ये हैं पुलिस की वो 3 चूक, जिनका नतीजा है जवाहर बाग की जंग
मथुरा के जवाहर बाग को कब्जामुक्त कराना मुश्किल तो था लेकिन इतना भी नहीं कि गोलियां चलने की नौबत आती। पुलिस की तीन बड़ी चूक रहीं जिनके चलते जवाहर बाग जंग का मैदान बन गया। पहली तो यह कि आपरेशन तय समय से दो दिन पहले शुरू कर दिया गया। पहले प्लान चार जून का था लेकिन बाद में अचानक दो जून कर दिया गया। इसके लिए पुलिस मानसिक रूप से तैयार ही नहीं थी। अगर शासन ने इस ऑपरेशन की जांच कराई तो कई अफसरों की गर्दन फंस सकती है। प्रदेश में चुनाव नजदीक है, इसलिए यह मुद्दा तूल पकड़ सकता है।
मथुरा में जवाहर बाग खाली कराने के लिए बलवाइयों और पुलिस के बीच हुई आमने सामने की गोलीबारी में फरह थाना के प्रभारी संतोष यादव की मौत होते ही आला अफसरों के हाथ पांव फूल गए। शासन तक हरकत में आ गया। आगरा से आईजी डीसी मिश्र और डीआईजी अजय मोहन शर्मा रवाना हो गए। पूरे जोन से फोर्स भेजा गया है।
पुलिस को यह अंदाजा नहीं था कि बवाल इतना बड़ा हो गया जाएगा कि संभाले नहीं संभलेगा। अफसर सोच रहे थे कि मथुरा के फोर्स से ही काम चल जाएगा। यह बड़ी चूक साबित हुई। खुद को सत्याग्रही बताने वाले आंदोलनकारी अचानक के बलवाई के रूप में सामने आए। हाथों में तमंचे लेकर पेड़ पर चढ़ गए थे। इसी में पुलिस वालों को गोली लगी।
हालात बिगड़ने पर पूरे जोन के जनपदों आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, कासगंज, हाथरस, एटा से फोर्स भेजी गई। आगरा से एएसपी अखिलेश कुमार, तीन सीओ भी गए हैं। आगजनी के चलते फायर ब्रिगेड भी भेजी गई है। बताया गया है कि पुलिस ने बलवाइयों की झोंपड़ी में आग लगा दी।
मथुरा के जवाहर बाग की घटना संज्ञान में है, पूरे जोन से पुलिस फोर्स वहां भेजी गई है, आला अफसर भी पहुंच गए हैं।
-दलजीत चौधरी ( एडीजी कानून व्यवस्था )
इस मामले में दूसरी चूक खुफिया पुलिस से हुई। मरने-मारने को तैयार बैठे आंदोलनकारियों ने हथियारों का जखीरा जमा कर लिया था। तमंचे ही नहीं, देसी बम तक हासिल कर लिए थे। इसकी भनक तक नहीं लग पाई खुफिया पुलिस को। पुलिस सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन जवाहर पार्क की रणनीति तैयार करने वाले अफसरों को हल्के फुलके विरोध का अनुमान था। सोचा था लाठी डंडे चलेंगे, कुछ लोग खुद पर तेल उड़ेलकर आत्मदाह की कोशिश कर सकते हैं। ऊपर से खुशफहमी यह कि आंदोलनकारी दो फाड़ हो चुके हैं, रास्ता आसान हो गया है।
इसीलिए आस पास के जिलों से फोर्स नहीं मंगाई गई थी। लेकिन आपरेशन शुरू होते ही सारे भ्रम टूट गए। पुलिस ने कब्जा लेना शुरू किया और आंदोलनकारियों ने फायरिंग। खुफिया पुलिस ने रिपोर्ट दी थी कि वहां लाठी, डंडे, सरिए जमा हैं लेकिन निकले तमंचे और देसी बम। यह हाल तब रहा जब खुफिया पुलिस के अफसरों को वहां दिन रात नजर रखने की हिदायत दी गई थी। शासन पल पल का अपडेट ले रहा था। डीआईजी बार बार चक्कर लगा रहे थे।
इसीलिए आस पास के जिलों से फोर्स नहीं मंगाई गई थी। लेकिन आपरेशन शुरू होते ही सारे भ्रम टूट गए। पुलिस ने कब्जा लेना शुरू किया और आंदोलनकारियों ने फायरिंग। खुफिया पुलिस ने रिपोर्ट दी थी कि वहां लाठी, डंडे, सरिए जमा हैं लेकिन निकले तमंचे और देसी बम। यह हाल तब रहा जब खुफिया पुलिस के अफसरों को वहां दिन रात नजर रखने की हिदायत दी गई थी। शासन पल पल का अपडेट ले रहा था। डीआईजी बार बार चक्कर लगा रहे थे।
एसओ के दम तोड़ते ही अफसरों के हाथ पांव फूले
मथुरा में जवाहर बाग खाली कराने के लिए बलवाइयों और पुलिस के बीच हुई आमने सामने की गोलीबारी में फरह थाना के प्रभारी संतोष यादव की मौत होते ही आला अफसरों के हाथ पांव फूल गए। शासन तक हरकत में आ गया। आगरा से आईजी डीसी मिश्र और डीआईजी अजय मोहन शर्मा रवाना हो गए। पूरे जोन से फोर्स भेजा गया है।
पुलिस को यह अंदाजा नहीं था कि बवाल इतना बड़ा हो गया जाएगा कि संभाले नहीं संभलेगा। अफसर सोच रहे थे कि मथुरा के फोर्स से ही काम चल जाएगा। यह बड़ी चूक साबित हुई। खुद को सत्याग्रही बताने वाले आंदोलनकारी अचानक के बलवाई के रूप में सामने आए। हाथों में तमंचे लेकर पेड़ पर चढ़ गए थे। इसी में पुलिस वालों को गोली लगी।
हालात बिगड़ने पर पूरे जोन के जनपदों आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, कासगंज, हाथरस, एटा से फोर्स भेजी गई। आगरा से एएसपी अखिलेश कुमार, तीन सीओ भी गए हैं। आगजनी के चलते फायर ब्रिगेड भी भेजी गई है। बताया गया है कि पुलिस ने बलवाइयों की झोंपड़ी में आग लगा दी।
मथुरा के जवाहर बाग की घटना संज्ञान में है, पूरे जोन से पुलिस फोर्स वहां भेजी गई है, आला अफसर भी पहुंच गए हैं।
-दलजीत चौधरी ( एडीजी कानून व्यवस्था )
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