शर्मनाक! पुलिस की शाहदत नजरंदाज कर अपनों को बचाने की कोशिश शुरू
मथुरा हिंसा में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने दो जांबाज अधिकारी एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और फरह एसओ संतोष यादव को गंवाया है. लेकिन उनकी शहादत पर पुलिस अधिकारी ही बट्टा लगाने पर तुले हैं.
पूरे घटनाक्रम में पुलिस अधिकारीयों और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है और इसे पूरी तरह से ख़ुफ़िया तंत्र की चूक बताया जा रहा है. ऐसे में जहां निष्पक्ष जांच कर खून से सने दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए वहां अब अपनों को बचाने की कोशिश शुरू हो गई है.
पहले पूरे मामले की जांच आगरा के तेज-तर्रार कमिश्नर प्रदीप भटनागर को दी गई थी लेकिन अब उन्हें हटाकर जांच अलीगढ़ के कमिश्नर चंद्रकांत को दे दी गई है. जिसके बाद से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या जांच किसी और को सौंपकर दोषी अधिकारीयों को बचाने की कवायद की जा रही है.
इस बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि पुलिस अधिकारीयों की लापरवाही से एक बड़ी घटना हो गई. उन्होंने जांच के बाद एक्शन की भी बात कही है लेकिन इसके बावजूद निष्पक्ष जांच हो पायेगा? यह एक सवाल उठता है. क्योंकि जिस तरह से 24 घंटों के अन्दर ही जांच अधिकारी को बदल दिया गया इससे तो लगता है कि कहीं न कहीं दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.
पूरे घटनाक्रम में पुलिस अधिकारीयों और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है और इसे पूरी तरह से ख़ुफ़िया तंत्र की चूक बताया जा रहा है. ऐसे में जहां निष्पक्ष जांच कर खून से सने दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए वहां अब अपनों को बचाने की कोशिश शुरू हो गई है.
पहले पूरे मामले की जांच आगरा के तेज-तर्रार कमिश्नर प्रदीप भटनागर को दी गई थी लेकिन अब उन्हें हटाकर जांच अलीगढ़ के कमिश्नर चंद्रकांत को दे दी गई है. जिसके बाद से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या जांच किसी और को सौंपकर दोषी अधिकारीयों को बचाने की कवायद की जा रही है.
इस बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि पुलिस अधिकारीयों की लापरवाही से एक बड़ी घटना हो गई. उन्होंने जांच के बाद एक्शन की भी बात कही है लेकिन इसके बावजूद निष्पक्ष जांच हो पायेगा? यह एक सवाल उठता है. क्योंकि जिस तरह से 24 घंटों के अन्दर ही जांच अधिकारी को बदल दिया गया इससे तो लगता है कि कहीं न कहीं दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.
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