राजनीति में पर्यावरण हितैषी व्यक्तित्व के पर्याय: अखिलेश
अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के एक दिन पूर्व बुंदेलखंड में व्याप्त गंभीर जल संकट को दूर करने की दिशा में सौ बड़े तालाबों को खुदवाने के कार्य का निरीक्षण मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का अभूतपूर्व और विवेकशील निर्णय है.मानसून के पहले युद्ध स्तर पर तालाबों की उपस्थिति से न केवल जल संकट दूर करने की दिशा में बड़ी मदद मिलेगी बल्कि भूजल के गिरते स्तर को रोकने में सहायता मिलेगी.यूँ तो देश दुनिया के सभी प्रमुख मंचो पर पर्यावरण से जुड़े गंभीर खतरे की तरफ जोर-शोर से आवाज उठ रही है.लेकिन ऐसी ठोस नीति जिसके माध्यम से भूमंडलीय तापन को नियंत्रित किया जा सकता है,उसकी गति मंद है.वहीं दूसरी ओर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में समाजवादी विचार परम्परा की सरकार के मुखिया अखिलेश यादव लगातार इस दिशा में शासन की नीतियों के माध्यम से प्रभावी कदम उठा रहे हैं.चार साल के कार्यकाल में उनका पूरा ध्यान इको फ्रेंडली तकनीकी को प्रमुखता से लागू करने की ओर रहा है.मुख्यमंत्री कार्यालय को पेपरलेस करना,साइकिल ट्रैक के निर्माण और साइकिलिंग के लिए लखनऊ स्थित गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में 10793.70 लाख से वेलोड्रम स्टेडियम के निर्माण जिसके अंतर्गत आठ साइकिल ट्रक क्षमता वाले प्रदेश का पहला इनडोर स्टेडियम शामिल है,इसके साथ ही महोबा जिले के करहरकला गाँव में अब तक के सबसे बड़े 10 मेगावाट क्षमता के साथ 15 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष उत्पादन वाले सोलर प्लांट की स्थापना के साथ बुंदेलखंड के सभी जिलों में ऐसे प्लांट स्थापित करने जैसे कार्य पारिस्थितिकी संतुलन के हिसाब से कारगर कदम है.
यूपी के युवा मुख्यमंत्री का नाम पारिस्थितिकी संतुलन के लिए विशिष्ट काम करने वाले के तौर पर प्रमुख रूप से लिया जायेगा.जिसकी बड़ी वजह गोमती नदी का पुनरुद्धार है.आजादी के बाद मध्य और उत्तर भारत में नदियों के पुनरोद्धार की दिशा में अनेक सरकारों ने प्रयास किया.लेकिन जिस तीव्रता से गोमती रिवर फ्रंट के माध्यम से गोमती को यूरोप के टेम्स नदी की तरह खूबसूरत और उसमें जल संकट को दूर करते हुए नौकायन तक की व्यवस्था की जा रही है.ऐसा अन्यत्र देखने को नही मिला है.ऐसा तब हुआ है जब गोमती प्रदूषण का पर्याय हो चुकी थी और उसमें पानी की कमी सहित उसके वर्तमान रूप में कल्पना की बात लगभग असंभव हो गयी थी. यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि अखिलेश यादव न केवल पर्यावरण की तकनीकी पढ़ाई किये है,बल्कि विदेशों में इको फ्रेंडली तकनीकी का अनुभव करते हुए उपयोग भी किये है.जिसकी झलक उनके दृष्टिकोण से मिलती है.पर्यावरण हितैषी की छवि का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण एशिया के सबसे बड़े जैव विविधतापूर्ण पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क है.लखनऊ स्थित 376 एकड़ में बने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट जनेश्वर मिश्र पार्क के चारों तरफ ऑक्सीजन मित्र पीपल के पेड़ो का रोपण आने वाले समय में राजधानी की आबोहवा में गुणात्मक सुधार करेगा.जो शहर के प्रदूषण को तेजी से दूर करने में बेहद मददगार साबित होगा.सुबह-शाम जनेश्वर पार्क की आम जन में उपयोगिता स्वास्थ्य सहित प्राकृतिक रूप से विशेष संदर्भो वाला है.
जहाँ पूरी दुनिया अपने-अपने तौर तरीको से पर्यावरण को लेकर बेहद सजग और सतर्क हो रही है.वही हिन्दुस्तान के सबसे बड़े सूबे के मुखिया बीते चार वर्षों से शासन की हर संभव नीति के माध्यम से इको फ्रेंडली तकनीकी को बढ़ावा देने का सफल प्रयास करते दिख रहे हैं.मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भावी पीढ़ी के सतत विकास को लेकर हमेशा फिक्रमंद दिखाई पड़ते हैं.जिसके लिए वैकल्पिक उर्जा साधनों पर निर्भरता की पहल सुखद एहसास देती है.तिरपन फीसदी आबादी द्वारा साइकिल प्रयोग करने वाले नीदरलैंड की पहचान से बेहद प्रभावित होकर मुख्यमंत्री ने यूपी के प्रमुख शहरों में ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए नीदरलैंड की तर्ज पर साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया.जो राजधानी लखनऊ में बखूबी सफल और लोकप्रिय होता दिख रहा है.
अखिलेश यादव का सार्वजनिक मंचो से साइकिल का प्रयोग को बढ़ावा देना पारिस्थितिकी संतुलन बनाये रखने में दूरदर्शी कदम है.जिससे सार्वजनिक जीवन में छोटे दूरी के कार्यो के लिए साइकिल का प्रयोग जोर-शोर से बढ़ाया जा सके.जो न केवल पर्यावरण सुधार और फिटनेस बनाये रखने के लिहाज से बल्कि गंभीर ट्रैफिक समस्या से भी निजात दिलाने में मदद करेगा.इसी को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार ने साइकिल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत फैसला लिया.इसके अंतर्गत सभी मेट्रो शहरों में साइकिल ट्रैक बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया.लाल रंग के इस साइकिल ट्रैक में डेनमार्क/नीदरलैंड के सफल माडल के आधार पर यहाँ ट्रैफिक माडल बनाया जा रहा है.सरकार ने 1962 के भारतीय सड़क कांग्रेस के साइकिल ट्रैक के तहत डिज़ाइन और लेआउट के अनुसार जारी नियमों के अनुरूप नियमावली और निर्देशिका भी जारी किया है. जनवरी में नीदरलैंड के आधिकारिक टीम ने इस माडल का परीक्षण कर इसे चालू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी.प्रदेश के लखनऊ और नोएडा में ये साइकिल ट्रैक बन चुके और राजधानी में इसकी मुकम्मल शुरुआत भी हो गयी है.
राजनीति का असल काम जनता को बेहतर जीवन शैली प्रदान करने की दिशा में पार्टी,विचारधारा और सरकार के माध्यम से सतत प्रयास करते रहना होता है.इसके साथ ही कुछ बुनियादी बिन्दुओं पर काम करते हुए भविष्य के समाज निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित करना भी सत्ता प्रमुख की जिम्मेदारी होती है.पर्यावरण का संकट बेहद गंभीर मसला है,हर साल वर्षा में कमी,गर्मी में बढ़ता तापमान और ठंडक में वृद्धि,भूतापन,महासागरों का बढ़ता जलस्तर.ग्लेशियरों का पिघलना जारी है.ऐसे में समूचे विश्व के सभी देशों के सभी जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसके समाधान का रास्ता सुझाना चाहिए और यथा संभव कार्य भी करना चाहिए.यह सुखद संयोग है कि यूपी के युवा मुख्यमंत्री राजनीति की पेचीदगियों से इतर मानवता के लिए बेहद अहम पर्यावरण जैसे मसले पर लगातार अपनी दूरदर्शिता दिखा रहे हैं.साथ ही अन्य सत्ता केन्द्रों को यह सन्देश देने में सफल भी हो रहे हैं कि किस तरह अपने प्रतीक पुरुष के नाम पर स्थल के निर्माण में भी पर्यावरणीय हित को प्रमुखता दी जा सकती है.जिससे समाज के प्रत्येक नागरिक को उसकी जिम्मेदारी का बोध कराया जा सके इसके लिए अखिलेश यादव साइकिल चलाने से भी गुरेज नही करते.मई की चिलचिलाती धूप में जहाँ लोग वातानुकूलित वाहनों से ग्लोबल वार्मिग बढ़ा रहे थे,वहीं सत्ताधारी समाजवादी पार्टी की सरकार की नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए अपने कार्यकर्ताओं को साइकिल यात्रा करने को प्रमुखता दिया गया.जिसके पीछे एक अन्य सोच पर्यावरण को बेहतर करने में अपने जिम्मेदार रवैये का प्रदर्शन करना भी शामिल था.ऐसे में अखिलेश यादव राष्ट्रीय राजनीति के नौजवान अग्रिम पंक्ति के उन सफल नेताओं में से एक हो गये हैं.जिनके शालीन,शिक्षित और जिम्मेदार व्यक्तित्व से राजनीति के प्रति लोगों की धारणा बेहतर हो रही है.
मणेन्द्र मिश्रा ‘मशाल’
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