आखिर रामवृक्ष की मौत के दावों में कितना दम है
लखनऊ. आधिकारिक घोषणा हो चुकी है कि मथुरा का गुनाहगार रामवृक्ष मारा जा चुका है. उसकी लाश की शिनाख्त कर तस्वीर जारी कर दी गई है. रामवृक्ष द्वारा क़ब्ज़ा की गई 270 एकड़ ज़मीन भी मुक्त करा ली गई है. इस ज़मीन को मुक्त कराने में शहीद दोनों पुलिस अधिकारियों का अंतिम संस्कार भी हो चुका है. अब उस ज़मीन पर स्थापित रामवृक्ष के साम्राज्य का बारीकी से अध्ययन भी शुरू हो गया है. लेकिन रामवृक्ष के परिवार ने उस लाश की रामवृक्ष की लाश के रूप में पहचान नहीं की है. तो फिर आखिर रामवृक्ष की मौत के दावों में कितना दम है यह तो पता लगना ही चाहिए.
जय गुरु देव की मौत के बाद से लगातार माहौल खराब करने और लोगों को बहकाने का काम करता आ रहा रामवृक्ष समय-समय पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चुनौती देता रहता था. मथुरा के जवाहर बाग़ में हथियाई गई ज़मीन को खाली करने का आदेश मिलने के बाद भी रामवृक्ष ने ज़मीन खाली करने के बजाय पुलिस और प्रशासन से दो-दो हाथ करने का फैसला लिया था. उसने दो-दो हाथ किये भी.
रामवृक्ष के मारे जाने के पीछे क्या साक्ष्य हैं यह बात भी सामने आनी चाहिए. पुलिस ने रामवृक्ष के नाम पर जो तस्वीर जारी की है वह किसी स्वस्थ चेहरे वाले व्यक्ति की तस्वीर है जबकि रामवृक्ष सामान्य चेहरे वाला था. जो लाश दिखाई गई है उसकी उम्र भी रामवृक्ष से कम है.
रामवृक्ष शातिर दिमाग वाला शख्स रहा है. जय गुरु देव की सियासी ज़मीन पर क़ब्ज़े की कोशिश की थी. कामयाब नहीं हुआ तो खुद को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का वारिस समझने लगा. सत्याग्रह के नाम पर मथुरा में ज़मीन ली फिर उस पर काबिज़ हो गया. क़ब्ज़ा की गई ज़मीन पर हथियारों की बड़ी खेप जमा कर ली. पुलिस और प्रशासन से दो-दो हाथ करने को हमेशा तैयार रहा. उसे मालूम था कि अदालती आदेश हो चुका है. ज़मीन खाली कराने के लिए पुलिस और प्रशासन कभी भी धमक सकता है.
ऐसे में उसने क्या सुरक्षित निकल भागने का रास्ता तैयार नहीं कर लिया होगा ?
रामवृक्ष ने कब्जाई हुई ज़मीन पर खुद की बिजली जलाने के लिए बड़ी संख्या में बड़ी वाली बैटरियों का इंतजाम किया था. ए.के.47 जैसे हथियार जमा किये हुए थे. वह हिन्दुस्तान की पूरी व्यवस्था को अपने हिसाब से चलाने का मंसूबा पाले हुए था. ज़ाहिर है कि जो शख्स खुद की आड़ के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर सकता है वह इतनी आसानी से नहीं मर जाएगा. सवाल यह भी उठता है कि आखिर उसकी मौत की पुष्टि करने की इतनी जल्दी क्या थी ? इतने शातिर अपराधी जिस पर जलियावाला बाग़ जैसे हालात तैयार करने का इलज़ाम हो, जिसने दो बहादुर पुलिस अधिकारियों के खून से अपने हाथ रंगे हों उसकी मौत के लिए डीएनए टेस्ट तक रुकना नहीं चाहिए था ? पुलिस ने अपने दो अफसर खोये हैं इसलिए उसे रामवृक्ष की तलाश हर हाल में करनी चाहिए और इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल हुई है इसलिए उसे हर हाल में रामवृक्ष को तलाशना चाहिए. अगर वह जिंदा है तो आने वाले दिनों में इंसानी ज़िन्दगी के लिए फिर खतरा बनेगा.
जय गुरु देव की मौत के बाद से लगातार माहौल खराब करने और लोगों को बहकाने का काम करता आ रहा रामवृक्ष समय-समय पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चुनौती देता रहता था. मथुरा के जवाहर बाग़ में हथियाई गई ज़मीन को खाली करने का आदेश मिलने के बाद भी रामवृक्ष ने ज़मीन खाली करने के बजाय पुलिस और प्रशासन से दो-दो हाथ करने का फैसला लिया था. उसने दो-दो हाथ किये भी.
रामवृक्ष के मारे जाने के पीछे क्या साक्ष्य हैं यह बात भी सामने आनी चाहिए. पुलिस ने रामवृक्ष के नाम पर जो तस्वीर जारी की है वह किसी स्वस्थ चेहरे वाले व्यक्ति की तस्वीर है जबकि रामवृक्ष सामान्य चेहरे वाला था. जो लाश दिखाई गई है उसकी उम्र भी रामवृक्ष से कम है.
रामवृक्ष शातिर दिमाग वाला शख्स रहा है. जय गुरु देव की सियासी ज़मीन पर क़ब्ज़े की कोशिश की थी. कामयाब नहीं हुआ तो खुद को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का वारिस समझने लगा. सत्याग्रह के नाम पर मथुरा में ज़मीन ली फिर उस पर काबिज़ हो गया. क़ब्ज़ा की गई ज़मीन पर हथियारों की बड़ी खेप जमा कर ली. पुलिस और प्रशासन से दो-दो हाथ करने को हमेशा तैयार रहा. उसे मालूम था कि अदालती आदेश हो चुका है. ज़मीन खाली कराने के लिए पुलिस और प्रशासन कभी भी धमक सकता है.
ऐसे में उसने क्या सुरक्षित निकल भागने का रास्ता तैयार नहीं कर लिया होगा ?
रामवृक्ष ने कब्जाई हुई ज़मीन पर खुद की बिजली जलाने के लिए बड़ी संख्या में बड़ी वाली बैटरियों का इंतजाम किया था. ए.के.47 जैसे हथियार जमा किये हुए थे. वह हिन्दुस्तान की पूरी व्यवस्था को अपने हिसाब से चलाने का मंसूबा पाले हुए था. ज़ाहिर है कि जो शख्स खुद की आड़ के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर सकता है वह इतनी आसानी से नहीं मर जाएगा. सवाल यह भी उठता है कि आखिर उसकी मौत की पुष्टि करने की इतनी जल्दी क्या थी ? इतने शातिर अपराधी जिस पर जलियावाला बाग़ जैसे हालात तैयार करने का इलज़ाम हो, जिसने दो बहादुर पुलिस अधिकारियों के खून से अपने हाथ रंगे हों उसकी मौत के लिए डीएनए टेस्ट तक रुकना नहीं चाहिए था ? पुलिस ने अपने दो अफसर खोये हैं इसलिए उसे रामवृक्ष की तलाश हर हाल में करनी चाहिए और इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल हुई है इसलिए उसे हर हाल में रामवृक्ष को तलाशना चाहिए. अगर वह जिंदा है तो आने वाले दिनों में इंसानी ज़िन्दगी के लिए फिर खतरा बनेगा.
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