ठंडे बस्ते में अब सपा-रालोद की दोस्ती
यूपी में समाजवादी पार्टी और रालोद में सियासी दोस्ती की रविवार को शुरू हुए प्रयास भी अब ठंड़े बस्ते में जाते दिख रहे हैं । इस मुद्दे पर दोनों दलों ने शीर्ष नेतृत्व भी चुप्पी साधे हुए हैं। कयास लगाए जा रहे है कि राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव के बाद अमर सिंह दोनों दलों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।
रालोद की पहले जेडीयू और उसके बाद भाजपा से दोस्ती की बात जिस तेजी से शुरू हुई थी, उसी तेजी से बाद में उस पर विराम भी लग गया था। अब सपा से एकाएक दोस्ती की चर्चा उड़ी। दोनों दलों ने शीर्ष नेता एक दूसरे से रविवार को मिले थे।
दोनों दलों में मुलाकात के साथ ही यूपी में सियासत तेज हो गई थी। दूसरे दल खासकर भाजपा का थिंकटैंक सपा और रालोद की नजदीकियों की गतिविधियों पर एकाएक सतर्क हो गया। इसके इतर रालोद और सपा नेताओं की तरफ से पूरे मामले पर चुप्पी साध ली गई।
इस बारे में सोववार को सपा नेता रामगोपाल यादव और रालोद नेता मुन्ना चौहान ने जरूर दोस्ती की कोशिश पर विरोध जताया था। सपा में भी सपा रालोद के मिलन पर विरोधाभाषी बयान समने आए थे। अब माना जा रहा कि राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव केबाद सपा के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव लड़ रहे ठाकुर अमर सिंह दोनों दलों में एका कराने में मध्यस्थता कर सकते हैं।
बुधवार को लखनऊ में सपा मुखिया मुलायम ङ्क्षसह यादव से उनकी मुलाकात को भी चुनाव और रालोद से एका कराने के तौर पर ही देखा जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि सपा की रालोद से दोस्ती आसान नहीं होगी। सपा यूपी में ज्यादातर विधान सभा की सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। सिर्फ मौजूदा विधायकों के टिकटों का एलान करना बाकी है।
गठबंधन होने पर रालोद का दावा सबसे ज्यादा पश्चिमी यूपी की सीटों पर होगा। अगर इस क्षेत्र में रालोद को उनकी मांग केमुताबिक सीट दे दी जाएगी तब सपा में टिकट कटने से विरोध मुखर होने का खतरा बढ़ेगा। ऐसे में सपा रालोद से दोस्ती करने से पहले सभी तरह के नफे नुकसान का आकलन जरूर करेगी।
रालोद की पहले जेडीयू और उसके बाद भाजपा से दोस्ती की बात जिस तेजी से शुरू हुई थी, उसी तेजी से बाद में उस पर विराम भी लग गया था। अब सपा से एकाएक दोस्ती की चर्चा उड़ी। दोनों दलों ने शीर्ष नेता एक दूसरे से रविवार को मिले थे।
दोनों दलों में मुलाकात के साथ ही यूपी में सियासत तेज हो गई थी। दूसरे दल खासकर भाजपा का थिंकटैंक सपा और रालोद की नजदीकियों की गतिविधियों पर एकाएक सतर्क हो गया। इसके इतर रालोद और सपा नेताओं की तरफ से पूरे मामले पर चुप्पी साध ली गई।
इस बारे में सोववार को सपा नेता रामगोपाल यादव और रालोद नेता मुन्ना चौहान ने जरूर दोस्ती की कोशिश पर विरोध जताया था। सपा में भी सपा रालोद के मिलन पर विरोधाभाषी बयान समने आए थे। अब माना जा रहा कि राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव केबाद सपा के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव लड़ रहे ठाकुर अमर सिंह दोनों दलों में एका कराने में मध्यस्थता कर सकते हैं।
बुधवार को लखनऊ में सपा मुखिया मुलायम ङ्क्षसह यादव से उनकी मुलाकात को भी चुनाव और रालोद से एका कराने के तौर पर ही देखा जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि सपा की रालोद से दोस्ती आसान नहीं होगी। सपा यूपी में ज्यादातर विधान सभा की सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। सिर्फ मौजूदा विधायकों के टिकटों का एलान करना बाकी है।
गठबंधन होने पर रालोद का दावा सबसे ज्यादा पश्चिमी यूपी की सीटों पर होगा। अगर इस क्षेत्र में रालोद को उनकी मांग केमुताबिक सीट दे दी जाएगी तब सपा में टिकट कटने से विरोध मुखर होने का खतरा बढ़ेगा। ऐसे में सपा रालोद से दोस्ती करने से पहले सभी तरह के नफे नुकसान का आकलन जरूर करेगी।
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