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उत्तर प्रदेश

यूपी की आर्थिक विकास दर और प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी हुई

लखनऊ. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप पिछले चार साल में उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है। बुनियादी सुविधाओं एवं कल्याणकारी योजनाओं से लोगों के जीवन स्तर में तेजी से बदलाव आया है। प्रदेश की आर्थिक विकास दर एवं प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि उपज, सिंचाई के साथ-साथ कृषि आधारित आर्थिक गतिविधियों से सम्बन्धित आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2012-13 की तुलना में ग्रामीण एवं नगरीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है।

यह जानकारी आज यहां देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश की जीएसडीपी में वर्ष 2012-13 की तुलना में 2.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2012-13 में प्रदेश की विकास दर जहां 3.9 फीसदी थी, वहीं 2015-16 में बढ़कर 6.6 हो गई। एनएसडीपी में भी प्रभावकारी प्रगति दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 में प्रदेश की एनएसडीपी 3.7 फीसदी थी, जो 2015-16 में बढ़कर 6.5 हो गई है। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आय में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की गई है। इस समय प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 48,584 रुपए है, जबकि वर्ष 2012-13 में 35,358 रुपए ही थी। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान राज्य सरकार की विकास परियोजनाओं का असर अब राज्य की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है।

प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार ने सभी क्षेत्रों में प्रभावी काम किया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में सीनियर बेसिक विद्यालयों में छात्र नामांकन अनुपात जहां 57.17 फीसदी था, वहीं वर्ष 2015 में इसमें तेजी से सुधार आया और यह अनुपात बढ़कर 65.95 हो गया। इस प्रकार 15 फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज की गई। जबकि बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्र-छात्राओं की दर में भी काफी सुधार आया है। वर्ष 2012 में जहां 49 फीसदी से अधिक छात्रों द्वारा बीच में पढ़ाई छोड़ दी जाती थी, वहीं अब यह संख्या घटकर करीब 39 फीसदी हो गई।

प्रदेश, मुख्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने पिछले एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष को किसान वर्ष घोषित करके कृषि अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती प्रदान करने का काम किया है। उन्होंने बताया कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जहां सिंचाई सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की गई, वहीं अधिकांश सिंचित क्षेत्रों का सदुपयोग करते हुए बुवाई क्षेत्रफल में वृद्धि करने का काम भी किया गया है। पिछले तीन वर्षों में इसमें काफी बढ़ोत्तरी हुई।

इसके साथ ही, कृषि निवेशों की उपलब्धता सुनिश्चित करके प्रति हेक्टेयर अधिक पैदावार प्राप्त करने का प्रयास किया गया। वर्ष 2012 में जहां प्रति हेक्टेयर औसत 23.91 कुन्टल उपज प्राप्त की गई थी, वहीं वर्ष 2015 में इसमें 5.02 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज करते हुए प्रति हेक्टेयर औसत 25.11 कुन्टल पैदावार प्राप्त की गई। कुल बोये गए क्षेत्रफल में वाणिज्यिक फसलों का हिस्सा करीब 258 फीसदी बढ़ा है। इससे किसानों के रुझान एवं उनकी आमदनी में हो रही बढ़ोत्तरी का आंकलन किया जा सकता है।
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