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उत्तर प्रदेश

राजेश त्रिपाठी ने क्षुब्ध होकर बसपा को अलविदा कह देने का फैसला लिया

लखनऊ. गोरखपुर की अपराजेय मानी जाने वाली हरिशंकर तिवारी की सीट को दो बार जीतने का करिश्मा करने वाले विधायक राजेश त्रिपाठी ने आज बसपा से इस्तीफ़ा दे दिया. हरिशंकर तिवारी को हराकर विधायक बने राजेश त्रिपाठी को मायावती ने अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया था. मिशन-2017 की तैयारियों में लगीं मायावती ने इस बार राजेश त्रिपाठी के स्थान पर हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी को टिकट देने का फैसला किया तो राजेश त्रिपाठी ने क्षुब्ध होकर पार्टी को ही अलविदा कह देने का फैसला कर लिया.

राजेश त्रिपाठी के पत्र की वह भाषा मौजूद है जो उनके भीतर के तूफ़ान को दर्शाती है. राजेश त्रिपाठी का पत्र हू-बी-हू यहाँ प्रस्तुत है :-

प्रियवर,

जय महाकाल !
……मिल रही सटीक सूचनाओं के आधार पर दिल से मुझे चाहने वाले बसपा के अपने साथियों से क्षमा मांगते हुये भारी मन से हम उस पार्टी से विदा लेना चाह रहे हैं, जिसकी आप सभी के भरोसे दस साल अपनी जान पर खेलकर सेवा की !
……जो सीट कभी अपराजेय मानी जाती थी, वह सीट आपके आशीर्वाद से जीत के लिए तरसती पार्टी की झोली में पड़ी !
जिसके लिये दो-दो बार हमारी हत्या की सुपारी दी गयी… चारित्रिक हनन का असफल प्रयास हुआ… हम उसे आज तिलांजलि देने जा रहे हैं !
………महर्षि अष्टावक्र के सिद्धांत
“जीवन एक सूखा पत्ता है, नियति रूपी हवा का झोंका उस सूखे पत्ते को कहां ले जायेगा, वह पत्ता नहीं जानता,…. नियति का वह झोंका उसे किसी मंदिर में देवता के चरणों में पटक देगा, या किसी श्मशान की जलती चिता में झोंक देगा, या फिर किसी बजबजाती नाली के कीड़ों के साथ सड़ने को विवश करेगा, या फिर किसी सत्ता सिंहासन तक उड़ाता हुआ पहुंचा देगा,…
……सूखे पत्ते को कुछ नहीं पता ”
को स्वीकार कर अपने को सूखा पत्ता मानते हुये नियति (महाकाल) के और आपके हवाले कर रहा हूं !



राजेश त्रिपाठी
विधायक चिल्लूपार
पूर्व राज्य मंत्री
(मुक्तिपथ वाले बाबा)
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