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उत्तर प्रदेश

वोटों के जुगाड़ को हर हथकंडा आजमाएंगे, सपा की गणित पक्ष में, पर आशंका भी

लखनऊ : राज्यसभा व विधानपरिषद चुनाव में मतदान होना सुनिश्चित होते ही वोट की जोड़तोड़ का सिलसिला तेज हो गया है। वोटों के जुगाड़ को हर हथकंडा आजमाया जाएगा। खरीद फरोख्त के लिए बोली जैसी नौबत भी आएगी और टिकट के आश्वासन भी दिए जाएंगे। बागियों को तोड़ने के साथ छोटे दलों पर भी डोरे डालने का काम शुरू है। 1विधानसभा निर्वाचन से पहले प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा प्रश्न बनी इस चुनावी जंग को जीतने के लिए शीर्षस्थ नेता लखनऊ में डेरा डाले है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यहीं पर डटे है तो बसपा सुप्रीमो मायावती भी गुरुवार को लखनऊ पहुंच गई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश में प्रवास के बहाने चुनाव पर नजर रखे हैं।

सपा की गणित पक्ष में, पर आशंका भी :

राज्यसभा के सात व विधानपरिषद के सभी आठ प्रत्याशियों की जीत को ले कर सपा आश्वस्त होने के साथ साथ आशंकित भी है। सपा के पास खुद के 229 विधायक हैं। पांच निर्दल व पीस पार्टी के दो विधायक भी साथ हैं। इस गणित से सपा की संख्या 236 होती है। राज्यसभा के सभी उम्मीदवारों की विजय के लिए दो वोट जुटाने होंगे। सूत्रों का कहना है कि रालोद के साथ होने से जीत में संशय नहीं है। ऐसे ही विधान परिषद के लिए सपा ने आठ प्रत्याशी उतारे हैं, उसे सिर्फ 232 वोट चाहिए। बगावत नहीं बढ़ी तो सपा के पास पर्याप्त वोट हैं।

भाजपा को सबसे बड़ी चुनौती एक उम्मीदवार अतिरिक्त उतारकर राज्यसभा व विधान परिषद चुनाव में मतदान की नौबत ले आने वाली भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। अधिकृत प्रत्याशी शिवप्रताप शुक्ला के अलावा भाजपा ने निर्दलीय प्रीति महापात्र को समर्थन का फैसला किया है। भाजपा विधायकों की संख्या 41 है और प्रथम वरीयता के 34 मत शिवप्रताप की जीत सुनिश्चित करेंगे। बचे वोट प्रीति के खाते में जाएंगे, एनसीपी विधायक फतेह बहादुर सिंह, अपना दल के आरके वर्मा, सपा के विद्रोही रामपाल यादव, बसपा के बागी बाला प्रसाद अवस्थी व सकलडीहा विधायक सुशील सिंह भी प्रीति का साथ दें तो भी जीत के लिए 22 मतों की दरकार है। विधान परिषद में भूपेन्द्र सिंह और दयाशंकर सिंह अधिकृत उम्मीदवार हैं। एक सदस्य को जीत के लिए कम से कम 29 मत चाहिए। एक प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के बाद दूसरे के लिए 12 और विधायकों का बंदोबस्त करना आसान नहीं होगा।

विधानपरिषद को लेकर बेचैन बसपा :

बहुजन समाज पार्टी राज्यसभा चुनाव के लिए भले ही बेफिक्र हो परन्तु विधानपरिषद निर्वाचन को लेकर बेचैन है। अपने तीनों उम्मीदवार जिताने के लिए प्रथम वरीयता के सात वोट का बंदोबस्त पड़ेगा लेकिन बागी विधायक बालाप्रसाद अवस्थी की राह और विधायक चलेंगे तो मुश्किलें गंभीर होगी। बसपाइयों पर भाजपा की निगाह है। बसपा से बगावत कर के भाजपा में पहुंचे जुगल किशोर वोट जुटाने को जोड़तोड़ कर रहे है। बता दे कि बसपा की विधायक संख्या 80 है और उसे विधानपरिषद के तीन उम्मीदवार अतर सिंह राव, दिनेश चंद्र, सुरेश कश्यप को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 29 मत चाहिए। राज्यसभा के लिए सतीश मिश्र व अशोक सिद्धार्थ को वोट देने के बाद 12 वोट अतिरिक्त है।

कांग्रेस के सिब्बल मुश्किल में :

राज्यसभा में जाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की राह आसान नहीं दिख रही है। कांग्रेस के पास मात्र 29 विधायक हैं और उसे प्रथम वरीयता के 34 वोट हासिल हो तो सिब्बल की जीत सुनिश्चित हो सकेगी। ऐसे में सिब्बल को पांच विधायक जुटाने के लिए कांग्रेस के पुराने सहयोगी रालोद की मदद की दरकार होगी, रालोद के पास आठ विधायक हैं। वहीं बसपा के पास भी राज्यसभा चुनाव में 12 अतिरिक्त वोट बच जाएंगे बसपा ने कांग्रेस का साथ दिया तब सिब्बल की राह आसान होगी। विधान परिषद में कांग्रेस के दीपक सिंह के लिए पर्याप्त 29 वोट हैं बशर्ते बगावत न हो।
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