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उत्तर प्रदेश

उप्र में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को बसपा से समर्थन करेगी ?

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में 11 जून को होने वाले राज्यसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी द्वारा कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को समर्थन दिया जा सकता है। बसपा अध्यक्ष मायावती द्वारा मध्यप्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तंखा को समर्थन देने के बाद सियासी हलकों में यह अटकलें तेज हो गई है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में भी यह कदम उठा सकती है। सिब्बल की तरह  तंखा भी उच्चतम न्यायालय के जाने माने वकील हैं।

कांग्रेस नेताओं को भी यह उम्मीद है कि बसपा उत्तर प्रदेश में भी पार्टी उम्मीदवार को समर्थन दे सकती है। राज्यसभा चुनाव के लिए 34 वोटों के जादुई आंकडे को छूने के लिए पार्टी को 5 मतों की दरकार है। उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 29 सदस्य हैं। चुनाव में क्रास वोटिंग की आशंका के मद्देनजर कांग्रेस को कुछ अतिरिक्त सदस्यों के समर्थन की जरुरत होगी।

राजनीतिक सूत्रों  के अनुसार राज्यसभा चुनाव में अपने दोनो उम्मीदवारों को आसानी से जिताने के बाद बसपा के पास 12 अतिरिक्त वोट बचेंगे। पार्टी इन वोटों को कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को स्थानान्तरित करके उनके आसानी से राज्यसभा में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। उनका कहना है कि मायावती के नेतृत्व वाली बसपा इसके पहले पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के लिए पिछले माह संजीवनी का काम कर चुकी है। उत्तराखण्ड विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण के दौरान बसपा के दो विधायकों ने कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान करके उसे सत्ता से बेदखल होने से बचाया था।

उत्तर प्रदेश में 11 जून को राज्यसभा की 11 रिक्त सीटों के लिए चुनाव होगा। सूबे में सत्तारुढ समाजवादी ने 7, बसपा ने 2 और भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार को इस चुनाव मैदान में उतारा था और इनकी जीत लगभग तय मानी जा रही थी।  लेकिन नामांकन पत्र दाखिल करने के अन्तिम दिन भाजपा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्रा के मैदान में उतरने से चुनाव अपरिहार्य हो गया।

मुम्बई में रह रही महापात्रा नामांकन पत्रों की वापसी के बाद तीन जून को दिल्ली लौट गईं। सूत्रों के अनुसार वह एक ही दिन में लखनऊ वापस आ सकती हैं। सत्तारुढ सपा अपने मतों को एकजुट रखने के साथ कुछ निर्दलीयों और अन्य छोटे पार्टियों के वोट अपने पक्ष में सहेज रखने में जुटी है। दूसरी ओर, भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई ने अभी अपने पत्ते खोले नहीं हैं। लगता है कि पार्टी समर्थित दूसरे उम्मीदवार की सफलता के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा तय की जाएगी।
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