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उत्तर प्रदेश

प्रधानमंत्री तो बहुत आए-गए, मगर चंद्रशेखर को याद किया सिर्फ मोदी ने

नई दिल्लीः अगर इलाहाबाद में चंद्रशेखर पार्क के आसपास रहने वाले बुजुर्ग लोगों की मानें तो नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने यहां पहुंचकर महज 25 बरस की उम्र में शहादत देने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को याद किया। उनकी श्रद्धा में शीश झुकाया। इलाहाबाद वह शहर हैं, जिसने नेहरू, इंदिरा, वीपी सिंह, चंद्रशेखर जैसे प्रधानमंत्री दिए, इसके अलावा कई दूसरे प्रधानमंत्री भी यहां आ चुके हैं। आजाद की शहादतस्थल नजरअंदाज करने का यह हाल तब है जबकि पार्क शहर के बीचो-बीच पड़ता है।

दरअसल इलाहाबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहले से पार्क जाकर श्रद्धांजलि देने का कोई कार्यक्रम तय नहीं था। मगर अचानक उन्हें याद आया कि आजाद तो यहीं के पार्क में शहीद हुए थे। बस फिर क्या था उन्होंने प्रशासनिक मशीनरी को संदेश कराया कि उन्हें सुबह-सुबह आजाद पार्क जाकर भारत माता के पुत्र को श्रद्धांजलि देनी है। इस पर उनके जाने के लिए थोड़ी समय में सुरक्षा व्यवस्था हो गई। फिर पीएम मोदी निकल पड़े। वहां उन्होंने अकेले चंद्रशेखर आजाद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

अपने को गोली मार चंद्रशेखर ने कर लिया था 'आजाद'

अंग्रेजों पर खौफ का पर्याय बन गए थे महज 25 साल के चंद्रशेखर आजाद। 27 फरवरी 1931। स्थान अल्फ्रेड पार्क। इलाहाबाद के इस पार्क में मुखबिरों की सूचना पर अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया था। चंद्रशेखर बहादुरी से लड़ते रहे। उन्होंने प्रण कर रखा था कि वे कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे। चंद्रशेखर लड़ते रहे, अंग्रेजी पुलिस की हालत खराब हो गई। मगर अकेले दम तक कितना लड़ते। एक तरफ चंद पिस्तौल लेकर अकेले चंद्रशेखर मुकाबिल थे दूसरी तरफ पूरी की पूरी अंग्रेज पुलिस फोर्स। जब आखिरी गोली बची तो उन्होंने अंग्रेजों के हाथ न आने का प्रण पूरा करने के लिए खुद को उड़ा दिया।

नागरिकों के आंदोलन के बाद आजाद के नाम हुआ पार्क पहले आजाद के शहादतस्थल वाले पार्क का नाम अल्फ्रेड पार्क था। चंद्रशेखर आजाद के शहीद होने के चलते बाद में इस पार्क को उनके नाम समर्पित करने की मांग शुरू हुई। लंबा आंदोलन स्थानीय जनता ने खड़ा किया। आखिरकार अल्फ्रेड पार्क का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क कर दिया गया। जिससे यह पार्क युवा क्रांतिकारी की यादें ताजा करनेे वाला धरोहर बन गया है।

असहयोग आंदोलन बंद करने से खफा थे आजाद

गांधी जी ने जब 1922 में असहयोग आंदोलन अचानक बंद कर दिया था, तब चंद्रशेखर आजाद काफी निराश हुए थे और उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों को और तेज करने का फैसला किया। बाद में वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए।

नहीं सुना किसी प्रधानमंत्री का श्रद्धांजलि देना

सिविल लाइंस निवासी प्रोफेसर एके श्रीवास्तव कहते हैं कि उन्होंने आजाद के शहीदस्थल पर इससे पहले किसी प्रधानमंत्री के जाने के बारे में नहीं सुना। मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने आजाद को याद कर उनके शहादतस्थल पर नमन किया। पत्रकार संदीप मिश्रा कहते हैं कि चंद्रशेखर पार्क न शहर से दूर है न किसी मुसीबत भरे इलाके में। शहर के बीचोबीच प्राइम लोकेशन पर है। मगर शायद किसी को चंद्रशेखर से कोई-लेना नहीं था। जबकि इलाहाबाद से नाता रखने वाले नेहरू, इंदिरा गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर प्रधानमंत्री हुए मगर कभी युवावस्था में शहादत देने वाले इस क्रांतिकारी को श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचे।
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