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उत्तर प्रदेश

अखिलेश ने कड़े फैसलों से खुद को साबित किया

सपा की सरकार में ‘कई मुख्यमंत्री’ होने की बात भले ही कही जाती रही हो, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिछले चार साल के कार्यकाल में किए कई कड़े फैसलों से जहां खुद को साबित किया है, वहीं यह भी संदेश दिया है कि वे अपनी क्लीन इमेज के प्रति कितने सतर्क हैं। ये फैसले उन्होंने सियासत में ही नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी में भी किए। गोंडा के राजा आनंद सिंह के बेटे कीर्तिबर्धन सिंह ने जब सपा का दामन छोड़ा तो उन्होंने बेटे के प्रति नरम रुख दिखाए जाने पर कैबिनेट मंत्री आनंद सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जबकि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उनको 2012 के आम विधानसभा चुनाव से पहले जोड़ा था। कैबिनेट मंत्री राजा राम पांडेय के एक महिला डीएम के प्रति अशोभनीय टिप्पणी उनको रास नहीं आई और उन्हें हटाने में उनको कुछ ही मिनट लगे। यह बात दीगर है कि श्री पांडेय की बाद में हृदयगति रुकने से आकस्मिक मौत हो गई। राज्य मंत्री पंडित सिंह की दंबगई भी उन्हें रास नहीं आई और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। बाद में उनको प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री के रूप में वापस लिया गया। कुंडा के सीओ जिया उल हक ही हत्या की सीबीआई जांच हुई तो उन्होंने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से इस्तीफा ले लिया। सीबीआई की क्लीन चिट मिलने के बाद ही उन्हें कैबिनेट में वापस लिया गया। आठ मंत्रियों की अपने मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी और नौ मंत्रियों के विभाग छीनकर पैदल कर दिया। यह बात दीगर है कि बाद में इन नौ मंत्रियों को विभाग बदलकर दिए गए, लेकिन उन्होंने यह संदेश दे ही दिया कि इन मंत्रियों की राजनैतिक हनक कम की गई है। फैसला वापस लेने का साहस : मुख्यमंत्री ने सबसे पहला बड़ा फैसला विधायकों को विधायक निधि से कार-जीप खरीदने का किया था, यह फैसला उन्होंने इसलिए किया था कि बहुत से ईमानदार विधायक, मंत्री लोन लेकर कार, जीप नहीं खरीद पाते। यह बात दीगर है कि आलोचना के मद्देनजर उन्हें इसे वापस लेना पड़ा।



वापसी पर अड़ गए मुख्यमंत्री


अखिलेश की हनक यहीं नहीं रुकी। जब उनके खास आंनद भदौरिया और सुनील साजन को जब पार्टी से निकाला गया तो वे उनकी वापसी पर अड़ गए। उनके तेवर देखकर उनकी वापसी होके रही। यहां तक कि आनंद भदौरिया और सुनील साजन व संजय लाठर को एमएलसी तक बन गए। लेकिन इनके जीतते ही उन्होंने बागी रामपाल यादव का होटल और कामर्शियल काम्पलैक्स आदि सब जेसीबी से तुड़वाकर यह दिखा दिया कि मुख्यमंत्री की हनक क्या होती है।





अतीक को भी दिखाए तेवर


पिछले दिनों एक समारोह में मुखयमंत्री अखिलेश यादव ने मंच पर नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहे बाहुबली अतीक अहमद को धकियाकर यह संदेश दिया कि वे अपराधिक छवि के लोगों से दूरी बनाना पसंद करते हैं।


समाजवादी पार्टी में जब पश्चिमी यूपी के बाहुबली को शामिल करने की तैयारी हो गई थी तो उनके कड़े तेवरों से डीपी यादव को पार्टी में शामिल करने की तैयारी रखी रह गई और डीपी यादव एंड कंपनी को अखिलेश यादव के तेवरों के आगे मुंह की खानी पड़ी।




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