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सरकार के मुंह पर तमाचा, वादों से तंग थे लोग, खुद ही 50 लाख में बना डाली 58 करोड़ की सड़क
हजारीबाग (झारखंड).झारखंड के एक गांव में सड़क नहीं थी। गांववालों की मांग पर बार-बार नेता सड़क बनवाने का वादा करते थे, पर कभी काम शुरू नहीं हुआ। आखिरकार वादों से तंग गांववालों ने खुद ही सड़क बना ली। ये मामला हजारीबाग जिले के लराही गांव का है। यह भी दिलचस्प है कि गांव वालों ने इस काम को पूरा करने में महज 50 लाख रु खर्च किए। इसी काम में सरकार 58 करोड़ रुपए खर्च कर देती।
डेढ़ किमी सड़क बनाने से गांव वालों को हुआ ये फायदा...
- डेढ़ किमी सड़क बनाकर गांववालों ने कोडरमा की दूरी भी 15 किमी कम कर दी।
- पहले कोडरमा जाने के लिए 45 किमी की दूरी तय करनी पड़ती थी। अब सिर्फ 30 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी।
- लोगों ने श्रमदान और चंदे के पैसे से न सिर्फ डेढ़ किमी लंबी सड़क बनाई, बल्कि करीब 100 फीट चौड़ी कोयला नदी पर पुल भी बना दिया।
हादसे में मर गए थे 6 गांववाले, फिर लिया पुल और सड़क बनाने का फैसला
- जिस कोयला नदी पर सड़क बनाई गई है बरसात में वहां 15 से 20 फीट पानी रहता है।
- सड़क-पुलिया बनाने में अहम रोल अदा करने वाले त्रिलोकी यादव ने बताया कि 1996 में नदी में नाव पलटी थी। इसमें छह लोगों की मौत हो गई थी।
- इसके बाद से ही गांववाले सड़क और पुल बनाने की मांग कर रहे थे। लेकिन नेताओं की ओर से सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा।
- उन्होंने बताया, आखिरकार गांव वाले चंदे और श्रमदान से यहां पुल और सड़क बनाने के लिए राजी हुए।
सरकारी काम होता तो 58 करोड़ खर्च होता, गांववालों ने 50 लाख में पूरा किया
- सड़क के अलावा गांववालों ने दो और छोटी-छोटी पुलिया बनाई गई। इस काम को करने के लिए 50 लोगों ने लगातार चार महीने तक काम किया।
- इस तरह ग्रामीणों ने सरकार की करीब 58 करोड़ का प्रोजेक्ट महज 50 लाख रुपए में पूरी कर दिया। इससे 20 से ज्यादा गावों को फायदा मिलेगा।
- 28 फरवरी 2016 से यह काम शुरू किया गया था, करीब चार माह में ही 85 पर्सेंट काम पूरा कर अपनी एकता की ताकत दिखाई।
ऐसे गांववालों ने मिलकर किया काम
- काम के लिए दो पोकलेन करीब 11 सौ घंटा चलाई गई। इसका मार्केट रेट 15 सौ रुपए प्रति घंटा है। पांच हाइवा एक महीना चला। हाइड्रा छह दिन, जेसीबी छह दिन।
- श्रमदान करने के लिए लराही गांव से रोज 50 महिला-पुरुषों ने लगातार तीन महीने तक काम किया।
- यहां तक कि ग्रामीणों ने होली, रामनवमी जैसे त्योहारों पर भी काम किया। सड़क बनाने को ही किसी त्योहार से ऊंचा दर्जा देकर दिनभर काम में जुटे रहे।
- एक बड़ा पुल और दो पुलिया बनाने का काम 5 जून 2016 से शुरू किया गया था। पुल बनाने के लिए 85 पीस ह्यूूम पाइप लाने में दो दिन टेलर चला।
- 700 बैग सीमेंट, 30 ट्रैक्टर छरी (गिट्टी), 10 हाईवा बोल्डर, मेटल 55 ट्रैक्टर और 120 ट्रैक्टर बालू से सड़क और पुल बनाया।
विधायक ने कहा- यह सरकार के मुंह पर तमाचा
- गांववालों ने कहा कि नाव हादसे के बाद कई सांसद, विधायक ने पुल और सड़क का सपना दिखाया, लेकिन किसी ने काम पूरा नहीं किया।
- गांव के रामचंद्र यादव ने बताया, नेताओं के मुंह मोड़ने के बाद गांव के लोगों ने हिम्मत नहीं छोड़ी।
- सभी ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और उसका नतीजा आज हमारे सामने है।
- उधर, लोकल एमएलए मनोज कुमार यादव ने कहा, "गांववालों ने प्रशंसनीय काम किया है। एक मिसाल पेश की है जो सरकार के मुंह पर तमाचा है। जनप्रतिनिधियों के लिए भी एक सबक है।"
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