यूपी चुनाव में सपा के चेहरा होंगे अखिलेश, मुलायम करेंगे मार्गदर्शन
दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही पार्टी के चुनावी चेहरा होंगे। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के मार्गदर्शन से पार्टी चुनावी रणनीति पर अमल करेगी। पार्टी अखिलेश सरकार के कामकाज और विकास के एजेंडे के सहारे चुनाव मैदान में उतरेगी। हिन्दी अख़बार के दिल्ली स्थित कार्यालय पहुंचे अखिलेश सरकार के मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कानून व्यवस्था, विकास के मोर्चे पर राज्य को पीछे धकेलने के विपक्ष के सभी आरोपों के जवाब दिए।
उन्होंने सवाल किया कि अगर कानून व्यवस्था खराब है तो गुजरात की कंपनियां निवेश करने उत्ततर प्रदेश कैसे पहुंच रही है। उन्होंने अखिलेश के नेतृत्व में फिर से सरकार बनने का दावा करते हुए कहा कि संख्या बल की दृष्टि से भाजपा और बसपा सपा से काफी पीछे होगी। बातचीत के दौरान उन्होंने भाजपा पर सांप्रदायिक तानाबाना बिगाडने की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा की इसी रणनीति के कारण उत्तर प्रदेश में साजिश वर्ष मना रही है।
राज्य में कानून व्यवस्था की लचर स्थिति संबंधी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए चौधरी ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था सुदृढ़ है। उन्होंने कहा कि भाजपा बीते करीब डेढ़ साल से कानून व्यवस्था बिगाडने की ीजिश रच रही है। कैराना, काठ, मुजफ्फरनगर में इसी साजिश के तहत सांप्रदायिक दंगे कराने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि यह अखिलेश सरकार की उपलब्धि है कि उसने सख्त कदम उठा कर भाजपा की साजिश नाकाम कर दी। चौधरी ने कहा कि साल 2016 चुनावी साल है। सरकार को बदनाम करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भाजपा लगेतार साजिश रच रही है। यही कारण है कि यूपी में चुनावी साल साजिशों का साल साबित हो सकता है।
चौधरी ने कहा कि अगर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं होती तो गुजरात की कंपनी अमूल और अन्य कई बड़ी कंपनियां राज्य में निवेश करने नहीं आती। खुद रतन टाटा यूपी के माहौल को बेहतर करार दे चुके हैं। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में राज्य में विद्युत उसत्पादन दोगुना हुआ है। अखिलेश सरकार ने इस दौरान बसपा सरकार की ओर से विरासत से मिले किसानों के 500 करोड़ और बिजली के 2500 करोड़ रुपये चुकाए। बुंदेलखंड पर मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रुचि दिखाते हुए 8 दौरे किए और सैकड़ों करोड़ रुपये विकास के मद में खर्च किए।
इस दौरान चौधरी ने दावा किया कि राज्य में मुकाबला भाजपा से है लेकिन वह काफी पीछे है। बसपा दौड़ से बाहर हो गई है। बसपा की नींव रखने वाले उसके महारथी भी पार्टी छोड़ रहे हैं। सपा को बहुमत मिलना तय है। चौधरी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर सीधा निशाना साधते हुए उन्हें छोटे सियासी कैरियर के आधार पर अनुभवहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि वह अपने भाषण के जरिए हमेशा सांप्रदायिक तानेबाने को तोडने की कोशिश करते हैं।
मोदी सरकार ने की महज भाषणबाजी
चौधरी ने इस दौरान भाजपा और मोदी सरकार पर महज भाषणबाजी करने और अपेक्षित सहयोग न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य में राजग के 73 सांसद और एक दर्जन मंत्री हैं। मगर मंत्रियों-सांसदों ने राज्य के विकास में रत्ती भर रुचि लेने के बदले सांप्रदायिक आवोहवा खराब करने में जुटे रहे।
कौमी एकता दल विलय पर पार्टी में विवाद नहीं
चौधरी ने कौमी एकता दल से विलय पर उपजे विवाद को पुरानी बात बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण को ले कर सपा परिवार में कोई विवाद नहीं है। जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है तो वह शुरू से ही विकास के समर्थन और अपराध के विरोध में खड़े रहे हैं।
उन्होंने सवाल किया कि अगर कानून व्यवस्था खराब है तो गुजरात की कंपनियां निवेश करने उत्ततर प्रदेश कैसे पहुंच रही है। उन्होंने अखिलेश के नेतृत्व में फिर से सरकार बनने का दावा करते हुए कहा कि संख्या बल की दृष्टि से भाजपा और बसपा सपा से काफी पीछे होगी। बातचीत के दौरान उन्होंने भाजपा पर सांप्रदायिक तानाबाना बिगाडने की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा की इसी रणनीति के कारण उत्तर प्रदेश में साजिश वर्ष मना रही है।
राज्य में कानून व्यवस्था की लचर स्थिति संबंधी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए चौधरी ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था सुदृढ़ है। उन्होंने कहा कि भाजपा बीते करीब डेढ़ साल से कानून व्यवस्था बिगाडने की ीजिश रच रही है। कैराना, काठ, मुजफ्फरनगर में इसी साजिश के तहत सांप्रदायिक दंगे कराने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि यह अखिलेश सरकार की उपलब्धि है कि उसने सख्त कदम उठा कर भाजपा की साजिश नाकाम कर दी। चौधरी ने कहा कि साल 2016 चुनावी साल है। सरकार को बदनाम करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भाजपा लगेतार साजिश रच रही है। यही कारण है कि यूपी में चुनावी साल साजिशों का साल साबित हो सकता है।
चौधरी ने कहा कि अगर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं होती तो गुजरात की कंपनी अमूल और अन्य कई बड़ी कंपनियां राज्य में निवेश करने नहीं आती। खुद रतन टाटा यूपी के माहौल को बेहतर करार दे चुके हैं। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में राज्य में विद्युत उसत्पादन दोगुना हुआ है। अखिलेश सरकार ने इस दौरान बसपा सरकार की ओर से विरासत से मिले किसानों के 500 करोड़ और बिजली के 2500 करोड़ रुपये चुकाए। बुंदेलखंड पर मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रुचि दिखाते हुए 8 दौरे किए और सैकड़ों करोड़ रुपये विकास के मद में खर्च किए।
इस दौरान चौधरी ने दावा किया कि राज्य में मुकाबला भाजपा से है लेकिन वह काफी पीछे है। बसपा दौड़ से बाहर हो गई है। बसपा की नींव रखने वाले उसके महारथी भी पार्टी छोड़ रहे हैं। सपा को बहुमत मिलना तय है। चौधरी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर सीधा निशाना साधते हुए उन्हें छोटे सियासी कैरियर के आधार पर अनुभवहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि वह अपने भाषण के जरिए हमेशा सांप्रदायिक तानेबाने को तोडने की कोशिश करते हैं।
मोदी सरकार ने की महज भाषणबाजी
चौधरी ने इस दौरान भाजपा और मोदी सरकार पर महज भाषणबाजी करने और अपेक्षित सहयोग न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य में राजग के 73 सांसद और एक दर्जन मंत्री हैं। मगर मंत्रियों-सांसदों ने राज्य के विकास में रत्ती भर रुचि लेने के बदले सांप्रदायिक आवोहवा खराब करने में जुटे रहे।
कौमी एकता दल विलय पर पार्टी में विवाद नहीं
चौधरी ने कौमी एकता दल से विलय पर उपजे विवाद को पुरानी बात बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण को ले कर सपा परिवार में कोई विवाद नहीं है। जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है तो वह शुरू से ही विकास के समर्थन और अपराध के विरोध में खड़े रहे हैं।
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