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उत्तर प्रदेश

BJP के पॉवर ब्रोकर दांव में उलझे सिब्बल

नई दिल्लीः कांग्रेस नेता और मशहूर वकील कपिल सिब्बल से भाजपा ने पुरानी खुन्नस इस बार राज्यसभा चुनाव में निकालने की सोची है। यही वजह है कि कपिल सिब्बल यूपी के रास्ते राज्यसभा में घुस न सकें, इसके लिए साम-दाम और भेद तीनों चाल का पार्टी ने सहारा लिया है। पार्टी विद डिफरेंस और दूसरों को राजनीतिक शुचिता का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा ने कपिल का रास्ता रोकने के लिए पावर ब्रोकर का दांव खेलने से भी गुरेज नहीं किया। सत्ता के गलियारे में दौड़-भाग करने वाले बड़े बिल्डर व गुजरात में हीरा कारोबार करने वाले हरिहर महापात्रा की पत्नी प्रीति महापात्रा ने जब भाजपा के समर्थन से यूपी में 12 वें राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर निर्दलीय एंट्री मारी तो अपने विधायकों के क्रास वोटिंग की आशंका से सपा-बसपा की नींद ही उड़ गई। इसकी वजह भी है कि इन दोनों दलों ने चार साल से जिन विधायकों को हाशिए पर रखा या जिनका इस बार टिकट काटने की तैयारी की वे सभी विधायक अब भाजपा और प्रीति महापात्रा के संपर्क में चले गए हैं। ये विधायक अक्सर लखनऊ के उस पांच सितारा होटल के पास मंडराते दिख रहे, जहां प्रीति महापात्रा व राष्ट्रीय महासचिव अनिल जैन डेरा डाले हैं। भाजपा प्रीति को जिताकर सपा-बसपा को  विधानसभा चुनाव से पहले यह संदेश देकर हतोत्साहित करना चाहती कि उनके विधायक पार्टी के संपर्क में हैं।

क्या एक-एक करोड़ में बिक रहे माननीय

सूत्र बता रहे हैं कि राज्यसभा चुनाव में जीत के लिेए विधायकों के जुगाड़ में एक-एक करोड़ रुपये तक के ऑफर दिए जा रहे हैं। चूंकि चार साल बीत चुके हैं, अगले साल चुनाव हैं। इस नाते तमाम कई विधायक इस ऑफर को लपक लेने में कोई नुकसान नहीं देख रहे हैं। हालांकि एक करोड़ रुपये के ऑफर की अधिकृत तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है।

कपिल सिब्बल क्यों हैं भाजपा नेताओं के आंख की किरकिरी

दरअसल कपिल सिब्बल से भाजपा की पुरानी राजनीतिक अदावत है। अमित शाह आदि नेताओं के खिलाफ व अन्य मामलों में विरोधियों के वही मुकदमे लड़ते हैं। दूसरी तरफ संसद में भी कांग्रेस की तरफ से अपने वकालत के हुनर का इस्तेमाल सिब्बल भाजपा पर हमला करने में करते रहे हैं। इसे देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात से लाकर प्रीति को यूपी के सियासी मैदान में उतार दिया। कहा जा रहा कि प्रीति का धनबल ही विधायकों को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने को उकसा सकता है। शायद यही वजह रही कि अमित शाह ने बड़े कारोबारी की पत्नी को मैदान में उतारने का फैसला लिया।

आज विधानपरिषद चुनाव पर लगी निगाह

11 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव तो जुलाई में होना है मगर विधानपरिषद चुनाव शुक्रवार को है। सपा-बसपा से टिकट गंवाने वाले विधायकों के क्रास वोटिंग की चर्चा है। ऐसे में विधानपरिषद चुनाव में एक हद तक इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी।

राज्यसभा चुनाव में यूपी का समीकरण

राज्यसभा की कुल 11 सीटों पर भाजपा समर्थित प्रीति को लेकर 12 उम्मीदवार हैं। एक उम्मीदवार को जीत के लिए 34 विधायक चाहिए। सपा के सात उम्मीदवार उतारे हैं। उसे कुल 238 वोट चाहिेए। मगर उसके पास 229 विधायक हैं। इस प्रकार सपा को कम से कम नौ वोटों का और जुगाड़ करना होगा। बसपा के दो उम्मीदवार हैं। बसपा के पास पर्याप्त विधायक हैं।  भाजपा ने एक उम्मीदवार शिवप्रताप शुक्ला को खड़ा किया है। भाजपा के पास कुल 41 विधायक हैं। इस प्रकार शिवप्रताप शुक्ला आसानी से राज्यसभा चले जाएंगे। 34 वोट शुक्ला को खर्च होने के बाद बचे सात वोट प्रीति महापात्रा को भाजपा दिलाएगी।

कांग्रेस के सिब्बल के छह विधायक बने चुनौती

कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल के पास इस समय कुल 29 विधायक हैं। इस प्रकार जीत के लिए 34 का आंकड़ा जिताने के लिए उन्हें छह विधायक चाहिए। मगर प्रीति महापात्रा के मैदान में उतरने और सपा-बसपा के बागी तथा निर्दलीय विधायकों के लखनऊ के प्रीति महापात्रा के होटल में मंडराने से छह वोट जिताना उनके लिए चुनौती बन गया है।

ये बागी विधायक प्रीति की शरण में

समाजवादी पार्टी या बसपा ने अपने जिन विधायकों को इस बार टिकट काटने की तैयारी की है, वे असंतुष्ट हो गए हैं। इसके अलावा कुछ विधायक ऐसे हैं, जिन्हें पार्टी ने चार साल से हाशिये पर डार रखा है। जिस पर ये विधायक भविष्य अनिश्चित जानकर राज्यसभा के इस चुनाव में ही कुछ फीलगुड करने की ख्वाहिश रखते हैं। इन विधायकों में बसपा से गोरखपुर विधायक राजेशपति त्रिपाठी, बसपा विधायक बाला प्रसाद अवस्था रनेसा होटल में हाजिरी लगा चुके हैं। वहीं सपा से रविदास मेहरोत्रा के अलावा गुड्डू पंडित-मुकेश पंडित दोनों भाई भाजपा के समर्थक हैं। उन्हें पार्टी ने उनकी बुलंदशहर के शिकारपुर व डिबाई सीट से चुनाव लड़ाने को कहा है। इसके अलावा सपा के बागी विधायक रामपाल  भी प्रीति का समर्थन कर रहे हैं।

बसपा नेता बने प्रीति के लोकल गार्जियन

कभी जुगल किशोर बसपा मुखिया मायावती के आँखों के तारा रहे तो पार्टी ने राज्यसभा भेजने के साथ कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। मगर अनबन होने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके अलावा रामचंद्र प्रधान भी मायवती के करीबियों में रहे। मगर ये दोनों बसपा नेता आज प्रीति महापात्रा के यूपी में लोकल गार्जियन के तौर पर उनके लिए बसपा में सेंधमारी कर वोट जुटा रहे।

होटल की चुनौती से पार नहीं पा सकी सपा सरकार

जैसे ही गुजरात की बिजनेसमैन प्रीति महापात्रा की राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में यूपी में एंट्री हुई तो सपा के कान खड़े हो गए। जिस रनेशा होटल से उनके चुनाव का संचालन होता रहा, चर्चा रही कि वहां से विधायकों की खरीद-फरोख्त होती है। इस पर सपा सरकार ने छापेमारी कर नकदी की बरामदगी की तैयारी की थी। मगर इस बीच मथुरा हिंसा को लेकर प्रदेश सरकार बुरी तरह घिर गई। जिससे उसे होटल की चेकिंग का साहस सरकार नहीं जुटा सकी। इसका प्रीति को फायदा मिला और वे विधायकों से होटल में आसानी से संपर्क कर सकीं।
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