Home > राज्य > उत्तर प्रदेश > स्वामी के BSP छोड़कर जाने से माया को लगा है झटका , अब अपने खास सिपाहसलाहरों पर पहरा लगा दिया हैं.
स्वामी के BSP छोड़कर जाने से माया को लगा है झटका , अब अपने खास सिपाहसलाहरों पर पहरा लगा दिया हैं.
बहनजी को मोर्या के पार्टी छोड़ने के बाद बहुत गहरी चोंट लगी हैं. इस चोंट से जख्मी हुई बहनजी ने अब अपने खास सिपाहसलाहरों पर पहरा लगा दिया हैं.
स्वामी के BSP छोड़कर जाने से माया को लगा है झटका
सूत्रों के मुताबिक अपने बेहद करीबी रहे नेता विधानमंडल और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मोर्या के पार्टी छोड़कर चले जाने के बाद मायावती को इतना तगड़ा झटका लगा हैं कि उन्होंने अपने दूसरे करीबी नेता नसीमुद्दीन की पहरेदारी शुरू करा दी हैं. दरअसल मायावती को डर है कि सपा और बीजेपी मिलकर कहीं उनके दूसरे सिपाहसलाहर को ना तोड़ लें. इसके चलते उन्होंने अपने कार्यालय के एक सबसे करीबी समझे जाने वाले एक OSD को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है, जो अब पार्टी नेता नसीमुद्दीन पर यह नजर रखेगा कि वह किस्से मिलते और किसके पास जा रहे है.
UP में अभी तक BSP सबसे मजबूत पार्टी
दरअसल यूपी के सियासती अखाड़े में अब तक सबसे मजबूत पार्टी मायावती की बसपा ही नजर आ रही हैं. जिसके चलते बीजेपी और सपा पर साल 2017 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में संकट के बदल मंडराते नजर आ रहे हैं. इसी का नतीजा हैं कि दोनों ही पार्टी मायावती का आत्मविश्वास गिराकर उनके पाले में जाती जीत को अपने पाले में करने के लिए राजनीति के सभी दांवपेंच खेलने में जुटे दिखाई दे रहे हैं. यही नहीं बसपा सुप्रीमो बहनजी भी इस बात को भलीभंति जानती है. लेकिन बुधवार को स्वामी प्रसाद मोर्या के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.
स्वामी के मामले में मात खा गईं माया
बताया जाता है कि अन्य लोगों पर उन्हें पार्टी छोड़कर जाने का शक था, लेकिन मौर्या पर नहीं. इसी को लेकर उन्होंने गोरखपुर कि चिल्लूपार सीट से MLA रहे राजेश त्रिपाठी को पार्टी छोड़कर जाने से पहले ही बहार का रास्ता दिखा दिया. इसी तरह अन्य लोगों को भी पहले ही बहार निकाल दिया. पर स्वामी प्रसाद इतने करीबी रहे की उन पर बहनजी का शक तक नहीं गया. नहीं तो वह उन्हें पहले ही निकलकर बाहर कर देती.
सूत्रों के मुताबिक चार बार सीएम रह चुकी बसपा सुप्रीमो मायावती अपने इस सूबे की जनता को इतने साल राजनीति करने के बाद अच्छी तरह पहचान चुकी हैं और वह यूपी की सियासत से अनभिज्ञ नहीं हैं. यह बात सपा और बीजेपी दोनों ही जानते है. नतीजतन दोनों ही पार्टी राज्य के छोटे-छोटे दलों का विलय अपनी पार्टी में कर मायावती को टक्कर देकर अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए प्रयासरत है. फिलहाल अब बसपा सुप्रीमो भी सतर्क हो चुकी है.
स्वामी के BSP छोड़कर जाने से माया को लगा है झटका
सूत्रों के मुताबिक अपने बेहद करीबी रहे नेता विधानमंडल और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मोर्या के पार्टी छोड़कर चले जाने के बाद मायावती को इतना तगड़ा झटका लगा हैं कि उन्होंने अपने दूसरे करीबी नेता नसीमुद्दीन की पहरेदारी शुरू करा दी हैं. दरअसल मायावती को डर है कि सपा और बीजेपी मिलकर कहीं उनके दूसरे सिपाहसलाहर को ना तोड़ लें. इसके चलते उन्होंने अपने कार्यालय के एक सबसे करीबी समझे जाने वाले एक OSD को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है, जो अब पार्टी नेता नसीमुद्दीन पर यह नजर रखेगा कि वह किस्से मिलते और किसके पास जा रहे है.
UP में अभी तक BSP सबसे मजबूत पार्टी
दरअसल यूपी के सियासती अखाड़े में अब तक सबसे मजबूत पार्टी मायावती की बसपा ही नजर आ रही हैं. जिसके चलते बीजेपी और सपा पर साल 2017 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में संकट के बदल मंडराते नजर आ रहे हैं. इसी का नतीजा हैं कि दोनों ही पार्टी मायावती का आत्मविश्वास गिराकर उनके पाले में जाती जीत को अपने पाले में करने के लिए राजनीति के सभी दांवपेंच खेलने में जुटे दिखाई दे रहे हैं. यही नहीं बसपा सुप्रीमो बहनजी भी इस बात को भलीभंति जानती है. लेकिन बुधवार को स्वामी प्रसाद मोर्या के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.
स्वामी के मामले में मात खा गईं माया
बताया जाता है कि अन्य लोगों पर उन्हें पार्टी छोड़कर जाने का शक था, लेकिन मौर्या पर नहीं. इसी को लेकर उन्होंने गोरखपुर कि चिल्लूपार सीट से MLA रहे राजेश त्रिपाठी को पार्टी छोड़कर जाने से पहले ही बहार का रास्ता दिखा दिया. इसी तरह अन्य लोगों को भी पहले ही बहार निकाल दिया. पर स्वामी प्रसाद इतने करीबी रहे की उन पर बहनजी का शक तक नहीं गया. नहीं तो वह उन्हें पहले ही निकलकर बाहर कर देती.
सूत्रों के मुताबिक चार बार सीएम रह चुकी बसपा सुप्रीमो मायावती अपने इस सूबे की जनता को इतने साल राजनीति करने के बाद अच्छी तरह पहचान चुकी हैं और वह यूपी की सियासत से अनभिज्ञ नहीं हैं. यह बात सपा और बीजेपी दोनों ही जानते है. नतीजतन दोनों ही पार्टी राज्य के छोटे-छोटे दलों का विलय अपनी पार्टी में कर मायावती को टक्कर देकर अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए प्रयासरत है. फिलहाल अब बसपा सुप्रीमो भी सतर्क हो चुकी है.
Next Story