BJP का ब्रह्मास्त्र और माया का ट्रंप कार्ड पर इस्तेमाल करेगी सपा ?
यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का ब्रम्हास्त्र समाजवादी पार्टी चला सकती है. दरअसल सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव राजनीति के पुराने मंझे हुए खिलाडी है. लेकिन इस बार वह बीजेपी की तरह अपनी सियासत का एक नया प्रयोग करने वाले है. यह बात न ही उनकी पार्टी के नेताओं को पता है और न ही अन्य दल के नेताओं को. इसके चलते अगर मुलायम को इस दांव पेंच में कामयाबी मिलती है तो उनके बेटे की सरकार यूपी में बनना दोबारा तय है.
बसपा और बीजेपी को मात दे सकती है सपा
दरअसल यूपी में बनी सपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जहां बसपा सुप्रीमों मायावती अपने ट्रंप कार्ड को दबा कर बैठी है वहीँ बीजेपी सपा को उखाड़ फेंकने के लिए रोजाना नए पैतरे अपना रही है. यहां तक सपा के कई दिग्गजों से राजनीतिक जोड़तोड़ बैठाकर बीजेपी अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी है. इतना ही नहीं बीजेपी पूर्वांचल में भी दिग्गज नेताओं से जोड़तोड़ कर अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी है. जबकि सपा कहने को तो मथुरा कांड और कैराना में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार मामले से अभी तक उभर नहीं पाई है. लेकिन मुलायम सिंह यादव चुप है.
आखिर क्यों चुप है नेताजी ?
उनकी इस चुप्पी की खास वजह पार्टी को बदनाम कर रही बीजेपी की काट है. बताया जाता है कि यूपी में अगले साल होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अपने जिस ब्रह्मास्त्र को संभाल कर रखा हुआ था. वह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के हाथ लग चुका है और नेताजी इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कर सकते है. दरअसल कैराना मामले में जहां बीजेपी ने अपना तीन सदस्यीय दल जाँच के लिए भेज था वहीँ अब सपा ने कैराना में संतो का दल जांच के लिए भेजा है.
शिवपाल ने कैराना में जाँच के लिए भेजा संतो को
सूत्रों के मुताबिक इतने बड़े मामले में सपा कैराना में संतों के दल से जांच कराकर सूबे की जनता के सामने बीजेपी को बेनकाब करने का मन बना चुके है. इसीलिए मुलायम के छोटे भाई वह पार्टी के चुनाव की कमान अपने हाथों में थामने वाले नेता शिवपाल सिंह यह चाहते है कि बीजेपी जिन संतों के दम पर पूरे देश में अपनी पार्टी का डंका बजाती है. उन्हीं संतों के द्वारा उसे बेनकाब किया जाये तो प्रदेश की जनता में यह मैसेज जायेगा कि बीजेपी जानबूझकर सपा को बदनाम कर रही है.
बसपा और बीजेपी को मात दे सकती है सपा
दरअसल यूपी में बनी सपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जहां बसपा सुप्रीमों मायावती अपने ट्रंप कार्ड को दबा कर बैठी है वहीँ बीजेपी सपा को उखाड़ फेंकने के लिए रोजाना नए पैतरे अपना रही है. यहां तक सपा के कई दिग्गजों से राजनीतिक जोड़तोड़ बैठाकर बीजेपी अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी है. इतना ही नहीं बीजेपी पूर्वांचल में भी दिग्गज नेताओं से जोड़तोड़ कर अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी है. जबकि सपा कहने को तो मथुरा कांड और कैराना में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार मामले से अभी तक उभर नहीं पाई है. लेकिन मुलायम सिंह यादव चुप है.
आखिर क्यों चुप है नेताजी ?
उनकी इस चुप्पी की खास वजह पार्टी को बदनाम कर रही बीजेपी की काट है. बताया जाता है कि यूपी में अगले साल होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अपने जिस ब्रह्मास्त्र को संभाल कर रखा हुआ था. वह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के हाथ लग चुका है और नेताजी इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कर सकते है. दरअसल कैराना मामले में जहां बीजेपी ने अपना तीन सदस्यीय दल जाँच के लिए भेज था वहीँ अब सपा ने कैराना में संतो का दल जांच के लिए भेजा है.
शिवपाल ने कैराना में जाँच के लिए भेजा संतो को
सूत्रों के मुताबिक इतने बड़े मामले में सपा कैराना में संतों के दल से जांच कराकर सूबे की जनता के सामने बीजेपी को बेनकाब करने का मन बना चुके है. इसीलिए मुलायम के छोटे भाई वह पार्टी के चुनाव की कमान अपने हाथों में थामने वाले नेता शिवपाल सिंह यह चाहते है कि बीजेपी जिन संतों के दम पर पूरे देश में अपनी पार्टी का डंका बजाती है. उन्हीं संतों के द्वारा उसे बेनकाब किया जाये तो प्रदेश की जनता में यह मैसेज जायेगा कि बीजेपी जानबूझकर सपा को बदनाम कर रही है.
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