सियासी संरक्षण की तलाश में स्वामी प्रसाद दर-दर भटक रहे
लखनऊ : बसपा से बगावत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को सियासी संरक्षण की भी तलाश है। शुक्रवार को अचानक दिल्ली पहुंचे मौर्य द्वारा भाजपा के शीर्ष नेताओं से संपर्क साधने की चर्चाएं चलती रहीं। वहीं कांग्रेस भी स्वामी को साधने में जुट गयी है।
बसपा के बाद समाजवादी सरकार पर बरसे नेता विपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने स्पष्ट कर दिया कि वह साइकिल की सवारी करने के लिए उतावले नहीं हैं। ऐसे में स्वामी के सामने दो बड़े दलों भाजपा व कांग्रेस के विकल्प भी खुले हैं। गुरुवार की देर रात भाजपा के दो नेताओं से हुई उनकी मुलाकात को भी इसी से जोड़ा जा रहा है परन्तु स्वामी प्रसाद इस मुद्दे पर जुबान खोलने का तैयार नहीं हैं।
वहीं, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद से तार जोड़ने की कोशिश की है। खासकर अमेठी और रायबरेली क्षेत्र के कई प्रमुख नेता इस मुहिम में जुटे हैं, प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद से इस बावत चर्चा भी हो चुकी है।
छोटे दलों का साझा फ्रंट बनाने की जुगत : बागी स्वामी प्रसाद को जोड़ने के लिए पीस पार्टी जैसे दलों ने प्रयास किया है। पीस पार्टी प्रमुख डा.अय्यूब ने भी मौर्य से मिलकर साझा फ्रंट बनाने की पेशकश की है। बसपा व सपा से पंगा ले चुके मौर्य अभी पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं। आगामी एक जुलाई को समर्थकों की बैठक में फैसला लेने की बात कर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य भी जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के मूड में नहीं, इसलिए सभी संभावनाओं को तौलने में लगे हैं। मौर्य के अगले कदम का फैसला एक जुलाई की सभा के बाद ही संभव होगा क्योंकि बसपा से बागी होकर अलग वजूद बनाने की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ सकी है और मौर्य भी इस सच्चाई को बखूबी जानते हैं।
जो बसपा का न हुआ, वह सपा का कैसे हो सकता है। स्वामी प्रसाद मौर्य को बसपा ने जरूरत से ज्यादा दिया, इसके बाद भी उन्होंने पाला बदल लिया। -शिवपाल यादव
स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा के अलावा कोई दल सम्मान नहीं दे सकता। सपा में उन्हें बिना आंसू रोना पड़ेगा, क्योंकि सपाई गैर यादवों को मारते भी हैं और रोने भी नहीं देते। -डॉ. रामशंकर कठेरिया
बसपा के बाद समाजवादी सरकार पर बरसे नेता विपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने स्पष्ट कर दिया कि वह साइकिल की सवारी करने के लिए उतावले नहीं हैं। ऐसे में स्वामी के सामने दो बड़े दलों भाजपा व कांग्रेस के विकल्प भी खुले हैं। गुरुवार की देर रात भाजपा के दो नेताओं से हुई उनकी मुलाकात को भी इसी से जोड़ा जा रहा है परन्तु स्वामी प्रसाद इस मुद्दे पर जुबान खोलने का तैयार नहीं हैं।
वहीं, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद से तार जोड़ने की कोशिश की है। खासकर अमेठी और रायबरेली क्षेत्र के कई प्रमुख नेता इस मुहिम में जुटे हैं, प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद से इस बावत चर्चा भी हो चुकी है।
छोटे दलों का साझा फ्रंट बनाने की जुगत : बागी स्वामी प्रसाद को जोड़ने के लिए पीस पार्टी जैसे दलों ने प्रयास किया है। पीस पार्टी प्रमुख डा.अय्यूब ने भी मौर्य से मिलकर साझा फ्रंट बनाने की पेशकश की है। बसपा व सपा से पंगा ले चुके मौर्य अभी पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं। आगामी एक जुलाई को समर्थकों की बैठक में फैसला लेने की बात कर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य भी जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के मूड में नहीं, इसलिए सभी संभावनाओं को तौलने में लगे हैं। मौर्य के अगले कदम का फैसला एक जुलाई की सभा के बाद ही संभव होगा क्योंकि बसपा से बागी होकर अलग वजूद बनाने की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ सकी है और मौर्य भी इस सच्चाई को बखूबी जानते हैं।
जो बसपा का न हुआ, वह सपा का कैसे हो सकता है। स्वामी प्रसाद मौर्य को बसपा ने जरूरत से ज्यादा दिया, इसके बाद भी उन्होंने पाला बदल लिया। -शिवपाल यादव
स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा के अलावा कोई दल सम्मान नहीं दे सकता। सपा में उन्हें बिना आंसू रोना पड़ेगा, क्योंकि सपाई गैर यादवों को मारते भी हैं और रोने भी नहीं देते। -डॉ. रामशंकर कठेरिया
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