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उत्तर प्रदेश

अमित शाह से कई मुलाकातों के बाद स्वामी ने छोड़ी पार्टी

बसपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को पार्टी सुप्रीमो मायावती पर गंभीर आरोप लगते हुए पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों की माने तो लंबे समय से मायावती के बेहद करीबी नेता रहे मौर्य अब बीजेपी की और से यूपी के विधानसभा चुनाव में सीएम पद के प्रत्याशी घोषित किये जा सकते है. इन्हीं शर्तों के साथ उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती को बाई-बाई बोल दिया है.

मोर्या के करीबी लोगों के मुताबिक पिछले छह महीने से वह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के टच में थे. यहाँ तक शाह से उनकी दो मुलाकातें भी दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में गोपनीय तौर पर हुई थी. पिछले महीने भी शाह के बुलावे पर वह उनसे दिल्ली मिलने गए थे. लेकिन मामला यहीं पर आके फंसा हुआ था कि अगर वह बहनजी का साथ छोड़कर बीजेपी में आते है तो उन्हें क्या सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया जायेगा. फिलहाल कई बैठकों के बाद स्वामी प्रसाद कि यह शर्त पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मानने के लिए मजबूर हो गए और उन्होंने मायावती का साथ बुधवार को छोड़ने का एलान कर दिया. दरअसल अमित शाह के पास भी उनकी इस शर्त को मानने के अलावा कोई और चारा नहीं था. नतीजतन उन्होंने मोर्या कि शर्त मान ली.

चुनाव से पहले माया की हुई बड़ी हार

सूत्रों के मुताबिक साल 2017 में यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक बार फिर से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व खड़ा करने कि तैयारी में है. जिसके चलते उसको सबसे बड़ा खतरा बसपा से ही लग रहा था. इसकी वजह से उसने मायावती के सबसे करीबी माने जाने वाले नेता स्वामी प्रसाद मोर्या से ही जोड़तोड़ बैठाकर उन्हें अपने पीला में खींचकर बसपा सुप्रीमो मायावती को चुनाव से पहले ही एक बहुत बड़ा झटका दे दिया है. हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि मोर्या बसपा छोड़कर कहां जा रहे हैं, लेकिन इस बात की चर्चा जगजाहिर हो चुकी है की वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.

माया को मोर्या के इस्तीफे से बड़ा झटका

सूत्रों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो बहन मायावती को मोर्या के इस्तीफे से बहुत बड़ा झटका लगा है और उन्होंने भी प्रेस कांफ्रेस बुलाई है. हालाँकि लखनऊ में बुधवार को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में मोर्या ने इस बात की घोषणा  कर दी है. उन्होंने पत्रकारों को बताया की बहनजी अंबेडकर के सिद्दांतों का खून कर रही हैं. इसके साथ पार्टी के नाम पर टिकट बेचने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा की यही वजह है कि वह बसपा से इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो गए.
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