमतलब बताते हुए इरफान खान ने जो बात कही उसकी लोगों और खासकर मुस्लिम मौलवियों ने कड़ी आलोचना की। बावजूद इसके, इरफान अपने बयान पर टिके हुए हैं। बयान की आलोचना होने के बाद इरफान खान ने फेसबुक पर एक स्टेटस लिखकर उनको बुरा-भला कह रहे लोगों को निशाने पर लिया है। इरफान ने लिखा, ‘प्लीज भाईयों, जो लोग मेरे बयान से खुश नहीं हैं वे लोग या तो कुछ सुनने को तैयार नहीं है या फिर किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए ज्यादा ही जल्दी में हैं। मेरे लिए धर्म का मतलब है आत्मनिरक्षिण, दया, ज्ञान और संयम का आना। ना कि रूढ़िबद्धता और कट्टरता का होना। मौलवी मुझे डराने की कोशिश ना करें। भगवान का शुक्र है कि मैं ऐसे देश में नहीं रहता जिसे धर्म के ठेकेदार चलाते हों। ‘ इससे पहले 49 साल के इरफान ने अपनी फिल्म मदारी के प्रोमेशन के दौरान जयपुर में कहा था कि लोगों को कुर्बानी का असली मतलब समझना चाहिए। उनके अनुसार बकरे खरीद कर उन्हें काटना कुर्बानी नहीं है।

इरफान के मुताबिक, ‘कुर्बानी का असली मतलब अपनी कोई प्यारी चीज कुर्बान करना होता है, ऐसी चीज जिससे आपका कोई रिश्ता जुड़ा हो जो आपको सबसे ज्यादा पसंद हो। लिहाजा इरफान के मुताबिक ये गलत है कि ईद से दो दिन पहले बकरा खरीद लें और उसकी कुर्बानी दी जाए। जब आपको उन बकरों से कोई लेना-देना नहीं है तो वो कुर्बानी कहां से हुई? उन्होंने कहा कि इससे कौन-सी दुआ कुबूल होती है? हर आदमी अपने दिल से पूछे कि किसी और की जान लेने से उसको कैसे पुण्य मिल जाएगा।’

इरफान ने आगे कहा कि भारत में ज्यादातर धर्मों के लोगों ने अपने रीति-रिवाजों का गलत मतलब समझ लिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म का सम्मान तभी होगा जब हमें उसके बारे में पूरी जानकारी होगी। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो खुशकिस्मत हैं कि एक ऐसे देश में पैदा हुए हैं जहां सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों का सम्मान किया जाता है।
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