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उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री के आश्वासन पर शहीद संतोष के भाई व बेटे ने दी मुखाग्नि


लखनऊ। मथुरा में शहीद हुए एसओ संतोष यादव के केवटली गांव में शव को गार्ड आफ ऑनर दिए जाने के बाद ग्रामीण मुख्यमंत्री के बुलाने की बात पर अड़े रहे। जिद पर अड़े ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे विधायक नदीम जावेद की आईजी एसके भगत व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव से झड़प हुई। रात दो बजे कैबिनेट मंत्री पारस नाथ यादव ने प्रमुख सचिव अनीता सिंह से पीडि़त परिवार की फोन पर बात कराया। उन्होंने वादा किया कि मुख्यमंत्री तक उनकी बात पहुंचाएगी। साथ ही प्रयास करेंगी कि मुख्यमंत्री 13 दिन के अंदर केवटली गांव जाए। इसके बाद ग्रामीणों का आक्रोश ठंडा हुआ, किंतु सुबह वे फिर अपनी पुरानी मांगों को लेकर अड़ गए। इसपर शहीद की पत्नी मिथिलेश और भाई से बात कर कैबिनेट मंत्री ने किसी तरह उन्हे अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार किया। सुबह आठ बजे शहीद के शव को गोमती नदी के तट पर स्थित राम घाट पर लाया गया। जहां भाई और पुत्र निखिल ने शहीद के शव को संयुक्त रूप से मुखाग्नि दी। इस दौरान घाट पर कैबिनेट मंत्री पारस नाथ यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष राज बहादुर, सांसद केपी सिंह, जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी, पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय समेत पूरा जिला प्रशासन मौजूद रहा।



परिवारीजन कर रहे थे मुख्यमंत्री को लाने की डिमांड



शहीद संतोष को गार्ड ऑफ आनर दिए जाने के बाद शोकग्रस्त गांव वाले आक्रोशित हो उठे। उनका कहना था कि जब तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं आएंगे तब तक संतोष यादव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। लोगों ने इसे दिवंगत सीओ जियाउल की हत्या की पुनरावृत्ति बताते हुए कहा कि यह शहादत बेकार नहीं जाने देंगे। गांव वालों को अधिकारी व मंत्री देर रात तक समझाते रहे, लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे। भीड़ के बीच में रो रहे बेटे की मार्मिक दशा देख ग्रामीणों का आक्रोश रह-रह कर भड़क रहा था।



संतोष को कंधा देने पूरा गांव उमड़ा



अभी एक ही सप्ताह बीता था जब मिथलेश देवी अपने बच्चों के साथ मथुरा से केवटली आई थीं। बच्चों ने भी पिता संतोष यादव को खैरियत से गांव आने की बात बताई थी लेकिन गुरुवार की रात जो हुआ उसने पूरे परिवार की दुनिया उजाड़ दी। दारोगा संतोष यादव के मथुरा उपद्रव के दौरान शहीद होने की खबर मिलते ही परिवार के लोगों को मानों काठ मार गया। गांव के लोगों को जानकारी हुई तो पूरा गांव संतोष यादव की शहादत को नमन करने उनके घर उमड़ पड़ा। अधिकारी भी शोक संवेदना व्यक्त करने केवटली गांव पहुंच गए। सभी ने सांत्वना दी।



केवटली गांव में शुक्रवार सुबह से ही शहीद संतोष यादव के घर सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा। हर हाथ पीडि़त परिवार के सिर पर था। हालांकि परिवार के पुरुषों ने काफी देर तक महिलाओं और बच्चों से संतोष के शहीद होने की खबर छिपा रखी थी। यहां तक कि टीवी सेट को भी बंद कर दिया गया, लेकिन पुरुषों की आंखों से बह रहे आंसुओं ने सारी कहानी बयां कर दी। पत्नी मिथलेश देवी को पता चला तो वह बेसुध हो गईं।



पापा कहां हैं, हमें उनके पास जाना है



बेटा निखिल (10) व बेटी श्रेया (8) मां व दादी के पास जाकर सिर्फ इतना भर कह रहे हैं - पापा कहां हैं। हमें उनके पास जाना है। इसके बाद दादी का विलाप और बयान भी लोगों को दहला रहा था। हे भगवान, अब कौन चलाएगा परिवार, कैसे कटेगी बहू की ङ्क्षजदगी, दोनों बच्चों का क्या होगा... जैसी प्रभु गुहार सुनकर हर आखें नम हो जातीं। पत्नी मिथिलेश भी बार-बार भगवान से सुहाग वापस कर देने की गुहार लगातीं।



जांबाज की बहादुरी के चर्चे रहे सभी की जुबान पर



शहीद दारोगा संतोष यादव की बहादुरी की चर्चा हर किसी की जुबान पर थी। प्रशासन भी केवटली के इस लाल की शहादत पर संजीदा रहा। दोपहर बाद डीएम भानुचंद्र गोस्वामी और एसपी रोहन पी कनय भी गांव पहुंचे और शहीद की पत्नी को सांत्वना देते हुए सरकार से मिलने वाली हर मदद को दिलाने का भरोसा दिलाया। बदलापुर विधायक ओमप्रकाश दुबे भी शहीद के परिवार के साथ रहे।

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