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उत्तर प्रदेश

अपनी राजनीति से आपको बर्खास्त करता हूं बहिनजी!

लखनऊ।बीस साल तक मायावती के साथ का सफर बुधवार को एक झटके में खत्म हो गया। स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी छोड़ने से पहले उन्हीं की शैली में लंबा पत्र जारी कर उन पर जोरदार हमला किया और कहा कि बहिन जी अपनी राजनीति से आपको बर्खास्त करता हूं। मौर्य ने अपने पत्र में कहा कि मान्यवर कांशीराम की अपील पर दलितों ने अपने वोटों का सौदा बंद कर दिया लेकिन अब दलितों के वोटों का सौदा उनकी उत्तराधिकारी कर रही हैं। 2007 में बसपा की सरकार बनी। लेकिन आपने मान्यवर के नारे को बदल दिया। विधानसभा चुनाव 2012 के चुनाव में ढाई-तीन साल से तैयारी कर रहे 130 प्रत्याशियों का टिकट ऐन वक्त पर काटा गया और पैसे के बल पर नए प्रत्याशी तय किए गए। इसी का नतीजा था कि 2012 में चुनाव में हम 80 सीटों पर सिमट गए और आपके गोरखधंधे के चलते सपा को सरकार बनाने का मौका मिल गया। आपने अपनी गलतियों से सबक व प्रायश्चित करने के बजाय अपना गुस्सा जोनल कोर्डिनेटरों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन करके उतारा। यदि आपने उस वक्त चिंतन किया होता तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को जीरो पर आउट नहीं होना पड़ता। लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन का आधार आर्थिक मजबूती रहा। आपकी पैसे की भूख अब हवस बन गई है। यहां तक कि विधानसभा, सेक्टर, पोलिंग बूथ के कार्यकर्ताओं को भी हीं बख्शा गया। जिला पंचायत में भी टिकट का आधार यही रहा। जिसका नतीजा यह रहा कि बसपा के घोषित प्रत्याशी हार गए और कार्यकर्ता अपने दम पर लड़कर जीते। मैंने अगस्त, 2014 में आपसे कहा था कि यह परिणाम पैसे लेकर टिकट देने के फलस्वरूप आया है इसलिए 2017 में टिकट देने का आधार बदला जाए। 2017 में जनता ने बसपा सरकार बनने की उम्मीदें पाल रखी हैं कि आपके सीएम बनने के बाद कानून का राज होगा, गुण्डाराज का सफाया होगा लेकिन आप जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही हैं। मैंने आपसे कहा था कि 2012 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशियों को टिकट दिया जाए लेकिन सभी सीटों पर पैसों को आधार बना कर प्रत्याशी का चयन दुर्भाग्यपूर्ण है।

बसपा अपने पिछड़ी जाति के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ कर चले जाने के नफा-नुकसान का आकलन करने में जुट गई है। उम्मीद है कि मायावती अगले एक-दो दिन में पिछड़ी जातियों को पार्टी से जोड़ने के काम को गति देने के लिए कोई फैसला ले सकती है। सियासी हलकों में मायावती के अगले कदम पर निगाहें लग गयी है। सूत्रों के अनुसार मौर्य प्रकरण पर बसपा मुखिया ने पार्टी के बड़े नेताओं से बात की। अलबत्ता पार्टी का मानना है कि स्वामी प्रसाद के जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होने वाला। उलटे पार्टी छोड़ कर या निकाले गये नेताओं की कुछ समय बाद सियासी अहमियत खत्म हो जाती है। पार्टी के पास ऐसे दर्जनों नेताओं के उदाहरण हैं जिनका बसपा से नाता खत्म होने के बाद वह राजनीतिक परिदृश्य से ही बाहर हो गये।
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